प्राकृतिक तरीके से सर्दी से छुटकारा पाएँ . . 05

 

नीलगिरी का प्रेयोग करें: नीलगिरी में एंटीआॅक्सीडेंट गुण होते हैं जो मुक्त कण,अणु जो कोशिकाओं को नुकसान पहुँचा सकते हैं उनके खिलाफ रक्षा करते हैं। नीलगिरी में एक सक्रिय पदार्थ सिनेॉले, होता है, श्वसन संक्रमण से लड़ने और खांसी कम करने के लिए एक एक्षपेक्टोरंत के रूप में यह यौगिक काम करता है। यह विषमकोण, खांसी की दवाई, और वाष्प स्नान के रूप में दवा दुकानों पर उपलब्ध हैं।

ऐसे मलहम जो नीलगिरी के तेल से युक्त हैं उन्हे नाक और छाती क्षेत्र पर संकुलन और कफ ढीला करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। ताजा या सूखे नीलगिरी के पत्ते चाय में इस्तेमाल करें और गर्म पानी से गले की सिंकाई करने से खराब गले का दर्द शांत होता है। नीलगिरी की चाय बनाने के लिए 2-4 ग्राम सूखे पत्त्तो को एक कप उबलते पानी में 10-15 मिनिट्स के लिए भिगो दें। इसे दैनिक 3 बार पिएं।

गरारे करने के लिए एक कप गर्म पानी में 2-4 ग्राम सूखे पत्तों को भीगोलें। उसमे चोथाई या आधा छोटा चम्मच नमक मिलाएँ। 5-10 मिनिट्स के लिए भीगे रहने दें। इसे भोजन के बाद मुंह की खराब गंध और खराब गले को आराम दिलाने के लिए उपयोग करें।

नीलगिरी के तेल का उपभोग मुह से ना करें क्योंकि वह जहरीला होता है। जिन लोगों को दमा, दौरे, जिगर या गुर्दे की बीमारी, या निम्न रक्तचाप जैसे रोग होते हैं उन्हें डॉक्टर के परामर्श के बिना नीलगिरी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

(साई फीचर्स)

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