मुझे शिकायत सिवनी में स्थित बैंकों से है जिनकी मनमानी के चलते छोटे-छोटे बच्चे भीषण गर्मी के इन दिनों में यहाँ से वहाँ भटकने को मजबूर हो रहे हैं।
दरअसल पाँचवीं छठवीं जैसी कक्षाओं के कई बच्चों का खाता बैंक में खुलना है जिसमें स्कॉलरशिप आदि का पैसा आयेगा लेकिन ऐसे बच्चों को बैंक में अपना खाता खुलवाने में पसीना आ रहा है। बैंकों की लापरवाह कार्यप्रणाली के सामने ये बच्चे बेबस ही नजर आ रहे हैं।
खाता खुलवाने के लिये बैंक प्रबंधन के द्वारा बच्चों से कहा जा रहा है कि उनका आधार लिंक नहीं है। यह स्थिति सिवनी के किसी एक बैंक की नहीं है बल्कि ये मासूम बच्चे जिस बैंक में भी जा रहे हैं वहाँ उनको इसी तरह की दुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। सवाल यह उठता है कि जब बच्चे का खाता ही नहीं खोला गया है तो उसका आधार कार्ड, बैंक खाता से लिंक कैसे हो पायेगा। ऐसा नहीं है कि बैंक ये बात नहीं जानते हैं लेकिन उनके द्वारा अनावश्यक रूप से बच्चों को परेशान करते हुए खाता खोलने में टालमटोली का रवैया अपनाया जा रहा है।
सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि छोटे – छोटे बच्चों से खाता खोलने के लिये उनका पेनकार्ड माँगा जा रहा है। बैंकों द्वारा छोटे बच्चों से पेनकार्ड माँगा जाना हास्यास्पद भी है क्योंकि छोटे बच्चे पेनकार्ड क्यों बनवायेंगे और उनके पेनकार्ड का महत्व भी क्या रह जायेगा। अमूमन छोटा बच्चा सिग्नेचरी एथॉरिटी भी नहीं होता है तब उसका पेनकार्ड माँगा जाना समझ से परे है।
देखा जाये तो आमतौर पर कोई छोटा बच्चा यदि इन्कम टैक्स रिटर्न भी भर रहा है तो उसके द्वारा इन्कम टैक्स जीरो ही दर्शाया जायेगा। बैंक प्रबंधन से जब छोटे बच्चे से पेनकार्ड माँगने की बात पर उससे संबंधित सर्कुलर माँगा जाता है तब वह भी बैंक के द्वारा नहीं दिखाया जाता है जिससे यही स्पष्ट हो रहा है कि नियमों की आड़ में बैंक अपनी मनमानी चला रहे हैं और उनकी इस मनमानी का खामियाजा छोट मासूम बच्चे भुगत रहे हैं। बैंकों की इस तरह की मनमानी पर शीघ्र लगाम लगाये जाने की आवश्यकता है ताकि छोटे बच्चे, भ्रष्ट तंत्र से इतनी कम उम्र में रूबरू न हो सकें।
संजीव राजपूत
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