क्या बेहतर है जूस पीना या फल खाना?

कई लोगों का कहना है कि फलों का जूस पीना सेहत के लिए फायदेमंद है। तो वहीं कुछ लोग मानते हैं जूस नहींफल खाना ज्यादा हेल्दी होता है। दोनों में क्या बेहतर है आप भी यह जरूर जानना चाहते होंगे। तो जानिए फ्रूट और फ्रूट जूस से जुड़ी खास बातें…

मिथ: फ्रूट्स खाना हेल्दी होता हैबजाय जूस पीने के

फैक्ट: जूस भी हेल्दी होता है। फल के रस में भी उतने ही न्यूट्रिशंस होते हैंजितने फल में। दरअसलफलों के रस में फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैंजो हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। हांयह जरूर कह सकते हैं कि फलों में मौजूद फाइबर पेट के लिए काफी फायदेमंद होते हैं और जूस बनाने पर फाइबर नहीं मिल पातेलेकिन जूस पीने से आप तुरंत एनर्जेटिक हो जाते हैं। दरअसलफ्रूट जूस बॉडी में इंटरफेरान और ऐंटीबॉडीज के लेवल को बढ़ा देता है और इनमें पाया जाने वाला नेचरल शुगर हार्ट को स्ट्रॉग करता है। इससे बॉडी से यूरिक ऐसिड और दूसरे हार्मफुल केमिकल्स बाहर निकल आते हैंजिससे आप दिनभर एनजेर्टिक और फ्रेश बने रहते हैं।

मिथ: घर में बना फ्रेश फूट जूस ही पीना चाहिए

फैक्ट: घर पर बने जूस से आपको टेस्ट और न्यूट्रिशंस के साथ साफ जूस मिलेगा। यानी हाइजीन को लेकर कोई समस्या नहीं होगी। कई बार बाहर के जूस में फ्लेवर या पानी मिला दिया जाता हैजिससे जूस का फायदा आपको मिल ही नहीं पाता। सिर्फ इसलिए घर पर जूस बनाकर पीने की सलाह दी जाती है।

मिथ: अगर दिनभर में दो से तीन बार फ्रूट जूस पीना हैतो एक ही फल का पीएं

फैक्ट: अच्छा रहेगा कि आप बदलकर जूस पीएं। एक बार आप जिस फ्रूट का जूस पी चुके हैंउसे दोबारा न लें। अगली बार दूसरे फल का जूस लें। इससे आपका फैट नहीं बढ़ेगा और आपकी बॉडी को कई तरह के न्यूट्रिशंस मिल पाएंगे।

मिथ: ज्यादा जूस पीने से हेल्थ को नुकसान पहुंचता है

फैक्ट: यह सच है। फलों के रस में विटमिनप्रोटीनफैट्समिनरल्स और विटमिन-सी की मात्रा अधिक नहीं होतीलेकिन शुगर की मात्रा इसमें बहुत ज्यादा होती है। इसलिए फलों का रस पीने के बाद लूज मोशन या फिर पेट दर्द जैसी शिकायत हो सकती है। अगर आप जूस ज्यादा पीते हैंतो बॉडी में बहुत ज्यादा कैलरीज जाएंगी।

मिथ: पैक्ड जूस से वजन बढ़ता है

फैक्ट: पैक्ड जूस में हाई कैलरीज होती हैंजिससे वजन बढ़ सकता है। इनमें एनर्जी का लेवल बहुत हाई होता है। इनके इस्तेमाल से भूख तो बढ़ती हैलेकिन वजन बढ़ने की संभावना भी काफी हद तक बढ़ जाती है। ऐसे में वेट कम करने की कोशिशें बेकार जाती हैं।

मिथ: पैक्ड जूस से पेट में दिक्कत हो सकती है

फैक्ट: कुछ फलों में सार्बिटॉल जैसी शुगर होती हैजिससे पेट संबंधी प्रॉब्लम हो सकती है। चेरीनाशपातीऐपल जैसे फलों में ऐसा ही शुगर पाया जाता है। इन फलों के पैक्ड जूस पीने से गैस और डायरिया की संभावना बढ़ जाती है। रिफाइंड शुगर से बने होने के कारण पैक्ड जूस डायबिटीज के मरीजों के लिए हानिकारक साबित होते हैं। भले ही इनकी पैकिंग में लो शुगर लिखा होफिर भी शुगर के मरीजों को इनके सेवन से बचना चाहिए। पैक्ड जूस में फ्रूट की स्किन नहीं होतीइसलिए नेचरल फाइबर्स नहीं मिल पाते हैं।

शरीर को फूट और वेजिटेबल्स अब्जॉर्ब करने में जितना समय लगता हैउससे कम समय में जूस अब्जॉर्ब हो जाता है। ऐसे में ब्लड शुगर तेजी से बढ़ता है। कई फलों के छिलके में बड़ी मात्रा में फाइबर मौजूद होते हैं। कुछ फलों के छिलकों में कैंसर रोकने वाले न्यूट्रिशंस भी होते हैं। जबकि पैकिंग में यूज होने वाले फ्रूट से फलों के छिलके हटा दिए जाते हैं।

मिथ: मिक्स फूट्स जूस ज्यादा हेल्दी होता है

फैक्ट: जरूरी नहीं कि दो फलों से बना हर तरह का जूस आपको फायदा ही देगा। मसलनअंगूरसेब और संतरे जैसे फलों का रस मिलाकर पीना हार्ट की प्रॉब्लम और इन्फेक्शन से गुजर रहे लोगों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। दरअसलये फल दवाइयों का इफेक्ट आधा कर देते हैं। कनाडा के वेस्टर्न आंटारियो यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम के मुताबिककुछ खास दवाओं के साथ फलों के रस का सेवन उस दवा के असर को कम कर सकता है। अगर आप जूस पी रहे हैंतो शुरू में केवल 100 मिली जूस ही लें। इसके बाद रोजाना 50 मिली के हिसाब से बढ़ाएं। 400 मिली से ज्यादा मिक्स जूस कतई न लें।

(साई फीचर्स)