देवाधिदेव महादेव भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की कथा जानिए . . .

श्वानों से भगवान काल भैरव को क्यों था इतना अधिक लगाव!
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हिंदुओं के अराध्य और उनके द्वारा पूजे जाने वाले देवता काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। काल भैरव का वाहन श्वान (कुत्ता) है जो काशी के प्रवेश द्वार पर खड़ा होकर स्वर्ग को बाहरी खतरों से बचाता है। एक अन्य व्याख्या कहती है कि भैरव अपने श्वान को हथियार के रूप में लेकर दुनिया को राक्षसों से और अपने भक्तों को उनके आंतरिक राक्षसों जैसे लालच, वासना, भय आदि से बचाते हैं। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव के श्वान वेदों के अवतार चार विनम्र पिल्लों में बदल जाते हैं जिन्हें भगवान दत्तात्रेय के साथ भेजा जाता है।
अगर आप भगवान काल भैरव अथवा देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान शिव अथवा भगवान काल भैरव जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में ओम नमः शिवाय, जय काल भैरव लिखना न भूलिए।
भगवान दत्तात्रेय को हिंदू भगवान के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि वे ब्रम्हा, विष्णु और शिव के अवतार हैं। उनकी पूजा उनके सरल जीवन जीने के तरीके, सभी के प्रति दयालुता का उपदेश देने और अपने शिष्यों के साथ जीवन के अर्थ के बारे में ज्ञान साझा करने के लिए की जाती है। हालाँकि भारत भर में उनकी प्रतिमा अलग अलग है, लेकिन राजा रवि वर्मा द्वारा 1910 में बनाई गई एक पेंटिंग ने दत्तात्रेय की छवि को लोकप्रिय बना दिया, जिसमें वे एक गाय से घिरे हुए हैं वह माँ जो सभी जीवित प्राणियों का पोषण करती है और चार श्वान जो चार वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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वाराणसी में, भैरव के आठ सहायक पहलुओं, अष्ट भैरव को समर्पित आठ मंदिरों की आठ दिवसीय तीर्थयात्रा, पखवाड़े के पहले आठ दिनों में की जाती है, जिसका समापन भैरव अष्टमी के साथ होता है। भैरव अष्टमी पर, शहर के संरक्षक देवता काल भैरव की उनके मंदिर में पूजा की जाती है। शेष वर्ष के लिए, एक कपड़ा उनके चेहरे को छोड़कर केंद्रीय चिन्ह को ढकता है, हालांकि इस दिन, पूरी छवि को प्रकट करने के लिए कपड़ा हटा दिया जाता है। इस दिन छवि को चांदी की खोपड़ियों की माला से सजाया जाता है। पूरी छवि को देखने के अनूठे अवसर को पाने के लिए कई भक्त मंदिर में उमड़ पड़ते हैं।
भगवान शिव के ही क्रोध रूप वाले अवतार के रूप में बाबा काल की पूजा होती है। हिंदू धर्म में बाबा भैरव बहुत अधिक महत्व रखते हैं। भैरव का अर्थ होता है भय का हरण करने वाला। भगवान काल भैरव शिव जी के गण और पार्वती जी के अनुचर माने जाते हैं। इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है।
भगवान काल भैरव को तंत्र मंत्र के स्वामी के रूप में भी जाना जाता है। उनकी पूजा में कई प्रकार के सामग्री का प्रयोग किया जाता है। लेकिन उज्जयनी जिसे अब उज्जैन के नाम से जाना जाता है, में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान को मदिरा अर्पित की जाती है। आइए जानते हैं कि बाबा भैरव को शराब अर्पित करने के पीछे क्या कारण है, साथ ही इसे लेकर लोगों की क्या मान्यता है।
जानिए क्यों चढ़ाई जाती है शराब,
जानकार बताते हैं कि मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव तामसिक प्रवृति के देवता माने जाते हैं। इसलिए उन्हें मदिरा यानी शराब का भोग लगाया जाता है। इस मंदिर में शराब चढ़ाने का प्रचलन सदियों से जारी है। असल में काल भैरव के मंदिर में शराब चढ़ाना संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए लोग मदिरा चढ़ाते हैं, लेकिन इस शराब का उपभोग स्वयं नहीं करना चाहिए। इस मंदिर में रोजाना करीब एक हजार से ज्यादा बोतल शराब का भोग लगाया जाता था, बताते हैं कि अब काल भैरव में व्यवस्थाएं परिवर्तित हो चुकी हैं।
इस मंदिर में दूर दूर से लोग बाबा भैरव के दर्शन के लिए आते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी की मंदिर में मौजूद भगवान काल भैरव की मूर्ति शराब ग्रहण करती है। पुरातत्व विभाग और वैज्ञानिक भी इस राज का पता नहीं लगा पाए। जिस कारण इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था और भी बढ़ गई है। कहा जाता है कि काल भैरव मंदिर का निर्माण राजा भद्रसेन ने शिप्रा नदी के तट पर करवाया था। यह प्राचीन मंदिर अष्ट भैरवों में प्रमुख कालभैरव को समर्पित है।
काल भैरव जयंती पर जरूर करें ये उपाय तो आपको हो सकता है लाभ . . .
