क्या है इस साल धनतेरस पर पूजन एवं खरीददारी का शुभ महूर्त?
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हर साल कार्तिक माह में पांच दिवसीय दीवाली महोत्सव का इंतजार सभी को बेसब्री से रहता है। पांच दिनों में पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चौदस, तीसरे दिन बड़ी दीवाली, चौथे दिन अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजन एवं अंतिम दिन यम द्वितीया पर भगवान चित्रगुप्त का पूजन एवं भाई दूज मनाया जाता है।
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं माता लक्ष्मी जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय माता लक्ष्मी एवं हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
सबसे पहले जानते हैं धनतेरस के बारे में, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि मंगलवार 29 अक्टूबर को मनाई जाएगी। शास्त्रों के अनुसार, इस तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इस वजह से इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी तिथि के नाम से ही जाना जाता है। भगवान धन्वंतरि के अलावा इस दिन माता लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। इस दिन दीपावली का पर्व शुरू हो जाता है और इस दिन सोना चांदी या नए बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
हिन्दी में धनतेरस एवं संस्कृत में इसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, वह पहला दिन है जो भारत के अधिकांश हिस्सों में दीवाली के त्योहार के आरंभ का प्रतीक माना जाता है।
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यह हिंदू कैलेंडर के अमांत परंपरा के अनुसार अश्विन या पूर्णिमांत परंपरा के अनुसार कार्तिक माह के अंधेरे पखवाड़े जिसे कृष्ण पक्ष कहा जाता है के तेरहवें चंद्र अर्थात त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन आर्युवेद के देवता धनवंतरी महाराज की पूजा की जाती है, जिन्होंने मानव जाति की भलाई के लिए आयुर्वेद का ज्ञान प्रदान किया और इसे बीमारी, व्याधियों की पीड़ा से छुटकारा दिलाने में मदद की। भारतीय आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी मंत्रालय ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने के अपने निर्णय की घोषणा की, जिसे पहली बार 28 अक्टूबर 2016 को मनाया गया। आइए जानते हैं धनतेरस क्यों मनाया जाता है और इसकी कहानी क्या है,
इस दिन से चिकित्सा विज्ञान का किया था प्रचार,
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को ही सबसे बड़ा धन माना गया है और इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश माना जाता है और इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। इस दिन घर के द्वार पर तेरह दीपक जलाए जाने की प्रथा है। धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है पहला धन और दूसरा तेरस जिसका अर्थ होता है धन का तेरह गुना। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण इस दिन को वैद्य समाज धन्वंतरि जयंती के रूप में मनाता है।
दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में, ब्राम्हण महिलाओं के द्वारा धनत्रयोदशी, नरक चतुर्दशी की पूर्व संध्या पर मरुंडू जिसका अर्थ है दवा बनाती हैं। मरुंडू को प्रार्थना के दौरान चढ़ाया जाता है और नरक चतुर्दशी के दिन सूर्याेदय से पहले खाया जाता है। कई परिवार अपनी बेटियों और बहुओं को दवा की रेसिपी अर्थात दवा बनाने की विधि को सौंपते हैं। शरीर में त्रिदोषों के असंतुलन को खत्म करने के लिए मरुंडू का सेवन किया जाता है।
वहीं, मध्य भारत में धनतेरस के अवसर पर सोना, चांदी, आभूषण, बरतन, झाडू आदि खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपनी क्षमता के अनुसार, सोना, चांदी, बर्तन आदि की खरीदारी करते हैं। क्योंकि इस दिन सोना और कोई बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। आमतौर पर, गुजराती परिवार नए साल का जश्न मनाने के लिए दाल बाथ और मालपुआ का आनंद लेते हैं।
जानिए किसलिए मनाया जाता है धनतेरस का पर्व,
शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। जिस तिथि को भगवान धन्वंतरि समुद्र से निकले, वह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। भगवान धन्वंतरि समुद्र से कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। भगवान धन्वंतरि को विष्णु भगवान का अंश माना जाता है और इन्होंने ही पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान का प्रचार और प्रसार किया। भगवान धन्वंतरि के बाद माता लक्ष्मी दो दिन बाद समुद्र से निकली थीं इसलिए उस दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इनकी पूजा अर्चना करने से आरोग्य सुख की प्राप्ति होती है।
जानिए धनतेरस कब है और पूजा का शुभ समय क्या है,
इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 34 मिनिट पर होगी, जिसका समापन बुधवार 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 17 मिनिट पर होगा। वहीं, धनतेरस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर शाम 6 बजकर 31 मिनिट से 8 बजकर 13 मिनिट तक रहेगा। इस तरह धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी, गणेश और कुबेर जी की पूजा के लिए कुल 1 घंटा 41 मिनट का समय मिलेगा।
अब जानिए धनतेरस 2024 पर खरीदारी का शुभ महूर्त के बारे में,
धनतेरस के दिन पूजा पाठ के साथ ही खरीदारी का भी विशेष महत्व है। इस दिन इस दिन लोग सोना, चांदी और बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। इसबार 29 तारीख को 10 बजकर 34 मिनिट के बाद से अगले दिन दोपहर 1 बजे तक खरीदारी कर सकते हैं। यह समय दिल्ली के अनुसार है, आप अपने स्थानीय समय के अनुसार इसे घटा बढ़ा सकते हैं।
धनतेरस के अवसर पर तीन शुभ महूर्त बन रहे हैं। जानिए पहला खरीदारी का मुहूर्त,
धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, इस योग में खरीदारी करना मंगलकारी माना जाता है। यह योग सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन तक 10 बजकर 30 मिनट पर रहेगा। इस योग में की गई खरीदारी करने से चीजों में तीन गुणा वृद्धि होती है।
अब जानिए दूसरा खरीदारी का मुहूर्त,
धनतेरस के दिन अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग बन रहा है और इस योग में खरीदारी करने से धन समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। यह मुहूर्त 29 अक्टूबर के दिन 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा, इस बीच में खरीदारी कर सकते हैं।
अब जानिए तीसरा शुभ मुहूर्त,
यह शुभ मुहूर्त संध्या 6 बजकर 36 मिनिट से अगले दिन प्रातः 8 बजकर 32 मिनिट तक रहेगा जो प्रदोष काल का है। इनमें से यह मुहूर्त सबसे उत्तम और शुभ माना जाता है।
सनातन धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, मृत्यु के देवता यमराज और कुबेर जी की पूजा होती है। माना जाता है की माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती और भगवान धन्वंतरि की आराधना करने से रोग से मुक्ति मिलती है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने का विधान है। साथ ही इसी दिन देवताओं के वैध भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति हुई थी। यही वजह है इस दिन धन्वंतरि जयंती भी मनाते हैं। हरि ओम,
अगर आप भगवान विष्णु जी एवं माता लक्ष्मी जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय विष्णु देवा, जय माता लक्ष्मी एवं हरिओम तत सत लिखना न भूलिए।
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