जानिए कब मनाई जाएगी भगवान श्री कृष्ण का छठी उत्सव

भगवान श्री कृष्ण का छटी उत्सव 1 या 2 सितंबर को . . .

सनातन धर्म के अनुसार, जब घर में किसी बच्चे का जन्म होता है उसके छह दिन या फिर छः माह के बाद छठी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे ही भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के ठीक 6 दिन बाद उनकी छठी का पर्व भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल की श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बात करें, तो गृहस्थ लोगों ने 26 अगस्त को मना लिया है। वहीं वैष्णव संप्रदाय में 27 अगस्त को मनाया गया। भगवान बाल गोपाल की छठी भी देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है। श्री कृष्ण की छठी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म के छठे दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है। यह उत्सव न केवल कृष्ण भक्तों के लिए बल्कि भारतीय संस्कृति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए इस पर्व के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।

आईए सबसे पहले बात करते हैं भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म की,

भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा नगरी में हुआ था। उनके जन्म की कथा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक है। कंस, जो मथुरा का राजा था, ने अपनी बहन देवकी और उनके पति वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया था। कंस को यह भविष्यवाणी हुई थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसका वध करेगा। इसलिए, कंस ने देवकी के सभी बच्चैं को मारने का निर्णय लिया। लेकिन जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो वसुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के पास पहुंचा दिया।

द्वापर युग में, मथुरा नगरी में कंस के अत्याचार से पीड़ित होकर, देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र, श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। उनकी रक्षा के लिए, वसुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद बाबा और यशोदा के पास पहुंचा दिया था। छठी का पर्व, इसी पौराणिक घटना से जुड़ा हुआ है और यह कृष्ण के बाल्यकाल की याद दिलाता है।

कब है श्री कृष्ण की छठी 2024?

आप यह बात बेहतर तरीके से जानते हैं कि हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में देशभर में जन्माष्टमी का पर्व वर्ष 2024 में 26 और 27 अगस्त को मनाया गया। ऐसे में छठी 6 दिन बाद मनाई जाएगी। बता दें कि इस साल श्री कृष्ण की छठी 1 सितंबर को मनाई जाएगी।

श्रीकृष्ण की छठी पर बन रहे शुभ योग

जानकार विद्वानों का कहना है कि इस साल श्रीकृष्ण छठी के दिन आश्लेषा और मघा नक्षत्र के साथ परिघ और शिव योग भी बन रहा है। इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में ही विराजमान होंगे और चंद्रमा भी इसी राशि में आएंगे। ऐसे में इस अवधि में कान्हा की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति हो सकती है।

आईए बताते हैं कि आखिर क्यों मनाई जाती है भगवान श्री कृष्ण की छठी?

छठी, श्री कृष्ण के आगमन की खुशी का उत्सव है जो भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, किसी घर में बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद छठी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन षष्ठी देवी की पूजा करने से बच्चा का अच्छा स्वस्थ रहता है। षष्ठी देवी को बच्चों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत के मृत पुत्र को पुनर्जीवित किया गया था। इसी के कारण बच्चे के जन्म के छह दिन बाद छठी पूजा की जाती है।

आईए अब बताते हैं कि श्री कृष्ण छठी कैसे मनाएं?

जानकार विद्वानों के अनुसार छठी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। इस दिन ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान को विराजमान करें। इसके बाद लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराएं और नए वस्त्र स्थापित करें। इसके बाद भगवान को पीले चंदन या रोली का तिलक लगाएं। साथ ही फूल माला भी चढ़ाएं। दीपक जलाएं और आरती करें। माखन मिश्री और कढ़ी चावल का भोग लगाएं। इसके बाद लोगों में प्रसाद बांटें। अब भगवान से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि के लिए प्रार्थना करें।

ऐसे करें लड्डू गोपाल की पूजा

जो लोग कृष्ण छठी की तैयारी कर रहे हैं उन्हें पूजा से पहले सभी तैयारी संपूर्ण कर लेनी चाहिए। कृष्ण छठी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद मंदिर की सफाई करें और फिर लड्डू गोपाल जी को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर लड्डू गोपाल का अभिषेक करें। फिर लड्डू गोपाल को पीतांबरी यानि पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और चंदन का टीका लगाएं। इसके बाद उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाएं और प्रार्थना करें कि हमेशा आपके घर पर भगवान कृष्ण की कृपा बनी रहे।

जानिए कैसे करें कान्हा की पूजा

छठी के दिन सुबह स्नान आदि करने के साथ साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद कान्हा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान कराएं। इसके बाद दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर अभिषेक करें। इसके बाद साफ वस्त्र से पोंछ कर पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। इसके साथ ही मुकुट, आभूषण भी पहनाएं। फिर पीला चंदन का टीका लगाएं और फूल, माला चढ़ाएं। इसके बाद भोग में माखन-मिश्री या फिर कोई अन्य मिठाई खिलाएं। थोड़ा सा जल चढ़ाने के बाद घी का दीपक और धूप जला दें। इसके बाद श्री कृष्ण को उनके नाम जैसे लड्डू गोपाल, ठाकुर जी, कान्हा नंदलाला जैसे नामों से पुकारे। अंत में आरती कर लें।

