जानिए अजा एकादशी का व्रत, शुभ महूर्त, व्रत की विधि, कथा आदि के बारे में विस्तार से . . .

अजा एकादशी का व्रत रखने से होने वाले लाभों के बारे में जानिए . . .
आज हम बात करेंगे अजा एकादशी के बारे में, जो भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अजा एकादशी, हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि एवं भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से अजा नामक राक्षस का वध करने वाले भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चैबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। इस एकादशी का नाम अजा है। यह सब प्रकार के समस्त पापों का नाश करने वाली है। जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करना चाहिए। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति करना चाहते हैं।अजा एकादशी के दिन व्रत करने से व्यक्ति को अजा नामक राक्षस के वध का पुण्य प्राप्त होता है।
अजा एकादशी की तिथि के बारे में विद्वानों का मत है कि इस बार भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 29 अगस्त को प्रातः 1 बजकर 19 मिनट से शुरू होने वाली है और यह तिथि 30 अगस्त, शुक्रवार को प्रातः 1 बजकर 37 मिनट तक रहने वाली है। उदया तिथि के अनुसार भाद्रपद की पहली एकादशी यानी अजा एकादशी का व्रत 29 अगस्त, गुरुवार को रखा जाएगा।
अजा एकादशी पर शुभ योग के संबंध में विद्वान जानकारों का मत है कि इस बार अजा एकादशी के दिन 29 अगस्त को 2 शुभ योग बन रहे हैं। सुबह से लेकर शाम 6 बजकर 18 मिनट तक सिद्धि योग है। शाम 4 बजकर 39 मिनट से अगले दिन 30 अगस्त को सुबह 5 बजकर 58 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। ये दोनों योग पूजा-पाठ के लिए बहुत फलदायी माने जाते हैं। व्रत के दिन सुबह से शाम 4 बजकर 39 मिनट तक आर्द्रा नक्षत्र है।
अजा एकादशी का पूजा मुहूर्त के बारे में विद्वान जानकार बताते हैं कि अजा एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा के लिए सूर्याेदय के बाद सुबह 5 बजकर 58 मिनट के बाद सर्वाेतम मुहूर्त है। इस दिन रात में 1 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 34 मिनट तक राहुकाल है, इस समय में पूजा ना करें।
अजा एकादशी व्रत पारण का समय इस प्रकार है। अजा एकादशी व्रत का पारण 30 अगस्त को करना होगा। व्रत पारण का समय सुबह 7 बजकर 49 मिनट से सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक है।
अजा एकादशी की कथा जानिए, अजा एकादशी की कथा पुराणों में वर्णित है। एक बार ब्रम्हााजी ने अपने पुत्र च्यवन को एकादशी व्रत करने का आदेश दिया। च्यवन ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया और एकादशी व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से च्यवन को अमरत्व प्राप्त हुआ।
एक बार अजा नामक एक राक्षस ने देवताओं को पराजित कर दिया। देवता भयभीत होकर भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु ने अजा का वध करने के लिए अपने वामन अवतार का रूप लिया। वामन अवतार ने अजा से तीन पग भूमि मांगी। अजा ने सहमति दे दी। वामन ने अपने पहले पग से पृथ्वी को नाप लिया, दूसरे पग से आकाश को नाप लिया और तीसरे पग से अजा को अपने पैर के नीचे दबा दिया। इस प्रकार अजा का वध हो गया और देवता विजयी हुए।
कुंतीपुत्र युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! भाद्रपद कृष्ण एकादशी का क्या नाम है? व्रत करने की विधि तथा इसका माहात्म्य कृपा करके कहिए। मधुसूदन कहने लगे कि इस एकादशी का नाम अजा है। यह सब प्रकार के समस्त पापों का नाश करने वाली है। जो मनुष्य इस दिन भगवान ऋषिकेश की पूजा करता है उसको वैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है। अब आप इसकी कथा सुनिए।
प्राचीनकाल में हरिशचंद्र नामक एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। उसने किसी कर्म के वशीभूत होकर अपना सारा राज्य व धन त्याग दिया, साथ ही अपनी स्त्री, पुत्र तथा स्वयं को बेच दिया। वह राजा चांडाल का दास बनकर सत्य को धारण करता हुआ मृतकों का वस्त्र ग्रहण करता रहा। मगर किसी प्रकार से सत्य से विचलित नहीं हुआ। कई बार राजा चिंता के समुद्र में डूबकर अपने मन में विचार करने लगता कि मैं कहाँ जाऊँ, क्या करूँ, जिससे मेरा उद्धार हो।
इस प्रकार राजा को कई वर्ष बीत गए। एक दिन राजा इसी चिंता में बैठा हुआ था कि गौतम ऋषि आ गए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी सारी दुःखभरी कहानी कह सुनाई। यह बात सुनकर गौतम ऋषि कहने लगे कि राजन तुम्हारे भाग्य से आज से सात दिन बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अजा नाम की एकादशी आएगी, तुम विधिपूर्वक उसका व्रत करो।
गौतम ऋषि ने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे समस्त पाप नष्ट हो जाएँगे। इस प्रकार राजा से कहकर गौतम ऋषि उसी समय अंतर्ध्यान हो गए। राजा ने उनके कथनानुसार एकादशी आने पर विधिपूर्वक व्रत व जागरण किया। उस व्रत के प्रभाव से राजा के समस्त पाप नष्ट हो गए। स्वर्ग से बाजे बजने लगे और पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित और अपनी स्त्री को वस्त्र तथा आभूषणों से युक्त देखा। व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः राज्य मिल गया। अंत में वह अपने परिवार सहित स्वर्ग को गया।
