मौसम विभाग से तालमेल क्यों नहीं बैठाता कृषि विभाग

 

मुझे शिकायत कृषि विभाग से है जिसके द्वारा किसानों की बेहतरी की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाता है। इसके चलते किसानों को इस विभाग के होने या न होने का कोई फायदा मिलता नहीं दिख रहा है।

अखबारों के माध्यम से अक्सर ही ये खबर मिलती है कि मौसम बदलने के लंबे समय के उपरांत कभी-कभार कृषि विभाग के द्वारा किसानों के लिये एडवाईजरी जारी कर दी जाती है इसके बाद कृषि विभाग एक बार फिर से हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाता है। क्या कृषि विभाग का कार्य मात्र इतना ही है कि उसके द्वारा यदा-कदा भूले-भटके एडवाईजरी मात्र जारी कर दी जाये।

गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय मौसम विभाग ने उच्च तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए मौसम संबंधी भविष्यवाणी में महारत हासिल कर ली है। शायद यही कारण है कि पिछले लगभग 13 वर्षों में भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणियां गलत साबित नहीं हो सकी हैं और इन्हें शत-प्रतिशत सफल ही कहा जा सकता है।

बेहतर होता कि कृषि विभाग के द्वारा मौसम विभाग के साथ तालमेल बैठाया जाता जो किसानों के लिये हितकारी ही साबित होता। ऐसा करने से यह संभव था कि कृषि विभाग के द्वारा मौसम विभाग के द्वारा इस बात की जानकारी हासिल कर ली जाती कि सिवनी जिले में किस-किस अवधि में और किस-किस स्थान पर कैसी बारिश होगी।

कृषि विभाग को शायद यह पता ही नहीं है कि सिवनी में अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की फसलें लगायी जातीं हैं। कृषि विभाग के द्वारा इस ओर से आँखें मूंदकर अक्सर ही यह सलाह दे दी जाती है कि कम अवधि की फसलें, किसानों के लिये फायदेमंद रहेंगी। इससे ऐसा लगता है कि कृषि विभाग मेहनत करना ही नहीं चाहता है यह पता लगाने की कि क्या उसके द्वारा जारी की गयी एडवाईजरी वास्तव में किसानों के लिये फायदेमंद है भी अथवा नहीं।

वर्तमान में सिवनी में जो बारिश हो रही है उसे संतोषजनक ही माना जा सकता है। बावजूद इसके सावन का महीना लगभग सूखा ही चला गया जिसके चलते किसान चिंतित हो उठे थे लेकिन भादों में होने वाली बारिश ने उनकी परेशानियों को कम किया है। बेहतर होता कि कृषि विभाग के द्वारा पूर्व में ही मौसम विभाग से इस बात की जानकारी जुटा ली जाती कि किस अवधि में बारिश की स्थिति किस स्थान पर कैसी रहेगी और फिर उसे प्रचारित करवाया जाता। इसका एक फायदा यह होता कि अनुभवी किसान निश्चिंत होकर अपनी फसलों को बोता।

मौसम संबंधी जानकारी मिलने के बाद यह किसान पर ही निर्भर रहता कि उसे किस तरह की फसल का उत्पादन करना श्रेयस्कर रहेगा लेकिन कृषि विभाग के द्वारा कोई पहल न किये जाने के कारण भारतीय मौसम विभाग का सही फायदा किसानों को नहीं मिल पाता है। निश्चित रूप से कृषि विभाग के द्वारा इस विकल्प पर भी विचार किया जाना चाहिये।

रामानंद ठाकुर

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