डायबिटीज से सम्बन्धित स्वास्थ्य समस्याएं

आज के बढ़ते हुए रोगों में से एक रोग है मधुमेहजो पहले प्रौढ़ या वृद्ध अवस्था में ही हुआ करता था पर समय की बलिहारी देखिए कि यह रोग अब किसी भी आयु वाले को होता पाया जा रहा है। इस रोग से पीड़ित होने पर कुछ स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं जिनका समाधान प्रस्तुत कर रही हैं डॉ. (श्रीमती) अनिता जोशी।

मधुमेह (डायबिटीज) रोग क्या हैइसके लक्षण क्या हैं यह रोग क्यों होता है और इस पर नियन्त्रण कैसे रखा जा सकता है जैसे कुछ महत्वपूर्ण सवाइों के जवाब आप मेरे पिछले लेख में पढ़ चुके होंगे। मधुमेह होने पर कुछ स्वास्थ्य समस्याएं उठ खड़ी होती हैं। इन समस्याओं का उचित समाधान कर मधुमेह रोग पर नियन्त्रण करने के लिएकुछ सावधानियां रखना जरूरी और हितकारी होता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं का उचित समाधान कैसे हो सकता है आदि मुद्दों पर इस लेख में चर्चा की जा रही है।

यह तो आप जानते ही होंगे कि रक्त में शर्करा बढ़ जाने को मधुमेह रोग होना कहते हैं। इस पर नियन्त्रण करना अत्यन्त आवश्यक होता है क्योंकि यदि नियन्त्रण न किया जाए तो हमारे शरीर और स्वास्थ्य से सम्बन्धित निम्नांकित जटिइ समस्याएं पैदा हो सकती हैं-

इन दोनों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत है। रक्त शर्करा की मात्रा अचानक कम हो जाना। रक्त शर्करा की मात्रा बहुत बढ़ जाना।

रक्त शर्करा की कमी

मधुमेह के रोगी के शरीर मेंकभी कभीरक्त शर्करा की मात्रा अचानक कम हो जाती है। इस स्थिति को हाइपोग्लइसीमिया कहते हैं। ऐसा तब होता है जब मधुमेह नाशक दवाइयों का सेवनअधिक मात्रा में किया गया होभोजन कम मात्रा में किया हो या उपवास किया होबहुत देर तक भारी श्रम या व्यायाम किया हो। रक्त शर्करा कम होने पर सिर में भारीपन व दर्द होनाअचानक पसीनाचक्कर घबराहटथकावटचेहरे का रंग उड़ जानाखड़े न रह पाना आदि लक्षण प्रकट होते हैं जो रक्त शर्करा कम हो जाने की खबर देते हैं ऐसी स्थिति हो तो रोगी को मीठे फल का रसमीठा पदार्थ या एक बड़ा चम्मच भर शक्कर तुरन्त खिला देना चाहिए अन्यथा रोगी मूर्च्छित हो जाएगा।

रक्त शर्करा बढ़ जाना

इस स्थिति को हाइपरग्गलइसीमिया कहते हैं। चिकित्सक के निदेर्शों का ठीक से पालन न करनेनियमित रूप से दवाइयों का सेवन न करने और पथ्य-अपथ्य आहार का पालन न करक बदपरहेजी करने आदि कारणों से रक्त शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। मानसिक तनाव और चिन्ता का दबाव भी एक कारण होता है। ऐसी स्थिति पर नियन्त्रण करना बहुत कठिन होता है और रोगी को अगर अन्य कोई बीमारी भी हो तो उसका इलाज भी ठीक से नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में दीर्घकालीन परेशानियां पैदा होने लगती हैं जिससे शरीर के अन्य अवयवों की कार्य प्रणाली पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है और स्नायविक-तन्त्रगुर्देहृदयआखों तथा रक्त वाहिनियों से सम्बन्धित रोग और संक्रमण होना आदि स्थितियां निर्मित होने लगती हैं।

यह रोग हाथ व पैरों के स्नायुओं को क्षति पहुंचाता है जिससे हाथ पैरों में दर्दखिंचावजलन और सुन्न पड़ना आदि लक्षण प्रकट होते हैंगुर्दे की छानने वाली प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता हैआंखों के रेटिना को क्षति पहुंचती है और रोगी सिरदर्दथकावट और धुंधला दिखाई देना आदि से पीड़ित हो जाता है। इससे सबसे बड़ा नुकसान हृदय संस्थान और रक्तवाहिनियों को क्षति होना होता है जिससे रक्त संचार में बाधा होती है फल स्वरूप पक्षाघात (लकवा) होना या दिल का दौरा (हार्ट अटेक) होने की सम्भावना बढ़ जाती है। यही कारण है कि सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा मधुमेह के रोगी को हृदय रोग होने की शिकायत ज्यादा होती है। रक्तशर्करा की अधिकताशरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता व शक्ति कम कर देती है जिससे शरीर में अनेक व्याधियां पैदा होने लगती हैं जैसे मुंहमसूढ़ेत्वचापैरफेफड़े आदि संक्रमण से ग्रस्त होनाजिससे रोगी को चोट या घाव लगनेत्वचा के कटने आदि से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि घाव या संक्रमण हो जाने पर ये जल्दी अच्छे नहीं हो पाते।

बचाव कैसे करें?

