जानिए कैसे रखना है जन्माष्टमी का व्रत एवं क्या रहेगा पूजन का समय . . .

जन्माष्टमी का व्रत, पूजन विधि, कथा सब कुछ जानिए विस्तार से . . .
भगवान श्री कृष्ण को कौन नहीं जानता, बाल्यकाल से ही उनकी लीलाएं इतनी मनभावन रही हैं कि हर कोई कान्हा के प्रेम में पागल ही नजर आता है। जन्माष्टमी, जिसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। जन्माष्टमी, सनातन हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव मनाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण को धर्म, करुणा और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व को भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी की कथा और पूजा विधि के बारे में विस्तार से।
जन्माष्टमी के महूूर्त के संबंध में जानकार विद्वानों का मत है कि पूजन मुहूर्त 26 अगस्त 2024 रात 12 बजे से देर रात 12 बजकर 44 मिनट तक होगा।
आईए जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा विधि के बारे में, जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष तरीके से की जाती है। पूजा विधि में सबसे पहले पूजा की तैयारी कर लें। पूजा के लिए एक साफ स्थान का चयन करें। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करने के पूर्व आटे से चौक बनाए। पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, धूप, अगरबत्ती, फूल, फल, मिठाई, चंदन, कुंकुम आदि एकत्रित करें। पूजा स्थल को फूलों और रंगोली से सजाएं।
इसके लिए पूजन सामग्री क्या होगी इस बारे में जानकार विद्वानों का कहना है कि पूजन के लिए भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र, कलश, घी का दीपक, अगरबत्ती और कपूर, चंदन, केसर, कुमकुम, अक्षत (चावल), पीले रंग के वस्त्र, फूलों की माला और तुलसी माला, माखन और मिश्री, पंचामृत जिसमें दूध, दही, घी, शहद, और गंगाजल शामिल हो, मौसमी फल, मिठाई, और पंचमेवा इसमें शामिल कर लीजिए।
पूजन विधि के संबंध में जानकार विद्वानों का कहना है कि सबसे पहले स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और वहां गंगाजल छिड़कें। पूजा स्थल पर एक कलश रखें और उसमें जल भरें। कलश के ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें। घी का दीपक जलाएं और अगरबत्ती व कपूर जलाकर वातावरण को सुगंधित करें। भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें शुद्ध जल से स्नान कराएं। भगवान को पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और फूलों की माला अर्पित करें। उन्हें तुलसी माला भी पहनाएं।
इसके बाद सबसे पहले विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी का पूजन करें। फिर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। भगवान को नए वस्त्र पहनाएं। भगवान को चंदन, कुंकुम और फूलों से श्रृंगार करें। भगवान को चंदन, केसर, और कुमकुम का तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं। भगवान को दूध, दही, घी, शहद आदि से अभिषेक करें। भगवान को माखन, मिश्री, फल, मिठाई, और पंचमेवा का भोग लगाएं। भगवान का आराधना मंत्रों का जाप करते हुए करें। भगवान को भोग लगाएं। आरती उतारें। इसके बाद प्रसाद का वितरण करें।
जानकार विद्वान विशेष पूजन विधि के बारे में भी बताते हैं कि जन्माष्टमी के दिन विशेष पूजन विधि का पालन करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन इस विधि से पूजा कीजिए जिससे आपको भगवान श्री कृष्ण की असीम कृपा की प्राप्ति हो सकती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण को मोर मुकुट पहनाएं। यह उन्हें बहुत प्रिय है। भगवान को झूले में बैठाएं और झूले को फूलों से सजाएं। पूजा के दौरान श्री कृष्णाय नमः एवं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्रों का जाप करते रहें।
जन्माष्टमी पर इन 56 भोग को लगाया जा सकता है, जिसमें भात, सूप, चटनी, कढ़ी, दही, बटक, मठरी, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, शाक की कढ़ी, सिखरन, शरबत, बालका, इक्षु, पगी हुई महारायता, फेनी, पूड़ी, खजला, घेवर, मालपुआ, थूली, परिखा, सौंफ युक्त बिलसारू, लड्डू, साग, लौंगपुरी, खुरमा, दलिया, अधौना अचार, पापड़, गाय का घी, सीरा, लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, मोठ, खीर, दही, मोहन भोग, लवण, कषाय, मधुर, तिक्त, कटु, मक्खन, मलाई, रबड़ी, तांबूल और अमल आदि शामिल हैं।
आईए अब जानते हैं व्रत और उपवास के संबंध में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखें और उपवास करें। यह व्रत आध्यात्मिक शुद्धिकरण के लिए महत्वपूर्ण है। कई लोग जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हैं। व्रत रखने वाले लोग दिन भर कुछ नहीं खाते-पीते हैं या फिर फलाहार करते हैं।
अब आपको बताते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत क्यों रखा जाता है? जन्माष्टमी का व्रत भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा दिखाने के लिए रखा जाता है। इस व्रत को रखने से भक्तों को मन की शांति, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति भक्तिभाव से जन्माष्टमी का व्रत रखता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
आईए जानते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत कैसे रखें? जन्माष्टमी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। व्रत रखने वाले लोग दिन भर कुछ नहीं खाते-पीते हैं या फिर फलाहार करते हैं।
जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन भक्तजन भगवान की पूजा अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई लीलाएं कीं, जिनसे हमें धर्म, करुणा और प्रेम का मार्ग दिखाया। जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है।
जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों की याद दिलाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कर्मयोग, भक्तियोग, और ज्ञानयोग का उपदेश दिया है। उनका जीवन हमें धर्म, सत्य, और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
अब आपको बताते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कथा की कथा के संबंध में, महाभारत के अनुसार, कंस नामक एक राक्षस राजा था। एक ऋषि के श्राप के कारण, कंस को अपने आठवें पुत्र से मृत्यु का भय था। इस भय के कारण, कंस ने देवकी और वसुदेव के सभी बच्चों को मार डालने का आदेश दिया था। लेकिन, भगवान विष्णु ने देवकी के आठवें पुत्र के रूप में जन्म लेने का निश्चय किया था। रात्रि के समय, कंस ने देवकी और वसुदेव को बंदी बना रखा था। जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो वसुदेव ने उन्हें उठाकर मथुरा से गोवर्धन पर्वत पर स्थित नंदगांव ले गए और वहां नंद और यशोदा के यहां उनके बदले में एक नवजात कन्या को रख दिया। इस प्रकार, श्रीकृष्ण बालक रूप में गोपियों के बीच पले-बढ़े और उन्होंने कई लीलाएं कीं।
जन्माष्टमी की कुछ अन्य परंपराएं भी जानिए, मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी के बारे में आपको बताते हैं। मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं और भक्तजन दूर-दूर से यहां आते हैं।
इसके अलावा जन्माष्टमी के दिन रासलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की लीलाओं को नाटक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। वहीं, जन्माष्टमी के दिन दाही हांडी का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें युवा मंडली र्मिीी के घड़े को तोड़ने का प्रयास करते हैं।
जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है। इस दिन भक्तजन भगवान की पूजा अर्चना करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई लीलाएं कीं, जिनसे हमें धर्म, करुणा और प्रेम का मार्ग दिखाया। जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है। जन्माष्टमी पूजन विधि का पालन करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करें और उनके उपदेशों का पालन करें।
अगर आप भगवान श्री कृष्ण की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय श्री कृष्ण लिखना न भूलिए।
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