जनसेवा भूले सिवनी के नेता!

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या सिवनी के नेता चाहे वे किसी भी पार्टी के हों, वे जनसेवा को भूल गये हैं? दरअसल जनता मूलभूत समस्याओं से जूझ रही है लेकिन किसी भी नेता पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।

इन नेताओं की कागजी सक्रियता तब दिखायी देती है जब वे किसी विषय को लेकर विज्ञप्ति आदि जारी कर देते हैं। इसके बाद वे कहाँ गायब हो जाते हैं, ये कोई नहीं जानता है। सिवनी में हर तरह की समस्या मुँह बाए खड़ी है लेकिन उन समस्याओें को न तो संबंधितों के द्वारा दूर किया जा रहा है और न ही नेताओं के द्वारा इस बात की सुध ही ली जा रही है कि संबंधित अधिकारी कर्मचारी किन कार्यों में उलझे हुए हैं कि उनके द्वारा जनता की समस्याओं को दूर नहीं किया जा रहा है। अधिकांश नेता सिर्फ अपनी पार्टी के संगठनों के पदों पर आसीन होकर सुर्खियों में बने रहने की असफल कोशिश करते दिखते हैं।

संगठन में पद हासिल करने के बाद लंबे चौड़े विज्ञापन आते हैं लेकिन उन विज्ञापनों को देखकर सिवनी वासियों में उत्साह का संचार होना पूरी तरह बंद हो गया है क्योंकि उन्हें मालूम है कि विज्ञापन में नज़र आ रहा चेहरा और नाम, जनसेवा के नाम पर कुछ भी नहीं करने वाला है। सिवनी की सड़कों पर आवारा मवेशियों की धमाचौकड़ी के कारण आये दिन वाहन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इन दुर्घटनाओं में लोग घायल तो ही रहे हैं साथ ही कई लोग तो असमय ही काल के गाल में समा चुके हैं लेकिन मोटी चमड़ी वाले नेता शांत बैठे हुए हैं।

सत्ता पक्ष को यदि आवारा मवेशियों से प्रेम है तो विपक्ष आखिर कर क्या रहा है। वह इन लोगों को नींद से जगाकर इस बात का अहसास क्यों नहीं करवा रहा है कि उनका पहला काम आवारा मवेशियों से प्रेम नहीं बल्कि आम जनता की सुध लेना है। नव निर्मित सड़कें जल्द ही दम तोड़ देतीं हैं। स्थिति यह है कि डामर की सड़कों के स्थान पर सीमेन्टेड सड़कों का विकल्प चुना गया था लेकिन सिवनी में एक भी सीमेन्टेड सड़क ऐसी नहीं बन सकी जिसे मानकों पर कहीं से कहीं तक भी सही ठहराया जा सके। इसका नतीजा यह हुआ कि अब सीमेन्टेड सड़कों के ऊपर पुनः डामर की सड़क बना दी गयी हैं। यानि सिवनी में सीमेन्टेड सड़कों का प्रयोग असफल ही साबित हुआ लेकिन किसी के भी कानों में जू तक नहीं रेंग सकी।

सिवनी के कई क्षेत्र भारी बारिश के दिनों में भी पेयजल को तरसते रहे लेकिन जल वितरण प्रणाली में सुधार लाने की कोशिश किसी के भी द्वारा नहीं की गयी। सिवनी के वर्तमान में यदि अधिकांश नेताओं की भूमिका पर गौर से विचार किया जाये तो इतना तो निश्चित दिखायी देता है कि आने वाले 10-15 साल भी सिवनी का कायाकल्प कतई संभव नहीं है, ऐसा लगता है कि इसके लिये लंबा इंतजार ही करना होगा।

अशफाक खान

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