जीवन मरण है शाश्वत सत्य, जानिए हमारे कर्मों के हिसाब से होता है फैसला . . .

शरीर छोड़ने के बाद आखिर आत्मा जाती कहां है! जानिए गरूण पुराण में क्या कहा गया है . . .
आप देख, सुन और पढ़ रहे हैं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज के धर्म प्रभाग में विभिन्न जानकारियों के संबंद्ध में . . .
आधुनिक विज्ञान चाहे जितनी भी तरक्की कर ले, पर मनुष्य के शरीर में आत्मा का कहां से और कैसे प्रवेश कैसे होता है और वह मानव शरीर को छोड़कर कैसे और कहां जाती है! इस बारे में अभी तक स्पष्ट तौर पर कुछ विज्ञान भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं है। सदियों पहले सनातन धर्म के लिखे गए ग्रंथों आदि में इस बात का वर्णन होना वास्तव में आश्चर्य जनक है कि आखिर आत्मा कहां से आती है और कहां चली जाती है।
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आत्मा का रहस्य धर्मशास्त्रों में वर्णित है, जो लोग धर्मशास्त्रों की बातों को पूर्ण रूप से सत्य मानकर अनुसरण करते हैं, उन्हें आत्मा, पुनर्जन्म के विधान पर कोई संशय नहीं होता, जो इस पर विश्वास नहंी करते उनके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। ऋषि महर्षियों ने अपने योग आदि बल से समूचे ब्रम्हाण्ड का निरीक्षण कर धर्मशास्त्रों की रचना मानव कल्याण एवं मार्गदर्शन हेतु की है। मृत्यु के उपरांत आत्मा के साथ क्या क्या होता है, आत्मा कहां जाती है, आगे की दुनिया कैसी है, विज्ञान की नजर में यह अभी तक एक रहस्य ही बना हुआ है क्योंकि एक बार शरीर को त्यागने के बाद वापस उस शरीर में प्रदार्पित होना असंभव है इसलिए आत्मा के संबंध में एकमात्र प्रमाण धर्मशास्त्र हैं। परमयोगी श्री आदिशंकराचार्य का परकाया प्रवेश सर्वविदित है।
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हम सभी इस बात को बेहतर तरीके से जानते हैं कि गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक ग्रंथ है। गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन, मृत्यु और उसके बाद के सफर यानी मृत्यु के बाद की स्थिति का वर्णन किया गया है। इसके अलावा गरुण पुराण में इंसान के अलग अलग कर्मों के लिए अलग अलग दंडों के बारे में भी बताया गया है। गरुड़ पुराण का पठन सामान्यतः किसी व्यक्ति की मृ्त्यु के बाद उसके दाह संस्कार के बाद अगले 13 दिनों तक किया जाता है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा कहां जाती है और अगर कोई मरने के बाद दोबारा जन्म लेता है तो कब, कहां और कितने दिन बाद लेता है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आत्मा एक लंबा सफर तय करती है। सबसे पहले तो आत्मा को यमलोक लेकर जाया जाता है। इसके बाद यमराज के सामने उसके कर्मों का हिसाब किताब होता है। अगर आपके कर्म बुरे हैं तो आपकी आत्मा को यमदूत सजा देते हैं। वहीं अगर आपके कर्म आच्छे हैं तो आपका सफर काफी आरामदायक रहता है। आपको बता दें कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमराज तक पहुंचने के लिए करीब 86 हजार योजन की दूरी तय करनी पड़ती है।
यह बात भी अकाट्य सत्य है कि मनुष्य संसार में आता है तो शरीर साथ होता है, लेकिन जाते समय वह भी साथ छोड़ देता है। मानव शरीर नश्वर है, जिसने जन्म लिया है उसे एक न एक दिन अपने प्राण त्यागने ही पड़ते हैं, भले ही मनुष्य या कोई अन्य प्राणी सौ वर्ष या उससे भी अधिक क्यों न जी ले लेकिन अंत में उसे अपना शरीर छोड़कर वापस परमात्मा की शरण में जाना ही होता है। अक्सर लोग सोचते हैं, मृत्यु के बाद आत्मा कया करेगी, कहां जाएगी? जन्म मरण के चक्र में मनुष्य अनेक बार जन्म लेता है लेकिन हममें से किसी को उस बारे में कुछ याद नहीं।
जन्म मृत्यु तो एक दूसरे के पूरक हैं, एक दूसरे के साथी हैं। संसार के सब ऐश्वर्य क्षणभंगुर है, विनाशशील हैं, शाश्वत नहीं। जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नए शरीर को प्राप्त होता है। जो आत्मा को समझ लेता है, वह मृत्यु के रहस्य को जान जाता है। जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म पुराने हो चुके कपड़े को उतारकर नए पहनने जैसा है।
वर्तमान मानव अपने को कई तरह के भय से जकड़ा हुआ पाता है जैसे असुरक्षा का भय, असफलता का भय इत्यादि, परंतु इन सभी से बड़कर एक भय है जो मनुष्य को जीवन पर्यन्त सताता रहता है, वह है मृत्यु का भय। हर व्यक्ति जानता है कि जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु सुनिश्चित है परंतु अपने अंतिम क्षणों तक वह इस अथक सत्य को झुठलाता रहता है और उसे स्वीकार नहीं कर पाता। जीवन, मृत्यु की एक धीमी, लंबित एवं सतत प्रक्रिया है।
मृत्यु में वहीं क्रिया तो पूर्ण होती है जिसका आरंभ जन्म से हुआ है और सही भी यही है कि मृत्यु का आरंभ जन्म से ही तो होता है, इसलिए अक्सर कहा जाता है कि, अंत ही प्रारम्भ है। गरूणपुराण एवं गीता आदि धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन से जन्म, मृत्यु एवं आत्मा से संबंधित तत्वों का बोध होता है। गीता के उपदेशों में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्मा अमर है उसका अंत नहीं होता, वह सिर्फ शरीर रूपी वस्त्र बदलती है। गरूड़ पुराण जो मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है उसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे यमदूत लेने आते हैं। मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है, यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं। शास्त्रों में वर्णित तथ्यों के कथन अनुसार अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे पीड़ा सहनी पड़ती है। आत्मा के बारे में सभी तत्व धर्मशास्त्रों में वर्णित हैं, इन्हें मानना अथवा न मानना व्यक्ति विशेष की इच्छा पर निर्भर करता है।
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(साई फीचर्स)