नगर पालिका और जिला प्रशासन के ढीले पोले रवैये के साथ ही साथ मुझे नगर की उस पशु प्रेमी जनता से भी शिकायत है जो आवारा मवेशियों को पुचकार रखते हैं जिसके कारण दूसरे लोगों की परेशानी का कारण वे मवेशी बनते हैं।
इन दिनों सिवनी शहर में आवारा मवेशियों की फौज डटी हुई है जो लोगों को घायल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। समाचार माध्यमों से यह जानकारी भर मिलती है कि आवारा मवेशियों के खिलाफ मुहिम चलायी जा रही है लेकिन बावजूद इसके शहर में इनकी तादाद में कमी दर्ज नहीं की जा रही है तो इसे क्या कहा जायेगा।
शहर में जितने घातक आवारा कुत्ते हो चले हैं उतने ही घातक आवारा घूमने वाले साण्ड भी हैं। आवारा कुत्ते जहाँ काटकर लोगों को जख्मी कर रहे हैं तो आवारा घूमने वाले साण्ड भी लोगों को चोटिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। समाचार पत्रों के माध्यम से यह जानकारी मिली कि शहर के व्यस्ततम चौराहे बाहुबली चौक पर जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के भान्जे को आवारा साण्ड ने उठाकर पटक दिया। आश्चर्य की बात यह है कि सूबे में काँग्रेस की सरकार होने के बाद भी प्रशासन के द्वारा आवारा मवेशियों के स्वच्छंद घूमने पर कोई रोक नहीं लगायी जा सकी है।
जिला काँग्रेस के अध्यक्ष के परिवार के सदस्य ही जब शहर में आवारा मवेशियों से सुरक्षित नहीं हैं तो आम लोगों की बात ही कुछ और है। वास्तव में शहर में आवारा मवेशियों की धमा चौकड़ी, यहाँ के कर्त्ता धर्ताओं के लिये शर्मनाक ही मानी जा सकती है जो इस दिशा में कुछ पहल नहीं कर रहे हैं अथवा किन्हीं अज्ञात कारणों से पहल करना ही नहीं चाह रहे हैं।
इसके साथ ही शहर में कुछ ऐसे भी पशु प्रेमी हैं जो इन पशुओं को बिस्किट जैसी खाद्य सामग्री देकर उन्हें स्वच्छंद विचरण करने के लिये प्रोत्साहित करते हैं। आवारा पशुओं को आहार देना अच्छी बात कही भी जा सकती होगी लेकिन उससे भी अच्छा होगा यदि ये पशु प्रेमी लोग, इन आवारा मवेशियों को अपने घरों में शरण देकर उन्हें तो सुरक्षित करें ही साथ ही आम नागरिकों की सुरक्षा में भी वे सहयोग करें।
जितेन्द्र अहिरवार

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