नालायकों, क्या तुम लोग एक दिन बिना घी के खाना नहीं खा सकते थे . . .

एक आदमी महा कंजूस था।

उसने एक शीशी में घी भर कर उसका मुँह बंद किया हुआ था।

जब वह और उसके बेटे खाना खाते तब शीशी को रोटी से रगड़ कर खाना खा लेते थे।

एक बार महा कंजूस किसी काम से बाहर चला गया।

लौटने पर उसने बेटों से पूछा : खाना खा लिया था।

बेटे बोले : हाँ।

महा कंजूस : पर शीशी तो मैं अलमारी में बंद करके गया था।

बेटे बोले : हमने अलमारी के हैंडल से रोटियाँ रगड़ कर खा लीं।

महा कंजूस नाराज हो कर बोला :

नालायकों, क्या तुम लोग एक दिन बिना घी के खाना नहीं खा सकते थे।

बेटे बेहोश!

(साई फीचर्स)