जानिए भगवान श्रीकृष्ण की छटी की कहानी

आप सभी जानते होंगे कि माता देवकी द्वारा कृष्ण को जन्म देने के बाद उनके पिता वसुदेव जी उन्हें गोकुल में नंद बाबा के घर बारिश में एक टोकरी में छोड़ आए थे। जब कंस को पता चला कि उसका आठवां भांजा जो उसे मारेगा, पैदा हो चुका है और गोकुल में है, तो उसने राक्षसी पूतना को भगवान श्री कृष्ण को मारने का आदेश दिया।

कंस ने पूतना से कहा कि मथुरा और गोकुल के आसपास रहने वाले उन सभी बच्चैं को मार दो, जिनका जन्म पिछले 6 दिनों में हुआ है। पूतना ने कंस के निर्देशानुसार ऐसा ही किया। जब माता यशोदा को इस बात का पता चला, तो वह बहुत डर गईं और अपने बेटे को राक्षसी पूतना से बचाने के बारे में सोचने लगीं। इस कारण वह कान्हा की छठ मनाना भूल गईं।

जब कान्हा एक वर्ष के हुए, तो माता यशोदा ने उनके जन्मदिन पर गोकुल के लोगों को आमंत्रित किया। लेकिन गोकुल की महिलाएं कहने लगीं कि अभी तक कृष्ण की छठ नहीं मनाई गई है, तो उनका जन्मदिन कैसे मनाया जाएगा। इसके बाद बुजुर्गों और ब्राम्हाणों ने उन्हें कृष्ण की छठी की पूजा उनके जन्मदिन से एक दिन पहले करने की सलाह दी। सभी की सलाह मानकर मां यशोदा ने कान्हा के जन्मदिन से एक दिन पहले कृष्ण की छठी मनाई।

जानिए छठी का क्या महत्व होता है,

श्री कृष्ण जी की छठी का पर्व उनके जन्म के छठे दिन मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह दिन उनके जीवन के पहले संस्कार का प्रतीक है। इस दिन लड्डू गोपाल भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उन्हें नए वस्त्र पहनाए जाते हैं।

श्री कृष्ण की छठी का महत्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान तक ही सीमित नहीं है। यह पर्व, बच्चों के स्वस्थ जीवन और दीर्घायु की कामना के साथ, माता-पिता के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व, कृष्ण के जीवन के आरंभिक संस्कारों को याद दिलाता है और भक्तों को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, जब किसी घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है तो उसके छह दिन बाद छठी मनाई जाती है। इस दिन षष्ठी देवी की विधिवत पूजा की जाती है और अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। आपको बता दें कि षष्ठी देवी संतान की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत का मृत पुत्र पुनर्जीवित हो गया। यही कारण है कि छठा दिन इस देवी की पूजा का है।

छठी पूजन के मंत्र

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शांत्यै नमो नमः।

शुभायै देवसेनायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ओम।

वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नमः।

सुखदायै मोक्षदायै षष्ठीदेव्यै नमो नमः ओम।

श्री कृष्ण की छठी, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस पर्व के अवसर पर, विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भजन, कीर्तन, नृत्य और रासलीला, इस पर्व के प्रमुख आकर्षण हैं। रासलीला, कृष्ण और राधा की लीलाओं का मंचन, इस पर्व का एक अभिन्न अंग है। श्री कृष्ण जी की छठी का पर्व सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं। इससे सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना को बल मिलता है।

आधुनिक समय में छठी के बारे में कहा जा रहा है कि आज के समय में, छठी का त्योहार, परिवार और समुदाय को एक साथ लाने का एक माध्यम बन गया है। यह पर्व, बच्चों को भारतीय संस्कृति और धर्म से जोड़ने का एक अवसर प्रदान करता है।

भोग और प्रसाद के बारे में जानिए

इस दिन भगवान श्री कृष्ण को विशेष प्रकार के भोग लगाए जाते हैं। इनमें मक्खन, मिश्री, फल, मिठाई आदि शामिल होते हैं। मक्खन का भोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि श्री कृष्ण को मक्खन बहुत प्रिय था। पूजा के बाद इन भोगों को प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। श्री कृष्ण जी की छठी के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इनमें भजन, कीर्तन, नृत्य और नाटक शामिल होते हैं। विशेष रूप से रासलीला का आयोजन किया जाता है जिसमें श्री कृष्ण और राधा की लीलाओं का मंचन किया जाता है।

श्री कृष्ण जी की छठी का पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें भगवान श्री कृष्ण के जीवन और उनके उपदेशों की याद दिलाता है। इस दिन की पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हम भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।

अगर आप भगवान श्री कृष्ण की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय श्री कृष्ण लिखना न भूलिए।

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(साई फीचर्स)