पुलिस प्रशासन से इस स्तंभ के माध्यम से मैं अपील करना चाहता हूँ कि शहर में रात्रिकाल के समय, अंधेरे में डूबीं सड़कों पर पुलिस की गश्त को बढ़ाया जाये और इसका कोई एक निश्चित समय भी न हो।
वर्तमान में रात के समय सड़कें सूनी हो जाती हैं। स्थिति यह है कि देर रात्रि के समय कोई भी पुलिस कर्मी किसी चौराहे अथवा अन्य किसी स्थान पर ड्यूटी पर तैनात नहीं दिखायी देता है। इसके चलते रात्रि के समय अस्पताल या बस स्टैण्ड जैसी आवश्यक सेवाओं की ओर जाने या वहाँ से आने वाले लोगों के मन में एक अन्जाना सा भय बना रहता है।
यदि रात्रि के समय, विभिन्न स्थानों पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी जाये तो लोगों को सहज रूप से आवागमन करने में सुविधा ही होगी और असामाजिक तत्वों के हौसले भी पस्त होंगे। अभी देर रात्रि के समय शहर में कहीं भी, किसी भी स्थान पर पुलिस कर्मियों की तैनाती न होने से ऐसा लगता है जैसे जरायमपेशा लोगों को स्वच्छंद छोड़ दिया गया है।
सिवनी चूँकि मध्य प्रदेश की बॉर्डर पर स्थित है इसलिये यहाँ इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि इस बॉर्डर का फायदा रात में ऐसे लोगों के द्वारा अवश्य उठाया जाता होगा जो नंबर-2 के काम में लिप्त रहा करते हैं। ऐसे में सिवनी से गुजरने वाले चार पहिया वाहनों की भी सख्ती से जाँच की जाना चाहिये।
अभी की स्थिति में बाहर से जब कोई यात्री सिवनी आता है और वह अपने घर जाने के लिये बस से उतरकर सड़कों पर पैदल चल रहा होता है तो रास्ते भर सूनेपन के कारण उसके मन में एक अन्जाना सा डर बना रहता है। रात्रि के समय पुलिस का गश्ती वाहन हूटर बजाते हुए अवश्य निकलता है लेकिन उसका भी एक निश्चित समय ही दिखायी देता है जबकि आवश्यकता इस बात की है कि रात्रिकालीन गश्त सतत रूप से चलती रहे।
रात्रि गश्त के दौरान हूटर बजाने का कोई औचित्य भी समझ से परे ही है। हूटर सुनकर तो असामाजिक कार्यों में लिप्त लोग पहले से सचेत हो जाते हैं और वे आड़ में दुबक जाते हैं। पुलिस का गश्ती वाहन निकल जाने के बाद वे फिर से अपने काम में लग जाते होंगे। क्या यह हूटर ऐसे तत्वों को पहले से आगाह करने के लिये इस्तेमाल किया जाता है कि पुलिस उक्त स्थान पर पहुँच रही है।
इसके साथ ही बाहर से आने वाला व्यक्ति जब अचानक हूटर की आवाज सुनता है तो उसके मन में यह शंका उठना स्वाभाविक ही है कि शहर में कहीं कोई विषम स्थिति तो उत्पन्न नहीं हो गयी है। ऐसे में पुलिस प्रशासन को अपने वाहन चालकों को इस बात के लिये निर्देशित किया जाना चाहिये कि उसके द्वारा, जहाँ बहुत आवश्यकता हो वहीं हूटर आदि का इस्तेमाल किया जाये।
चेतन

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