इस साल काल भैरव जयंति 22 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन काल भैरवजी की पूजा आदि करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति प्राप्त होती है। इतना ही नहीं इनकी पूजा करने से ग्रह बाधा और शत्रु बाधा दोनों से ही मुक्ति मिलती है। इनकी अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए कालाष्टमी के दिन से भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान काल भैरव को काले तिल, उड़द और सरसों का तेल का दीपक अर्पित करना चाहिए साथ ही मंत्रों के जाप के साथ ही उनकी विधिवत पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है।
भगवान काल भैरव के जन्मोत्सव के दिन भक्तों को ऐसे मंदिर में उनकी पूजा करनी चाहिए, जहां कम लोग आते हैं। ऐसा करने से भक्तों को उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ बाबा भैरवनाथ के मंदिर में दीप जलाने से और नारियल व जलेबी का भोग लगाने से देवों के देव महादेव अति प्रसन्न होते हैं और काल भैरव अपने भक्तों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते हैं।
शास्त्रों में बताया गया है कि काल भैरव जयंती के दिन स्नान स्नान करने के बाद ओम हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः, इस मंत्र का 5 माला जाप करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है। साथ की भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याएं दूर हो जाती हैं।
जो लोग दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति चाह रहे हैं। उन्हें काल भैरव जयंती के दिन शाम के समय शमी वृक्ष के नीचे, सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए। ऐसा करने से रिश्तो में आ रहे दरार को खत्म किया जा सकता है।
इस दिन शिवलिंग की पूजा का भी विशेष महत्व है। इसलिए काल भैरव जयंती पर 21 बेल पत्रों पर चंदन से ओम नमः शिवाय लिखें और फिर इन्हें शिवलिंग पर अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से रोग, भय और सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन श्रद्धानुसार साबुत बिल्ब अर्थात बेल पत्रों पर लाल या सफ़ेद चंदन से ओम नमः शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। बिल्ब पत्र अर्पित करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करें। इस तरह पूजा करने से काल भैरव प्रसन्न होकर आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।
भगवान कालभैरव का वाहन श्वान या कुत्ता है, इसलिए भैरव की कृपा पाने के लिए इस दिन काले श्वान को मीठी रोटी अथवा गुड़ के पुए खिलाएं। ऐसा करने से आपके जीवन से कष्टों का निवारण होगा। भगवान कालभैरव की उपासना से भूत, प्रेत एवं ऊपरी बाधाएं दूर होती हैं।सभी नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए इस दिन ओम काल भैरवाय नमः का जप एवं काल भैरवाष्टक का पाठ करना चाहिए।
भैरव की कृपा पाने के लिए इस दिन किसी भी भैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार अगरबत्ती जलाएं। पांच या सात नींबू की माला भैरव जी को चढ़ाएं। गरीब और बेसहारा लोगों को गर्म कपड़े दान करें। कालाष्टमी व्रत बहुत ही फलदायी मानी जाती है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। काल उससे दूर हो जाता है।
अगर आप भगवान काल भैरव अथवा देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी की अराधना करते हैं और अगर आप भगवान शिव अथवा भगवान काल भैरव जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में ओम नमः शिवाय, जय काल भैरव लिखना न भूलिए।
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