उन वाहनों से मुझे शिकायत है जो विद्यार्थियों को शाला तक लाने एवं वहाँ से वापस ले जाने का काम करते हैं। इन वाहनों में नियमों की जमकर अनदेखी की जा रही है और संबंधित विभाग शांत बैठे हुए किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहे हैं।
वर्तमान शिक्षण सत्र लगभग समाप्ति की ओर है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शालेय परिवहन में लगे वाहनों की जाँच ही न की जाये। संबंधित विभागों के द्वारा समय-समय पर इन वाहनों की जाँच की जाते रहना चाहिये जो वर्ष में यदा-कदा ही की जाती है। शालेय विद्यार्थियों के संबंध में अपनायी जाने वाली इस तरह की कार्यप्रणाली को अफसोसनाक ही कहा जा सकता है।
विद्यार्थियों को लाने ले जाने का काम करने वाले इन वाहनों में से अधिकांश में तो फर्स्ट एड बॉक्स ही नहीं है। देखने वाली बात यह भी है कि अधिकांश शालाओं के बच्चे ऑटो से आना-जाना करते हैं। इन ऑटो में आज तक किसी ने फर्स्ट एड बॉक्स का खाली डिब्बा तक किसी ने नहीं देखा है और न ही ऐसी लापरवाही के चलते उनका चालान बनाने की कार्यवाही ही किसी के द्वारा की गयी है, जो आश्चर्यजनक ही मानी जायेगी।
सिवनी की सभी शिक्षण वाहनों में यह माना जा सकता है कि वाहन पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं जिनके कारण विद्यार्थियों को ऑटो आदि का सहारा लेना पड़ता है जो नियमों का पालन नहीं कर पाते हैं। स्थिति यह है कि यदि ऑटो चालकों के खिलाफ कड़ाई से कार्यवाही की जाये तो कई ऑटो कम से कम शालेय परिवहन के योग्य नहीं पाये जायेंगे। ऐसे में यदि ऑटो जैसे वाहनों को बंद कर भी दिया जाता है तो सबसे ज्यादा परेशानी विद्यार्थियों को ही होगी। इसलिये इस संबंध में विचार अवश्य किया जाना चाहिये कि शालेय विद्यार्थी किस तरह सुरक्षित रूप से शाला आना-जाना कर सकते हैं।
सिवनी में कई शालाएं, या तो शहरी सीमा से सटी हुईं हैं और या फिर शहर की सीमा से बाहर स्थित हैं। बाहरी क्षेत्रों में शालेय वाहन जिस रफ्तार से चलते हैं उसके चलते गंभीर दुर्घटना का अंदेशा सदैव बना रहता है। शालेय परिवहन में लगीं कई बसों में तो आपातकालीन द्वार तक नदारद हैं लेकिन संबंधित विभागों के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
इसके चलते विद्यार्थियों के जीवन पर जोखिम मण्डराता महसूस किया जा सकता है। संबंधित विभागों से अपेक्षा है कि वे उदासीनता छोड़कर और किसी के द्वारा कोई चूक संज्ञान में लाये जाने के पहले ही जाँच की कार्यवाही आरंभ करें ताकि लापरवाहों की नकेल कसी जा सकें।
रजनीकांत याज्ञिक