इस रोग का बचाव करनाइलाज करने से ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि बचाव करने से मधुमेह रोग से पैदा होने वाली दीर्घकालीन जटिलताओं और व्याधियों से बचा जा सकता हैरोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। नियमित उचित पथ्य आहार लेनाअपथ्य पदार्था का सेवन न करनानियन्त्रित व्यायामसुबह लम्बी सैर करना और समय-समय पर चिकित्सक से सलाह लेकर उस पर अमल करना आदि

रोग को बढ़ने व जटिल होने से रोकने वाले काम हैं। इन कामों को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बना लेने वालेमधुमेह का रोगीसामान्य और खुशहाल जीवन जी सकता है।

मधुमेह के रोगी के लिए मधुर रस और मीठे पदार्था का सेवन वर्जित है फिर भी मधुरता का स्वाद बनाए रखने के लिए कृत्रिम रूप में मीठे पदार्थ उपलब्ध हैं जिनमें कुछ तो कम कैलोरी (ऊर्जा) वाले और कुछ नान कैलोरी (ऊर्जा विहीन) होते हैं तो कुछ पदार्थ कैलोरी युक्त भी होते हैं। ऊर्जा रहित मिठास होने वाले पदार्था में सेकरीन और ऊर्जा युक्त पदार्था में फ्रक्टोज और सॉरबिटॉल का नाम प्रमुख है। मधुमेह का रोगी अपने रोग व शरीर तथा स्वास्थ्य को मद्दे नजर रख कर उचित मात्रा व विधि के साथ ऐसे पदार्था का सेवन कर सकता है फिर भी ऐसे पदार्था का सेवन करने से पहले उचित जानकारी प्राप्त कर लेना या अपने चिकित्सक से परामर्श कर लेना जरूरी है। बिना सोचे समझे ऐसे कृत्रिम मीठे पदार्था का सेवन करना और अधिक मात्रा में सेवन करना हानिकारक भी हो सकता है। इससे बचने के इिए रोगी को इस रोग से सम्बन्धित पूरी जानकारी रखना चाहिए या चिकित्सक या आहार-विशेषज्ञ से परामर्श करते रहना चाहिए।

रोगी के लिए उचित शिक्षा

यह रोग नियन्त्रित तो किया जा सकता है पर जड़ से समान्य नहीं किया जा सकता इसलिए जाहिर बात है कि जीवन पर्यन्त इस रोग के साथ जीना पड़ता है। ऐसी सूरत में रोगी को यह जानकारी यानी शिक्षा प्राप्त करनी ही होगी कि सन्तुलित व नियमित आहार-विहार क्या होता हैनियमित दिनचर्या क्या होती हैपथ्य क्या है अपथ्य क्या हैरोग होने के कारण व लक्षण क्या हैंइन्हें नियन्त्रित कैसे किया जा सकता हैत्वचा की सुरक्षा व स्वच्छता क्यों और कैसे की जाए आदि सम्पूर्ण जानकारी प्रापत करनी होगी ताकि तदनुसार अमल करके रोग को बढ़ने से रोक सके और नियन्त्रण बनाए रख सके। इस दिशा में उचित मार्गदर्शन और जानकारी देने के लिए कुछ हितकारी व उपयोगी निर्देश प्रस्तुत किये जा रहे हैं-

भोजन में शक्करमीठे फल या इनका रस व शहद के स्थान पर ज्वारगेहबाजरा जैसे स्टार्च युक्त पदार्था का समावेश करें। सलाद में प्रयुक्त की जाने वाली सभी सब्जियांहरी पत्तेदार शाक का भरपूर सेवन करें। ोयाबीन या चने का आटा मिले आटे की रोटी खाएं। भोजन पकाने में चिकनाई का उपयोग कम से कम करें। तले हुए पदार्था की अपेक्षा भाप से पके या उबले हुएभुने हुए पदार्था का सेवन करें। रेशायुक्त पदार्था और चोकर मिले आटे व छिलका सहित दाल का प्रयोग करें। मैदाछिलका सहित दालफलशाक आदि का सेवन न करें।

अन्त मेंसारांश की बात यह है कि रोग से बचाव करने के लिए उचित एवं सन्तुलित आहारहितकारी विहार यानी दिनचर्या और रहन सहननियमपरहेज आदि की पूरी पूरी जानकारी प्राप्त कर उचित आचरण करना चाहिए फिर भी यदि कोई लक्षण या कष्ट हो तो चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए। ऐसा करके मधुमेह का रोगी भीसामान्य स्वस्थ व्यक्ति की तरहखुशहाल जीवन जी सकता है।

(साई फीचर्स)