पौष पूर्णिमा पर क्या क्या सावधानी रखना है जरूरी, इस दिन क्या करें क्या न करें . . .

कब है पौष पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा पर उपवास, पूजन विधि आदि सब कुछ जानिए . . .
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हर महीने में पूर्णिमा की तिथि एक बार ही आती है। पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का पौष पूर्णिमा कहते हैं ओर यह दिन लक्ष्मी माता को समर्पित है। इस दिन मां लक्ष्मी, विष्णु भगवान और चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। मान्यता है पौष पूर्णिमा पर पूरी श्रद्धा व सही विधि के साथ मां लक्ष्मी व विष्णु भगवान की आराधना करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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यह विक्रम संवत के दसवें मास पौष के शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि है। इस दिन को देवी शाकम्भरी की याद मे भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन देवों की करूण पुकार को सुन आदिशक्ति जगदम्बा शाकुम्भरी के रूप मे शिवालिक हिमालय मे प्रकट हुई थी। इस दिन देवी शाकम्भरी देवी प्रकट हुईं थीं। सहारनपुर की शिवालिक पर्वत श्रृंखला मे माँ का प्राकाट्य स्थल मौजूद है। इस पावन शक्तिपीठ मे भीमा, भ्रामरी,शताक्षी और गणेश जी भी विराजमान है।
जानिए कब है पौष पूर्णिमा, पौष महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी को शाम 5 बजकर 3 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 14 जनवरी को शाम 3 बजकर 56 मिनट पर तिथि का समापन होगा। उदया तिथि अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को मनाई जाना शुभ बताया गया है।
अब जानिए पौष पूर्णिमा पूजा की विधि,
इस दिन पूजन हेतु सबसे पहले पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलकर स्नान करें। इसके उपरांत स्वच्छ होकर भगवान श्री हरि विष्णु और माँ लक्ष्मी का जलाभिषेक करें, माता का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। अब मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके बाद मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें। पौष पूर्णिमा की व्रत कथा का पाठ करें। श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें। पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें। चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें एवं अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
इस दिन हो सके तो करें गंगा स्नान, पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने खास महत्व है। मान्यता है कि इस अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इसी कारण पौष पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पौष पूर्णिमा के दिन चंद्र देव और धन की देवी मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान किया जाता है।
पौष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व जानिए,
पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जगत को रोशन करने वाले भगवान सूर्यदेव की विधिपूर्वक पूजा करने से मृत्योपरांत भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पूजा के साथ ही इस दिन स्नान-दान को भी विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन से ही कल्पवास की शुरुआत हो जाती है, जो कि अगले पूर्णिमा यानी माघ महीने तक चलता है। वहीं पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाने के साथ कन्याओं को प्रसाद के रूप में बांटना शुभ माना जाता है। साथ ही ऐसा करने से धन आगमन का मार्ग बनता है। पौष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी का विधिवत पूजा करें और 11 पीले रंग की कौड़ियां मां लक्ष्मी को चढ़ाएं। इसके बाद इन्हें लाल या पीले रंग के कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है।
जैन धर्मावलंवियों द्वारा इस दिन को शाकंभरी जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म में लोग इस दिन को शाकंभरी जयंती के रूप में मनाते हैं। माता शाकंभरी देवी जनकल्याण के लिए पृथ्वी पर आई थी। यह मां प्रकृति स्वरूपा है हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रेणियों की तलहटी में घने जंगलों के बीच मां शाकंभरी का प्राकट्य हुआ था। माँ शाकंभरी की कृपा से भूखे जीवो और सूखी हुई धरती को पुनः नवजीवन मिला।
