मिर्गी के दौरे की समस्या स्नायु विज्ञान से संबंधित गड़बड़ी है, जो कई कारणों से हो सकती है। कुछ लोग इसके उपचार के लिए अंग्रेजी दवाओं का सेवन करते हैं, जिसके दुष्प्रभाव भी हैं। ऐसे में प्राकृतिक तरीके से कैसे पाएं इसका उपचार, जानकारी देता आलेख
मिर्गी स्नायु-विज्ञान से संबंधित गड़बड़ी है, जिससे मस्तिष्क की गतिविधियां प्रभावित होते हुए असामान्य हो जाती हैं। तंत्रिका तंत्र में विकसित गड़बड़ी असामान्य व्यवहार और संवेदना की शुरुआत करती है। इसमें बेहोशी शामिल है। मस्तिष्क में अचानक होने वाली विद्युतीय गतिविधि को चिकित्सीय तौर पर दौरा कहा जाता है। आम तौर पर दौरे से पूरा मस्तिष्क प्रभावित होता है, जबकि आंशिक दौरे में मस्तिष्क का एक भाग प्रभावित होता है। हल्के दौरे का पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि यह कुछ सेकेंड ही रहता है। दौरा तेज हो तो कई मिनट रहता है और मांसपेशियों में कंपन तथा ऐंठन होने लगता है। इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
क्या हैं उपचार
इसके उपचार के लिए दवाएं उपलब्ध हैं, दुकानों में आसानी से मिल जाती हैं। प्रमाणित और अनुभवी फार्मासिस्ट से आप ये दवाएं प्राप्त कर सकते हैं। ये दवाएं निश्चित रूप से दुष्प्रभाव वाली होती हैं। हालांकि स्थिति को ठीक करने के लिए आप प्राकृतिक उपचार भी आजमा सकते हैं, जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। इन दिनों मिर्गी के मरीज स्थिति से राहत के लिए प्राकृतिक उपचार और कुछ अन्य प्रभावी वैकल्पिक उपचार आजमाने का विकल्प चुनते हैं। कुछ प्राकृतिक उपचार को साधारण अनुसंधान का समर्थन मिलता है और वे जोखिम मुक्त हैं। आप विशेषज्ञ से संपर्क कर सही उपचार का चुनाव कर सकते हैं।
लहसुन
लहसुन में ऐंठन और उत्तेजना रोधी गुण रहते हैं, जो स्नायुतंत्र के सहज काम-काज को बढ़ावा देते हैं। नियमित रूप से लहसुन खाने से दौरे नहीं पड़ते और मिर्गी के दूसरे लक्षण भी सामने नहीं आते। दरअसल, लहसुन के औषधीय गुण मुक्त कणों को नष्ट कर देते हैं। पानी और दूध के संतुलित मिश्रण में उबले हुए लहसुन के चार-पांच टुकड़े पीसकर मिलाकर रोज पीने से स्नायविक स्वास्थ्य बेहतर होता है। मिर्गी के लक्षण वाले लोगों के लिए यह लाभप्रद है।
तुलसी की पत्ती
तुलसी के पत्ते में कई औषधीय गुण हैं और यह एक जानी-मानी प्राकृतिक औषधि है। तुलसी की ताजी पत्तियां खाने या इसका रस निकालकर पीने से स्नायुतंत्र मजबूत होंगे और मस्तिष्क की शक्ति बेहतर होगी। इससे दौरे और बेहोशी के मामलों में प्रभावी कमी आती है। तुलसी के 3-4 पत्ते रोज चबाकर खाएं या उसका रस निकालकर पिएं। रोज 3-4 बार नियमित रूप से ऐसा करने से फायदा होगा।
अंगूर का रस
अंगूर में फ्लैवोनॉयड्स की मात्रा ज्यादा होती है, जो मिर्गी के लक्षण को प्रभावी ढंग से रोकने में मददगार होता है। अंगूर मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं, जो स्नायु तंत्र को मजबूत करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करते हैं। इससे स्नायु तंत्र को आराम मिलता है। मिर्गी के लक्षण वाले लोग रोज अंगूर का ताजा जूस पिएं।
पेठा भी असरदार
पेठा या कुष्माण्ड औषधीय गुणों से समृद्ध हैं। इसकी पोषण और औषधीय विशेषताएं स्नायुतंत्र का सहज काम-काज सुनिश्चित करती हैं। पेठा या कुष्माण्ड का छिल्का उतार लें और इसे छोटे टुकड़ों में काट लें। सर्वश्रेष्ठ लाभ के लिए इन छोटे टुकड़ों को निचोड़ कर रस निकाल लें और रोज सुबह पिएं। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मजबूत होंगी और दौरे कम पड़ेंगे।
नारियल तेल
नारियल तेल फैट्टी एसिड से समृद्ध होता है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा देता है। आप चाय के चम्मच से एक चम्मच नारियल से सीधे निकला तेल पी सकते हैं या फिर खाना पकाने में नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं।
मछली का तेल
मछली के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड से दौरे की संख्या काफी कम हो जाती है। एक अध्ययन के मुताबिक, मछली का तेल पीना दवाओं के उपचार के मुकाबले प्रभावी ढंग से काम करता है।
मिर्गी के कारण
– किसी भी व्यक्ति में यह स्थिति जेनेटिकली होना संभव है।
– चोट लगने से सिर में आघात कारण है।
– एड्स, मेनिंजाइटिस और वायरल एनसेफ्लाइटिस जैसी संक्रामक बीमारियां ऐसी स्थिति विकसित होने का कारण हो सकती हैं।
– ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक भी कारण हैं।
– न्यूरोफिब्रोमैटोसिस और ऑटिज्म जैसी विकास संबंधी गड़बड़ी के कारण भी मिर्गी होती है।
– नींद पूरा न होना, बुखार, बीमारी और तेज व चमकती रोशनी इस स्थिति के विकसित होने के कुछ आम कारण हैं।
– ज्यादा खाने, लंबे समय तक खाली पेट रहने या खास किस्म के भोजन अथवा पेय या दवाओं के सेवन से भी इस स्थिति की शुरुआत हो सकती है।
(साई फीचर्स)
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