भारत के 5 रहस्यमयी नाग मंदिर, कालसर्प दोष और अन्य बाधाओं से मुक्ति का मार्ग
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सनातन धर्म में सावन मास और नाग पंचमी पर्व का विशेष महत्व है। नाग पंचमी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, और इस साल यह पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से कुंडली का कालसर्प दोष दूर हो जाता है। यही वजह है कि भक्त इस दिन नागों की पूजा करते हैं, उन्हें दूध चढ़ाते हैं और उनसे अपने खुशहाल जीवन का आशीर्वाद मांगते हैं।
भारत में कई नाग मंदिर मौजूद हैं, लेकिन आज हम आपको 5 ऐसे रहस्यमयी और प्रसिद्ध नाग मंदिरों के बारे में बताएंगे, जिनका इतिहास न केवल बेहद रोचक है, बल्कि यहाँ पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली का कालसर्प दोष भी ठीक हो जाता है।
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अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
आइ्रए अब जानते हैं भारत के पांच प्रसिद्ध नाग मंदिर जहाँ पूजा से दूर होता है कालसर्प दोष, आईए इसके बारे में जानते हैं।
सबसे पहले बात करते हैं, उज्जैन के नागचन्द्रेश्वर मंदिर के बारे में,
देवाधिदेव महादेव, ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव के महाकाल स्वरूप की नगरी उज्जैन में नागों का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है। नागचन्द्रेश्वर मंदिर बाबा महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर का रहस्य यह है कि यह भक्तों के लिए साल में केवल एक बार, नाग पंचमी के अवसर पर ही खुलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहाँ नागों के राजा तक्षक स्वयं विराजमान रहते हैं और इस स्थान पर पूजा करने से सर्प दोष का भय दूर हो जाता है।
दूसरे नंबर पर उत्तराखण्उ के सेम-मुखेम नागराजा मंदिर के बारे में आपको बताते हैं,
उत्तराखंड के टिहरी में स्थित सेम-मुखेम नागराजा मंदिर के गर्भगृह में नागराजा की स्वयंभू-शिला है। यहाँ के स्थानीय लोगों की मान्यता है कि द्वारका नगरी के जलमग्न होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण यहाँ नागराज के रूप में प्रकट हुए थे। यह भी माना जाता है कि मुखेम गाँव की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। यह नाग तीर्थ पर्वत के सबसे ऊपरी भाग में स्थित है।
तीसरे नंबर पर बात करते हैं तीर्थ संगम प्रयागराज के वासुकी नाग मंदिर के बारे में,
तीर्थ नगरी प्रयागराज के संगम तट पर दारागंज क्षेत्र में वासुकी नाग का एक प्रसिद्ध मंदिर है। वासुकी नाग मंदिर को शेषराज, अनंत, सर्वाध्यक्ष और सर्पनाथ के नाम से भी जाना जाता है। वासुकी नाग वही नाग हैं जो भगवान शिव के गले में लिपटे हुए हैं। मान्यताओं के अनुसार, वासुकी नाग मंदिर में पूजा करने से जातक के जीवन से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
वहीं चौथे नंबर पर चर्चा करते हैं केरल के प्रसिद्ध मन्नारशाला नाग मंदिर के बारे में,
मन्नारशाला नाग मंदिर केरल के अलेप्पी जिले के समीप स्थित है। यह मंदिर अपनी मान्यताओं और लोकप्रियता के कारण विश्व स्तर पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहाँ हजारों नागों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह 16 एकड़ के हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। इस मंदिर में नागराज और उनकी संगिनी नागयक्षी की प्रतिमाएं भी मौजूद हैं। मन्नारशाला मंदिर में नम्बूदिरी परिवार के लोग ही पूजा करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इसी परिवार की एक स्त्री के गर्भ से नागराज ने जन्म लिया था।
अब बात करेंगे सुप्रसिद्ध त्रयंबकेश्वर देवालय के बारे में जो महाराष्ट्र में स्थित है,
महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कोई अलग नाग मंदिर नहीं है, लेकिन यहाँ नारायण नागबली पूजा होती है, जो विशेष रूप से कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए की जाती है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और यहाँ कालसर्प दोष, त्रिपिंडी श्राद्ध और नारायण नागबली जैसी पूजाएं संपन्न की जाती हैं। कालसर्प दोष पूजा के लिए यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ विधिवत त्र्यंबकेश्वर पूजा कराने और नाग-नागिन के जोड़े छोड़ने से कालसर्प योग का निवारण हो जाता है।
नाग पंचमी पर शिवलिंग पर चढ़ाएं ये 5 चीजें, शिवजी की कृपा से मिलेगी आर्थिक उन्नति,
हिंदू धर्म में नाग पंचमी का त्योहार विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर कुछ चीजों को अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा से धन लाभ के योग बनते हैं। नाग पंचमी का त्योहार हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल नाग पंचमी 29 जुलाई, मंगलवार को है। इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह दिन शिव कृपा पाने और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए उपयुक्त माना गया है। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर कुछ चीजों को अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से धन लाभ के योग बनते हैं।