अजा एकादशी व्रत का विधि के बारे में विद्वानों का मत है कि अजा एकादशी व्रत करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। व्रत करने वाले व्यक्ति को दिनभर केवल फल, सब्जियां और दूध का सेवन करना चाहिए। अन्न का सेवन वर्जित है। व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। पूजा के बाद व्रत का पारण करना चाहिए। पारण के समय तुलसी पत्र और चावल का सेवन करना चाहिए।
इस व्रत के लिए पूजन सामग्री क्या होना चाहिए इस संबंध में विद्वानों का मानना है कि भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र, एक सुंदर और स्वच्छ मूर्ति या चित्र का चयन करें। तांबे या मिट्टी का कलश लें और उसमें गंगाजल भरें। रोली, चंदन, भगवान विष्णु की तिलक लगाने के लिए। पूजन के लिए फूलों में तुलसी के पत्ते, कमल के फूल या अन्य शुभ फूल। धूप, दीप, पूजा के लिए शुद्ध घी का दीपक और धूप। नैवेद्य, फल, मिठाई, और अन्य शुद्ध भोजन। चावल अक्षत, पूजा के लिए चावल। इसके साथ ही यदि आप ब्राम्हाण हैं तो जनेऊ एवं पुष्पांजलि हेतु फूलों की माला का होना आवश्यक है।
व्रत और पूजा विधि जो विद्वानों ने बताई वह इस प्रकार है कि स्नान और शुद्धिकरण के लिए व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करें और पूजा स्थल को साफ करें, गंगाजल से छिड़काव करें। पूजा की तैयारी हेतु एक कलश में जल भरकर उसके ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और धूप-दीप से पूजा करें। इसके बाद मूर्ति या चित्र को एक स्वच्छ चैकी पर स्थापित करें और उस पर पीले वस्त्र बिछाएं। कलश को स्थापित करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। शुद्धता के लिए शंख बजाएं। दीपक जलाकर भगवान विष्णु को अर्घ्य दें। भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं। चंदन, रोली और फूलों से भगवान विष्णु का श्रृंगार करें। भगवान विष्णु को नेवैद्य अर्पित कर भोग लगाएं। उसके बाद विष्णु सहस्रनाम, श्री सूक्त या अन्य विष्णु मंत्रों का जाप करें आरती उतारें और उसके बाद प्रसाद को ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों को भी बांटें।
आईए जानते हैं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाले मंत्रों के बारे में, सर्वप्रथम विष्णु सहस्रनाम की महिमा जानिए, विष्णु सहस्रनाम का जाप करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्री सूक्त का जाप करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऊॅ नमो भगवते वासुदेवायः यह एक सरल मंत्र है जिसे बार-बार जपा जा सकता है। आप इन मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं . . .
ऊॅ नमो नारायणाय
ऊॅ नमोः भगवते वासुदेवाय
ऊॅ विष्णवे नमः
ऊॅ हूं विष्णवे नमः
ऊॅ अं वासुदेवाय नमः
ऊॅ आं संकर्षणाय नमः
ऊॅ अं प्रद्युम्नाय नमः
ऊॅ अः अनिरुद्धाय नमः
ऊॅ नारायणाय नमः
आईए जानें पारण विधि के बारे में, अगले दिन, द्वादशी तिथि को ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्नान करें और फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद फलाहार ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
इस दौरान रखी जाने वाली सावधानियों को भी बेहतर तरीके से जानिए, व्रत के दौरान मांस, मछली, अंडे, प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक पदार्थों का सेवन न करें। व्रत के दौरान झूठ न बोलें और किसी का अपमान न करें। व्रत के दौरान मन को शांत रखें और धार्मिक कार्यों में लगे रहें। इस दिन अन्न का सेवन न करें। फलाहार कर सकते हैं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और भगवद गीता का पाठ करें।
रात भर जागरण करें और भगवान विष्णु की कथा सुनें। द्वादशी का पालन जरूर कीजिए जिसमें अगले दिन ब्राम्हाण को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
अब जानिए अजा एकादशी के लाभों के संबंध में, जानकार विद्वानों का मत है कि अजा एकादशी व्रत करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। इनमें से कुछ लाभ जिनमें मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अजा नामक राक्षस के वध का पुण्य प्राप्त होता है। स्वास्थ्य लाभ होता है। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होता है। व्रत करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह भगवान विष्णु के धाम वैकुंठ को प्राप्त करता है। व्रत करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
अजा एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। अजा एकादशी का महत्व समाज में अत्यंत गहरा है। यह त्योहार लोगों को धर्म और आध्यात्म से जोड़ता है। अजा एकादशी के दिन लोग एक दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं और भोजन करते हैं। इससे सामाजिक सद्भाव बढ़ता है।
अजा एकादशी, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अजा एकादशी का महत्व समाज में अत्यंत गहरा है। यह त्योहार लोगों को धर्म और आध्यात्म से जोड़ता है।
अगर आप भगवान विष्णु के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में ऊॅ नमो नारायणाय, ऊॅ नमोः भगवते वासुदेवाय, ऊॅ विष्णवे नमः, ऊॅ हूं विष्णवे नमः, ऊॅ अं वासुदेवाय नमः, ऊॅ आं संकर्षणाय नमः, ऊॅ अं प्रद्युम्नाय नमः, ऊॅ अः अनिरुद्धाय नमः, ऊॅ नारायणाय नमः में से एक नाम लिखना न भूलिए।
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(साई फीचर्स)