जिला प्रशासन का ध्यान इस स्तंभ के माध्यम से मैं इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि इन दिनों सिवनी में भीख माँगकर गुजारा करने वालों की तादाद में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। इनमें से अधिकांश अंजान चेहरे ही होते हैं तो वहीं इनमें से कई मानसिक रूप से विक्षिप्त भी दिखायी देते हैं।
ये विक्षिप्त कहाँ से सिवनी आ रहे हैं इस बावत जानकारी जुटाने की पहल कोई करता नहीं दिखता है। स्थिति यह है कि इन दिनों सिवनी के हर प्रमुख मार्ग पर कई विक्षिप्त, यहाँ से वहाँ घूमते हुए सहज ही नजर आ जाते हैं। कई बार तो इनके कारण यातायात भी बाधित हो जाता है। एक अच्छी बात ये है कि इनमें से ज्यादातर लोग किसी को परेशान नहीं करते हैं। सिवनी में भीख माँगकर गुजारा करने वालों के पास अपना कोई स्थायी ठिकाना नहीं होता है। देखने वाली बात यह है कि ऐसे लोगों की आड़ में कुछ ऐसे तत्व भी मौके का फायदा उठा सकते हैं जो पहले से ही अपराधिक गतिविधियों में संलग्न रहे हैं।
शहर में चोरियों की वारदात भी आये दिन घटित हो रहीं हैं ऐसे में संभव है कि भिखारियों के भेष में अज्ञात चोर भी भीख माँगने के बहाने मौके की रैकी किया करते हों। इसलिये पुलिस को भी इस मामले में सचेत रहने की आवश्यकता है। सिवनी में ऐसे लोग जो भीख माँगकर ही अपना जीवन यापन करते हैं उनमें से अधिकांश स्वास्थ्यगत समस्याओं से जूझ रहे दिखते हैं।
अभी हाल ही में पिछले वर्ष सन 2018 में कुछ लोगों के द्वारा जागरूकता का परिचय देते हुए ऐसे लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की सराहनीय पहल की गयी थी लेकिन अब वे लोग भी शांत बैठ गये लगते हैं। संबंधित विभाग से इस ओर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है ताकि ऐसे बेसहारा लोगों की सुध ली जाकर उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करायीं जायें ताकि वे भी स्वस्थ्य जीवन जी सकें।
इसके साथ ही नगर पालिका प्रशासन से अपेक्षा तो की ही जा सकती है कि वह ऐसे लोगों के लिये शहर के किसी बाहरी हिस्से में ही सही लेकिन सराय जैसी कोई व्यवस्था मुहैया कराये। अभी होता यह है कि ठिकाने के अभाव में भिक्षुक लोग, गर्मी और बारिश के साथ ही साथ कड़कड़ाती ठण्ड में भी किसी पेड़ के नीचे या ऐसे ही किसी अन्य स्थान पर, अपने आप को मौसम की मार से सुरक्षित रखने का असफल प्रयास करते हैं।
कई बार ऐसे विक्षिप्त, बच्चों की टोलियां तो छोड़िये बल्कि समझदार युवाओं की मस्ती का शिकार होते हुए दिख जाते हैं जब कंकड़-पत्थर मारकर लोग इन्हें नाहक ही परेशान करते रहते हैं। मानवता के नाते संबंधित विभाग को तो सक्रियता दिखाना ही चाहिये साथ ही सामाजिक संगठनों से भी अपेक्षा है कि वे ऐसे लोगों की भलाई के लिये कुछ अतिरिक्त प्रयास करें जो स्वयं के अधिकार के लिये भी लड़ने में सक्षम नहीं होते हैं।
कमर सिद्दिकी
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