नाग पंचमी पर धन लाभ के लिए शिवलिंग पर ये चीजें चढ़ाएं,
पहला है गन्ने का रस, नाग पंचमी के दिन शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना गया है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करने से धन लाभ के योग बनते हैं और आर्थिक स्थिरता मिलती है। इसके अलावा, शिवलिंग पर कच्चे दूध में चीनी मिलाकर अभिषेक करने से भी आर्थिक उन्नति मिलने की मान्यता है।
दूसरा है दही, शिवलिंग का दही से अभिषेक करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर दही से अभिषेक करना शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे भगवान शिव की कृपा से धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
तीसरी वस्ते है शहद, भगवान शिव को शहद प्रिय है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर शहद चढ़ाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
चौथे नंबर पर आता है काला तिल, भगवान शिव को काले तिल अर्पित करने से आर्थिक उन्नति के साथ जीवन की विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। शिव पूजन में काले तिल का विशेष महत्व माना गया है।
पांचवें नंबर पर है गाय का घी, भगवान शिव को घी प्रिय है। मान्यता है कि शिवलिंग पर गाय का घी अर्पित करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आर्थिक उन्नति के रास्ते खुलते हैं।
वहीं, मानसिक शांति के लिए गंगाजल चढ़ाएं, हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव का जलाभिषेक करने से मानसिक शांति मिलती है। मान्यता है कि शिवलिंग का जलाभिषेक करने से साधक को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी पर खुलेंगे किस्मत के द्वार, लेकिन भूलकर भी न करें ये काम, वरना पीढ़ियां होंगी प्रभावित!
आमतौर पर देखा जाता है कि कई लोग सांपों से डरते हैं, लेकिन हिंदू धर्म में नागों को देवता स्वरूप पूजा जाता है। साल भर में एक दिन नाग पंचमी पर नागों की विशेष पूजा होती है। हिंदू धर्म में सावन महीना काफी पवित्र माना जाता है। इस श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पांचवीं तिथि को नाग पंचमी मनाई जाएगी। अक्सर देखा जाता है कि सभी लोग सांप से डरते हैं, लेकिन साल भर में एक दिन ऐसा आता है, जब सांप से डरने की बजाय विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है। सांपों को हिंदू धर्म में देवताओं का दर्जा दिया गया है।
इस दिन भगवान शिव के गण माने जाने वाले नाग देवता की घर-घर में पूजा की जाती है। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से आपका धन बढ़ता है और सर्पदंश का भय दूर होता है। इस दिन ऐसे बहुत से कार्य हैं, जिनको भूल से भी नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं, उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से नाग पंचमी पर क्या नहीं करना चाहिए।
जानिए, कब मनाई जाएगी नाग पंचमी?
इस साल नाग पंचमी 29 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 41 मिनट से लेकर 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। कुल मिलाकर इस दिन पूजा करने की अवधि 2 घंटे 43 मिनट की है।
नाग पंचमी पूजा विधि जानिए,
नाग पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह सूर्याेदय से पहले उठकर नित्य कर्मों से मुक्त हो लें। स्नान करें। इसके बाद शिव जी के साथ-साथ नाग देवता की पूजा करें। नाग देवता की पूजा में फल, फूल, मिठाई और दूध अर्पित करें। मान्यताओं के अनुसार, जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु से संबंधित कोई दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।
नाग पंचमी पर भूल से भी न करें ये काम,
नाग पंचमी के दिन भूल से भी सांप को नहीं मारना चाहिए। यदि सांप को नुकसान पहुंचाते हैं, तो इसका पाप आप पर नहीं, बल्कि आपके पूरे वंश पर पड़ेगा।
नाग पंचमी के दिन चूल्हे पर खाना बनाने के लिए तवा और लोहे की कड़ाही का उपयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से नाग देवता को कष्ट हो सकता है।
नाग पंचमी के दिन जमीन की खुदाई नहीं करनी चाहिए। माना जाता है कि जमीन के अंदर सांपों का बिल रहता है। जमीन की खुदाई करने से सांपों का घर या बिल नष्ट हो सकता है। ऐसा करने से कई पीढ़ियों को दोष लगता है।
धार्मिक शास्त्र के अनुसार, नाग पंचमी के दिन धारदार वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जैसे सिलाई, कढ़ाई, इत्यादि अशुभ माना जाता है। हरि ओम,
अगर आप जगत को रोशन करने वाले भगवान भास्कर, भगवान विष्णु जी देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव एवं भगवान श्री कृष्ण जी की अराधना करते हैं और अगर आप विष्णु जी एवं भगवान कृष्ण जी के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में जय सूर्य देवा, जय विष्णु देवा, ओम नमः शिवाय, जय श्री कृष्ण, हरिओम तत सत, ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः लिखना न भूलिए।
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