करंट ना मारे, फेर बात करीए!

एक दिन पड़ोस को छोरो आ के पडोसी चाचा सु बोल्यो :

रे चाचा. . .. थारी इस्तरी दे दे

चाचो आपकी लुगाई की ओर इसारो करके बोल्यो :

ले जा. . . वा बैठी।।

छोरा चुप चाप देखन लाग्यो और बोल्यो..

चाचा यो नहीं.. कपडे हाली चाए।।

चाचो बोल्यो :

रे बावला, या तने बगैर कपड़ा की दीखे है के।

छोरा गुस्सा में चीख्यो

रे चाचा.. तू बावलो ना बन.. करंट ह़ाली इस्त्री चाए.. करंट हाली. . .

चाचो भी उछलकर बोल्यो,

बावली पूँछ. . .. हाथ तो लगा के देख..

करंट ना मारे, फेर बात करीए!

(साई फीचर्स)