पार्किंग ही नहीं स्टैण्ड के लिये भी जगह नहीं!

 

सिवनी में यातायात की दयनीय स्थिति से निजात दिलाने के लिये किसी भी संबंधितों के द्वारा प्रयास न किया जाना निंदनीय माना जा सकता है। इसी तरह की कार्यप्रणाली से मुझे शिकायत है।

वर्तमान में सिवनी शहर में प्लाट तो छोड़िये सड़कों के किनारे भी कहीं कोई रिक्त स्थान नहीं दिखायी देता है। अतिक्रमण इस कदर पसर चुका है कि लोगों का रेंगते हुए चलना भी दूभर हो गया है। शहर का अतिक्रमणरूपी जंगल अधिकारियों को या तो दिखायी नहीं दे रहा है और या फिर वे इन अतिक्रमणों को हटाने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। नगर पालिका तो जैसे कमीशन वाले कार्यों की ओर ही ध्यान केंद्रित किये हुए है लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा अतिक्रमण हटाने में रूचि न लिया जाना आश्चर्यजनक है।

शहर के प्रमुख बाजारू क्षेत्र ही नहीं बल्कि अन्य स्थलों पर भी वाहनों को पार्क करने के लिये कोई जगह नहीं दिखायी देती है। सिवनी शहर की पहचान ऐसे शहर के रूप में स्थापित हो चुकी है जहां सड़कों पर ही वाहनों को पार्क होते हुए सहज रूप से देखा जा सकता है। व्यस्ततम इलाके में ऐसे बैंक संचालित हैं जहां भीड़ तो अत्याधिक होती है लेकिन वहां पहुंचने वाले लोग सड़क पर ही अपने वाहन पार्क कर देते हैं।

यातायात को लेकर जुर्माने से संबंधित नये नियम हालांकि मध्य प्रदेश में अभी लागू नहीं हो पाये हैं लेकिन जब कभी भी ये लागू होंगे तो यह तय माना जा सकता है कि सिवनी में उसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा और सब कुछ पूर्ववत ही चलता रहेगा। इसका कारण और कुछ नहीं बल्कि यहां पदस्थ होने वाले अधिकारियों में इच्छा शक्ति का अभाव ही माना जा सकता है।

सभी जिम्मेदारों की जानकारी में यह बात है कि यहां पार्किंग की समस्या रौद्र रूप ले चुकी है लेकिन उसका हल नहीं निकाला जा सका है। पार्किंग तो दूर की बात है ऑटो स्टैण्ड, रिक्शॉ स्टैण्ड, टैक्सी स्टैण्ड आदि के लिये तक जगह न होने के कारण ये वाहन ज्यादातर सड़क पर या सड़क किनारे उन स्थानों पर खड़े देखे जा सकते हैं जहाँ फुटपाथ होता है। इसके चलते फुटपाथ भी सुरक्षित नहीं रह गये हैं।

प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी तो इस तरह की स्थितियों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं ऐसे में जन प्रतिनिधियों से ही अपेक्षा की जा सकती है कि यदि वे वास्तव में जनसेवा करना चाहते हैं तो इस ओर गंभीरता से ध्यान देकर शहर ही नहीं बल्कि जिले में अराजक हो चुकी यातायात की स्थिति से निजात दिलवाने की दिशा में कोई कारगर पहल अवश्य करें। इसके लिये यदि संभव हो तो कुशल अधिकारियों की जिले मेें पदस्थापना करवायी जाये ताकि वे कोई स्थायी समाधान खोजने की दिशा में साहसिक पहल कर सकें।

ऐहतशाम उल हक

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