इस स्तंभ के माध्यम से मैं वन विभाग का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि सिवनी से चंद किलामीटर की दूरी पर ग्राम आमागढ़ के समीप जंगल में स्थित अम्बा माई में पदस्थ वन विभाग के कुछ कर्मियों के द्वारा वाहन स्टैण्ड में अवैध वसूली की जा रही है।
यहाँ पहुँचने वाले वाहन चालकों से ईको पर्यटन के नाम पर वाहन स्टैण्ड का शुल्क तो वसूला जा रहा है लेकिन उसकी रसीद वाहन स्वामी को नहीं प्रदाय की जा रही है। कुछ भाग्यशाली वाहन स्वामी ऐसे भी होते हैं जिन्हें रसीद मिल जाती है लेकिन अधिकांश वाहनों से शुल्क लेकर उन्हें रसीद नहीं थमायी जा रही है।
इसका मतलब साफ है कि वाहनों से स्टैण्ड का शुल्क तो वसूल किया जा रहा है लेकिन उसका पूरा पैसा राजकोष में शायद नहीं ही पहुँच रहा है। कई बार तो रसीद माँगे जाने पर यहाँ पदस्थ कर्मियों के द्वारा तेज आवाज में बदतमीजी भी की जाती है जिसके कारण महिलाओं के साथ इस सुनसान जंगली क्षेत्र में पहुँचे लोग सहमकर रह जाते हैं।
ईको पर्यटन के नाम पर जब वन विभाग ने अपने अमले को स्थायी रूप से यहाँ पदस्थ कर रखा है तो सवाल यह उठता है कि यह क्षेत्र विरला कैसे होता जा रहा है? आखिर पेड़ों की अवैध कटाई पर रोक क्यों नहीं लगायी जा सक रही है? क्या यह नहीं माना जाये कि वन विभाग की नाक के नीचे ही हरे भरे पेड़ों को नेस्तनाबूद किया जा रहा है और किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता तक महसूस नहीं हो रही है।
ईको पर्यटन के नाम पर वन विभाग के द्वारा इस क्षेत्र में वाहन स्टैण्ड के लिये वसूली तो आरंभ कर दी गयी है तो फिर इस क्षेत्र का विकास क्यों नहीं किया जा रहा है। अम्बा माई सहित उसके आसपास का क्षेत्र इसके तहत आता है लेकिन वहाँ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये रत्ती मात्र भी प्रयास किया जाता नहीं दिख रहा है।
कटंगी रोड पर स्थित इस क्षेत्र में जहाँ पहले अनेंकों लोग पहुँचा करते थे वहीं अब यहाँ पहुँचने वाले लोगों में तेजी से कमी दर्ज की गयी है। स्थिति यह है कि वन कर्मियों की कार्यप्रणाली के चलते लोग अम्बा माई जाने में ही हिचकने लगे हैं ऐसे में एक धार्मिक स्थल का महत्व भी यदि प्रभावित हो रहा हो तो उस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। संबंधितों से अपेक्षा है कि यहाँ ऐसे कर्मियों को ही पदस्थ किया जाये जो मृदुभाषी होने के साथ ही साथ ईमानदारी पूर्वक अपने कर्त्तव्य का पालन करें और यह भी अपेक्षा है कि वाहनों से स्टैण्ड के लिये वसूले जाने में शुल्क में भी कमी लायी जाये।
कीर्तिश श्रीवास्तव
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