वैसे तो माता के देश भर में अनेक मंदिर हैं पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर की शक्तिपीठ की महिमा सबसे निराली है क्योंकि माता का सर्वाधिक प्राचीन शक्तिपीठ यही है यह प्राचीन विश्वविख्यात शक्तिपीठ सिद्धपीठ शाकम्भरी देवी के नाम से विख्यात है जो उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर में पड़ता है। माता जी का यही स्थान प्रमुख शक्तिपीठ है। इसके अलावा माता का एक प्रधान मंदिर राजस्थान के सीकर जिले की अरावली की पहाड़ियों में एक सुंदर घाटी में विराजमान हैं जो सकराय माता के नाम से विख्यात हैं। माता का एक अन्य मंदिर चौहानों की कुलदेवी के रूप में माता शाकंभरी देवी सांभर में नमक की झील के अंदर विराजमान हैं । राजस्थान के नाडोल में मां शाकंभरी आशापुरा देवी के नाम से पूजी जाती हैं । यही मां दक्षिण भारत में बनशंकरी के नाम से जानी जाती हैं। कनकदुर्गा इनका ही एक रूप है। इन सभी जगहों पर शाकंभरी नवरात्रि और पौष पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाता है। मंदिरों में शंख ध्वनि होती है और गर्भगृह को शाक सब्जियों और फलों से सजाया जाता है।
जानिए छेरता के बारे में,
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में रहने वाली जनजातियाँ पौष माह के पूर्णिमा के दिन छेरता पर्व बडे़ धूमधाम से मनाती हैं। सभी के घरों में नये चावल का चिवड़ा गुड़ तथा तिली के व्घ्यंजन बनाकर खाया जाता है। गांव के बच्घ्चों की टोलियाँ घर-घर जाकर परम्घ्परानुसार प्रचलित बोल छेर छेरता काठी के धान हेर लरिका बोलते हैं और मुट्ठी भर अनाज मांगते हैं। रात्रि में ग्रामीण बालाएं टोली बनाकर घर में जाकर लोकड़ी नामक गीत गाती हैं।
पौष पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये काम,
पौष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान के कार्य पुण्य फलदायी माने गए हैं। इसलिए इस दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस दिन सूर्यदेव और चंद्रदेव की पूजा-आराधना अवश्य करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। पौष पूर्णिमा के दिन पालनी में गंगाजल मिलाकर और कुश हाथ में लेकर स्नान करने और पिृत तर्पण से घर के पितर प्रसन्न होते हैं। पौष पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पीपल के वृक्ष की पूजा करें और वृक्ष पर जल जरूर अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों पर देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। पौष पूर्णिमा के दिन सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए ऊँ घृणि सूर्याय नमः मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं। वैवाहिक जीवन की दिक्कतों क दूर करने और खुशहाल दांपत्य जीवन के लिए इस दिन चंद्रदेव को दूध अर्घ्य कर सकते हैं। पौष पूर्णिमा की रात को चंद्रोदय की पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय ऊँ ऐं क्ली सोमाय नमः मंत्र का जाप कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन की सभी समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
पूर्णिमा पर कभी न करें इन कामों को,
इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे मांस, मटन, चिकन या मसालेदार भोजन, लहसुन, प्याज आदि का उपभोग नहीं करना चाहिए।
इस दिन किसी भी हालत में आप शराब ना पिएं क्योंकि इस दिन शराब का दिमाग पर बहुत गहरा असर होता है। इससे शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन चन्द्रमा का प्रभाव काफी तेज होता है इन कारणों से शरीर के अंदर रक्घ्त में न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में इंसान ज्यादा उत्तेजित या भावुक रहता है। एक बार नहीं, प्रत्येक पूर्णिमा को ऐसा होता रहता है तो व्यक्ति का भविष्य भी उसी अनुसार बनता और बिगड़ता रहता है।
जिन्हें मंदाग्नि रोग होता है या जिनके पेट में चय-उपचय की क्रिया शिथिल होती है, तब अक्सर सुनने में आता है कि ऐसे व्यक्ति भोजन करने के बाद नशा जैसा महसूस करते हैं और नशे में न्यूरॉन सेल्स शिथिल हो जाते हैं जिससे दिमाग का नियंत्रण शरीर पर कम, भावनाओं पर ज्यादा केंद्रित हो जाता है। अतः भावनाओं में बहें नहीं खुद पर नियंत्रण रखकर व्रत करें।
चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है। मानव के शरीर में भी लगभग 85 प्रतिशत जल रहता है। पूर्णिमा के दिन इस जल की गति और गुण बदल जाते हैं। अतः इस दिन जल की मात्रा और उसकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें।
अन्य सावधानियां जो इस दिन बरतना चाहिए उनमें, इस दिन पूर्ण रूप से जल और फल ग्रहण करके उपवास रखें। यदि इस दिन उपवास नहीं रख रहे हैं तो इस दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें तो ज्यादा बेहतर होगा। इस दिन काले रंग का प्रयोग न करें। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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MANOJ RAO

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से मानसेवी तौर पर जुड़े हुए मनोज राव देश के अनेक शहरों में अपनी पहचान बना चुके हैं . . . समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 में किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.