जाम के कारणों को चिन्हित नहीं कर पा रहा प्रशासन!

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं नगर पालिका और यातायात विभाग के साथ ही साथ जिला प्रशासन से यह जानना चाहता हूँ कि क्या उनके द्वारा सिवनी की सड़कों पर लगने वाले कारणों को चिन्हित नहीं किया जा सक रहा है जिसके कारण सिवनी के विभिन्न मार्गों पर दिन में कई-कई बार जाम की स्थिति निर्मित हो रही है।

यदि ऐसा है तो निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि सिवनी में जिम्मेदार पदों पर अयोग्य लोग बैठे हुए हैं जिनकी प्रशासनिक क्षमता दोयम दर्जे की है और उसका भोगमान सिवनी की जनता को भुगतना पड़ रहा है। कारण साफ है कि आम जनता जानती है कि सिवनी में जहाँ-तहाँ जाम लगने के पीछे वास्तविक कारण कौन से हैं लेकिन जिम्मेदार लोग उन कारणों को नहीं देख पा रहे हैं जिसके कारण उचित कार्यवाही को भी अंजाम नहीं दिया जा रहा है।

एक छोटा से कारण को ही देखा जाये तो सिवनी में घूमने वाले आवारा मवेशी जब सड़क पर फैलकर बैठ जाते हैं तो वाहनों को निकलने के लिये अत्यंत कम स्थान रिक्त रह जाता है। सड़क किनारे लगने वाली दुकानें सिवनी की सड़कों को अत्यंत संकरा करके रख देतीं हैं लेकिन आश्चर्य जनक रूप से प्रशासन इस समस्या का कोई हल अब तक नहीं खोज पाया है।

बुधवारी क्षेत्र से थोक सब्जी मण्डी को हटा दिया गया है उसके बाद भी जाम की स्थिति में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। सड़क पर लगने वाली दुकानें ही नहीं बल्कि सड़क पर खड़े होने वाले वाहन भी मार्गों को संकरा कर रहे हैं। ऐसे वाहनों पर कोई कार्यवाही लगातार नहीं होने के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं जिसके कारण समस्या से भी निजात नहीं मिल पा रही है।

यातायात विभाग का काम है सड़क पर यातायात को सुचारू बनाये रखना लेकिन सिवनी का यातायात विभाग बुधवारी जैसे क्षेत्रों में पूरी तरह फेल ही नजर आता है। यही नहीं बल्कि शुक्रवारी जैसा नगर का हृदय स्थल भी वाहनों के जाम से अछूता नहीं है। यहाँ स्थित बैंक जैसी संस्थाओं के पास स्वयं की कोई पार्किंग व्यवस्था नहीं है लेकिन उनके विरूद्ध भी प्रशासन कोई कार्यवाही करने में प्रशासन अब तक असफल ही दिखा है। कागजों पर कार्यवाही हो तो उस कार्यवाही के क्या परिणाम निकलते होंगे, यह प्रशासन बेहतर ही जानता होगा।

अतिक्रमणकारियों ने भी जाम की स्थिति के लिये आग में घी का ही काम किया है। निराशाजनक बात यह है कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों का विजन भी इस मामले में अफसोसनाक है। ये जन प्रतिनिधि सड़कों को चौड़ा करने के पक्ष में नहीं दिखायी देते हैं। ऐसे में जाम की स्थिति से निजात पाना कैसे संभव हो सकता है जब वाहनों की तादाद में प्रतिदिन ही विस्फोटक इजाफा हो रहा है।

सड़कों को चौड़ा किये बिना सिवनी शहर को मुंबई दिल्ली की तर्ज पर कैसे विकसित किया जा सकता है यह सवाल ऐसे जन प्रतिनिधियों से अवश्य पूछा जाना चाहिये जो बिना अतिक्रमण हटाये सिर्फ नाली टू नाली ही सड़क बनाने की बात को बल देते हैं। वैसे फौरी तौर पर यदि सड़कों को चौड़ा नहीं भी किया जाता है और वर्तमान सड़कों को संकरा बनाने वाले कारकों के विरूद्ध उचित कार्यवाही की जाती है तो जाम की स्थिति से काफी हद तक निजात पाये जाने की उम्मीद अवश्य बनती है।

संजय खरे

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