बसंत ऋतु के आगमन पर सर्दी का मौसम जाता है और तापमान में परिवर्तन होने लगता है इसलिए हमें अपने खानपान में भी बदलाव कर लेना चाहिए। नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता के अनुसार मौसम बदलते ही हमें बाजरा और तिल जैसी गर्म तासीर वाली चीजों का उपयोग बंद कर देना चाहिए।
बसंत ऋतु में गरिष्ठ भोजन करते रहने से हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाता हैै। बसंत ऋतु में सूरज की रोशनी पपीता, सरसों, बेर, अमरूद और कद्दू जैसी पीली चीजों पर पड़ने से इनके पोषक तत्वों में इजाफा हो जाता है। वैसे क्रोमोथैरेपी में पीले रंग को आशावादी माना गया है। आइए जानते हैं पीले रंगों से युक्त फल और सब्जियों की उपयोगिता के बारे में।
पपीता
इसे खाने से पेट की सफाई होती है। यह शरीर में विटामिन ए की कमी को पूरा कर त्वचा व आंखों के रोगों को दूर करता है।
कद्दू
यह डायबिटीज और मोटापा कम करने के लिए फायदेमंद होता है। विटामिन ए से भरपूर कद्दू पाचनक्षमता को भी सुधारता है।
अमरूद व बेर
ये फल विटामिन सी से भरपूर होते हैं जो पाचनक्रिया को दुरूस्त कर कब्ज की समस्या को दूर करते हैं।
सरसों का साग
इन नई हरी पत्तियों से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और जोड़ों का दर्द कम होता है।
सूरज की रोशनी
इस मौसम की धूप लेने से दिमाग तेज होता है और नई ऊर्जा मिलती है फलस्वरूप व्यक्ति निरोगी रहता है।
दही
बसंत ऋतु के मौसम में कफ की समस्या ज्यादा रहती है इसलिए इस मौसम में दही का सेवन न करें। इस दौरान हल्दी का प्रयोग अधिक करें क्योंकि यह कफ को दूर करने का काम करती है। साथ ही तली हुई चीजों, उड़द की दाल, आलू, सिंघाड़ा और खट्टी चीजों से परहेज करें क्योंकि इनसे खांसी की समस्या हो सकती है।
सूरजमुखी व गेंदे के फूल
आयुर्वेद के अनुसार सूरजमुखी के फूल की पत्तियों का लेप बनाकर लगाने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं। इस फूल की पत्तियों को तिल के तेल में उबालकर सिर की मालिश करने से बाल घने व काले होते हैं, साथ ही सिरदर्द में भी राहत मिलती है। गेंदे के फूल की पत्तियों को पीसकर चोट, मोच और सूजन आदि पर लेप लगाने से लाभ होता है।
(साई फीचर्स)

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