पश्चिम निमाड़ के एक छोटे-से गाँव बड़गाँव के रहने वाले बंकिम सेन के 11 वर्षीय बेटे कौशिक को बोन मेरो ट्रांसप्लांट से एक नया जीवन मिला है।
बंकिम सेन अपना जीवन निर्वाह हेयर सेलून दुकान से सीमित आय में कर पा रहे थे। एक दिन अचानक से उनके 11 वर्षीय बेटे कौशिक को बुखार आया। अस्पताल में भर्ती करने पर मालूम हुआ कि बच्चे को डेंगू हुआ है और उसके प्लेटलेट्स कम हो गये हैं। इलाज के बाद उनके बेटे को फिर बुखार आया। इस दौरान उन्हें खून चढ़ाने की व्यवस्था भी की गई। इन सबके बावजूद भी कौशिक के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ और उन्हें इंदौर में विशेषज्ञ चिकित्सक को दिखाने की सलाह दी गई। जाँच में कौशिक को ल्यूकेमिया नामक कैंसर का पता चला। इस खबर के बाद बंकिम सेन के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। डॉक्टर ने उनके इलाज पर 30 से 35 लाख रुपये का खर्च बताया।
इसके बाद बंकिम सेन ने इंदौर में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सकों से सम्पर्क किया। चिकित्सकों की सहायता से कौशिक के उपचार पर हुए आवश्यक खर्च के लिये पीएम केयर, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान निधि और आयुष्मान भारत योजना से व्यवस्था हुई। सभी ने पीड़ित परिवार को बेटे कौशिक के जीवन को बचाने के लिये आर्थिक सहयोग किया। अब बंकिम का बेटा कौशिक पूरी तरह से स्वस्थ होकर स्कूल जाता है। वे बताते हैं कि चिकित्सकों के बताये अनुसार बेटे कौशिक के स्वास्थ्य का ध्यान रखा गया। कौशिक को उनके बड़े भाई कृष्णकांत ने बोन मेरो डोनेट किया है।
बंकिम बताते हैं कि गंभीर बीमारी के दौरान यदि चिकित्सकों की सही सलाह मिल जाये तो कठिन से कठिन समय में भी राहत मिल जाती है। ऐसा ही उनके साथ हुआ। इसके लिये वे राज्य सरकार और चिकित्सकों की टीम को धन्यवाद देना भी नहीं भूलते हैं।
(साई फीचर्स)
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