पेयजल के लिये भटक रहे मरीज़ और उनके परिजन

 

 

जिला अस्पताल प्रबंधन से मुझे शिकायत है जिसके द्वारा जिला अस्पताल में आने वाले मरीज़ों और उनके परिजनों के लिये पेयजल की उपलब्धता का ध्यान नहीं रखा गया है। यह आलम तब है जबकि बताया जाता है कि जिला कलेक्टर के द्वारा आये दिन जिला अस्पताल का निरीक्षण किया जा रहा है।

सबसे आश्चर्यजनक बात व्यवस्था के नाम पर तो ये है कि विशालकाय जिला अस्पताल में एक भी ढंग का बोर नहीं है जिसके द्वारा गर्मियों के मौसम में जल की आपूर्ति निर्बाध तरीके से की जा सकती थी। यदि होगा भी तो वह मरीज़ों या उनके परिजनों की पहुँच में तो कतई नहीं है जिसके चलते जिला अस्पताल की शरण में आने वाले लोगों को पेयजल के लिये यहाँ-वहाँ भटकना पड़ता है और वह भी दोपहर के समय कहर बरपाती कड़ी धूप में।

गौर करने वाली बातय यह है कि जिला अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर ही पानी की टंकी स्थित है जो आसानी से जिला अस्पताल प्रबंधन को जिला अस्पताल से भी दिखायी पड़ती होगी। सवाल यह उठता है कि क्या जिला अस्पताल प्रबंधन इतना असहाय है कि वह मरीज़ों के लिये नल के लिये एक ऐसा कनेक्शन नहीं ले सकता है जिससे जल की समस्या उत्पन्न न हो। निश्चित रूप से जिला अस्पताल प्रबंधन का ध्यान मरीज़ों को होने वाली समस्याओं की ओर नहीं है।

इसी तरह जिला अस्पताल में इस विषय की कोई सूचना ही चस्पा नहीं की गयी है कि किस रोग का इलाज कहाँ होता है और कौन सा वार्ड जाने के लिये किस रास्ते का इस्तेमाल करना होगा। इतने विशालकाय अस्पताल में दिशा सूचक बोर्ड लगाया जाना चाहिये जिससे कम से कम ये तो पता चल सके कि मरीज़ या उसके परिजनों को किसी वार्ड विशेष में जाने के लिये कौन सा रास्ता चुनना सरल होगा। जिला अस्पताल प्रबंधन यह मानकर चलता प्रतीत हो रहा है कि उसे या अस्पताल में पदस्थ कर्मियों को इस बात का नॉलेज है कि कौन सा वार्ड कहाँ स्थित है इसलिये आम लोगों को भी यह पता होगा ही लेकिन व्यवहारिक तौर पर ऐसा संभव नहीं है। सूचना के अभाव में लोगों को स्थान – स्थान पर पूछताछ करते हुए वार्ड विशेष की ओर रूख करना पड़ता है।

जिला अस्पताल प्रांगण में रात के समय शराबखोरी करते हुए नशेड़ियों को सहज ही देखा जा सकता है। इसका कारण शायद यही है कि इतने विशालकाय प्रांगण में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण असामाजिक तत्व इस स्थिति का भरपूर फायदा उठाते हैं। इन शराबखोरों की उपस्थिति के कारण अस्पताल आने वालीं महिलाओं को भय सताना स्वाभाविक ही माना जायेगा। इसके साथ ही क्या ये संभव नहीं कि इन्हीं शराबखोरों के द्वारा जिला अस्पताल प्रांगण से वाहनों को गायब कर दिया जाता हो, क्योंकि हाल ही में जिला अस्पताल प्रांगण से कई दो पहिया वाहनों के चोरी जाने की खबरें समाचार पत्रों में पढ़ने को मिली हैं।

ऐसे में जिला अस्पताल प्रबंधन से अपेक्षा ही की जा सकती है कि वह अपनी व्यवस्थाओं में सुधार करे और जिला प्रशासन से भी अपील है कि उसके द्वारा इस बात पर नज़र रखी जाये कि जिला अस्पताल प्रबंधन व्यवस्था सुधारने में दिलचस्पी दिखा भी रहा है या नहीं अन्यथा इसके अभाव में कोई ठोस कदम उठाये जायें ताकि जिला अस्पताल पहुँचने वाले लोगों को परेशानियों का सामना न करना पड़े।

प्रतीक भारद्वाज

SAMACHAR AGENCY OF INDIA समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया देश की पहली डिजीटल न्यूज एजेंसी है. इसका शुभारंभ 18 दिसंबर 2008 को किया गया था. समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया में देश विदेश, स्थानीय, व्यापार, स्वास्थ्य आदि की खबरों के साथ ही साथ धार्मिक, राशिफल, मौसम के अपडेट, पंचाग आदि का प्रसारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है. इसके वीडियो सेक्शन में भी खबरों का प्रसारण किया जाता है. यह पहली ऐसी डिजीटल न्यूज एजेंसी है, जिसका सर्वाधिकार असुरक्षित है, अर्थात आप इसमें प्रसारित सामग्री का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को खबरें भेजना चाहते हैं तो व्हाट्सएप नंबर 9425011234 या ईमेल samacharagency@gmail.com पर खबरें भेज सकते हैं. खबरें अगर प्रसारण योग्य होंगी तो उन्हें स्थान अवश्य दिया जाएगा.