बरसात का मौसम बीमारियों का होता है, इस दौरान तमाम तरह के संक्रमण शरीर को प्रभावित करते हैं। यदि आप गर्भवती हैं तो इस मौसम अतिरिक्त सावधानी बरतने की कोशिश कीजिए। गर्भकाल के दौरान लापरवाही ना सिर्फ मां बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए इस मौसम में महिला को जरा संभलकर रहना चाहिए।
मानसून के दौरान अधिक पसीना आना लाजमी है। ऐसे में आप कम्फरर्टेबल कपड़े ही पहनें। खासकर तब जब आप गर्भावस्था के अंतिम तीन महीनों में हों। बेहतर रहेगा कि इस दौरान आप हल्के रंग के सूती कपड़ों को ही तरजीह दें। सिंथेटिक कपड़ों से दूर रहें। क्योंकि वे कपड़े गर्म होते हैं तो यह आपके लिए उपयुक्त नहीं रहेंगे। इन्हें पहनने से त्वचा पर रेशज पड़ सकते हैं।
गर्भावस्था की खरीददारी मौसम के अनुसार ही करें। पैरों में भी अच्छे जूते या चप्पल पहनें क्योंकि इस मौसम में सड़कों पर काफी फिसलन होती है। अगर आप आॅफिस जाती हैं तो बेहतर रहेगा अगर आप अपने पास एक अतिरिक्त जोड़ी जूते और कपड़े रखें। इससे बरसात में कपड़े गीले होने पर भी आपके पास विकल्प रहेगा। आइए जानते हैं कि मानसून में कैसे रखें अपना खयाल।
स्वच्छता का खास खयाल रखें
संभव हो तो दिन में दो बार नहाएं। इससे आप तरोताजा महसूस करेंगी। नहाने के बाद अपने बदन को अच्छे से सुखाएं। चेहरे की चिकनाई और पसीना पोंछने के लिए अपने पास गीला तौलिया या भीगे हुए फेस टिश्यू रखिए। अगर आप चाहें तो गुलाब जल का स्प्रे भी इस्तेमाल कर सकती हैं। नंगे पैर घर से बाहर न निकलें, भले ही यह घर का आंगन या लॉन ही क्यों न हो। लॉन में बरसात का गंदा पानी हो सकता है जिससे आपको इन्फेरक्श न हो सकता है। इसके साथ ही पैर में कुछ चुभ भी सकता है। अपने हाथ-पैरों को गुनगुने पानी में साबुन से धोते रहें। खासतौर पर बाहर से घर लौटने पर। बरसात में इस्तेमाल करने वाले अपने सामान, छाता, रेनकोट, जुराबें, जूते और कपड़ों आदि की सफाई पर भी पूरा ध्यान देंबाहा इनमें कीटाणु रहने पर आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है।
खाने-पीने का रखें ध्यान
इस मौसम में खान-पान पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। खाना पकाने से पहले अपने हाथ-पैर अच्छी तरह से धो लें। अगर आपने घर में काम करने के लिए मेड रखी हुई है तो उसे भी ऐसा करने के लिए बोलें। इसके साथ ही उसकी भी साफ-सफाई का ध्यान रखें। बिना ढ़का खाना न खाएं। इस मौसम में बीमारियां एक से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्दी फैलती हैं। इस बात का भी ध्यांन रखें कि आपके परिवार में भी कोई व्यक्ति किसी बीमारी खासतौर पर मौसमी बीमारी, जैसे बुखार या वायरल इन्फेक्शरन से पीड़ित न हो।
बाहर खाने से बचें
बेहतर है कि आप सड़क किनारे मिलने वाले खाने से परहेज करें। माना कि चाट-पापड़ी, गोलगप्पे और टिक्की देखकर आप खुद पर काबू नहीं रख पातीं, लेकिन यकीन जानिए ये सब आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं। अगर यह सब खाने का बहुत मन कर ही रहा है तो ऐसी जगह तलाशें जहां स्वच्छता का खास खयाल रखा जाता हो। लेकिन दही और उससे बनी चाट का परहेज करना बेहतर रहेगा।
खाना पकाने से पहले
बर्तनों, सब्जियों और दालों को भी धोने के लिए भी साफ पानी ही इस्तेमाल करें। हरी पत्तेदार सब्जियों को साफ करने में खास सावधानी बरतें। इन्हें उबले हुए पानी से अच्छे से कई बार धोएं। साथ ही इन हरी पत्तेदार सब्जियों को गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर 10-15 मिनट के लिए भिगोकर रख दें। इसके बाद बचा हुआ पानी गिरा दें। ऐसा करने से इनमें मौजूद कीटाणु समाप्त हो जाएंगे।
खूब पीएं पानी
सबसे ज्यादा बीमारियां पानी से ही होती हैं। इसलिए इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है। उबला या फिल्टर पानी ही पीएं। नींबू पानी, नारियल पानी, खस का शरबत और गुलाब का शरबत गर्मी से राहत पहुंचाकर तरोताजा रखते हैं। घर से बाहर जाने पर भी सीलबंद बोतल या फिल्टर पानी ही पीएं।
ताजा खाएं
जहां तक हो सके ताजा खाना ही खाएं। बिजली लगातार आती-जाती रहती है ऐसे में फ्रिज में रखा खाना भी खराब हो सकता है। इसलिए ताजा बनाएं और ताजा खाएं। बेहतर होगा कि थोड़ा-थोड़ा ही बनाएं ताकि खाना खराब न हो। कभी-कभार ही पैक्ड भोज्य पदार्थों का सेवन करें।
घर भी रखें साफ
इस मौसम में नमी के कारण कीटाणु तेजी से बढ़ते हैं। इसलिए घर की खिघ्ड़कियां खोलकर रखने से क्रॉस वेंटिलेशन होता रहेगा। साथ ही टूटे बर्तनों, फूलदानों और कूलर आदि में जमा पानी में मच्छर पैदा हो सकते हैं, जिनसे आपको मलेरिया, डेंग्यू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। घर की साफ सफाई पर खास ध्यान दें। कमरों और टॉयलेट के लिए अच्छे क्लीनर का ही इस्तेमाल करें। ध्यान रखें कि घर की दीवारों पर किसी तरह की सीलन तो नहीं खासतौर पर बिजली की फिटिंग्स के पास। अगर ऐसा है तो बिजली मैकेनिक को बुलाकर इसकी जांच करवा लें।

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