इस स्तंभ के माध्यम से मैं जिले के जन प्रतिनिधियों के साथ ही साथ आला अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ कि सिवनी में बीएसएनएल की सेवाएं लूट खसोट वाली होकर रह गयीं हैं और रीचार्ज के बहाने उपभोक्ताओं को एक प्रकार से आर्थिक क्षति पहुँचाने का काम बीएसएनएल के द्वारा किया जा रहा है।
बीएसएनएल के उपभोक्ताओं के द्वारा भारी भरकम राशि अदा करने के बाद पैकेज लिया जाता है लेकिन इस पैकेज का कोई फायदा सिवनी के उपभोक्ता नहीं उठा पा रहे हैं। सिवनी में बीएसएनएल की 3जी सेवाएं दम तोड़ चुकी हैं और यह 2जी से भी घटिया स्तर पर पहुँच चुकी हैं।
देखने वाली बात यह है कि बीएसएनएल के द्वारा कई आकर्षक प्रलोभन देते हुए उपभोक्ताओं से मासिक, त्रैमासिक आदि रीजार्च करवा लिये जाते हैं। दूसरे शहरों में बीएसएनएल की सेवाएं पहले की ही तरह बरकरार हैं लेकिन सिवनी में ये सेवाएं दम तोड़ चुकी हैं। पहले जब आम उपभोक्ताओं के लिये नेट चलाना सहज नहीं था वहीं अब यह सेवा प्रत्येक उपभोक्ता को अत्यंत न्यूनतम दर पर उपलब्ध तो करवा दी गयी हैं लेकिन सिवनी में नेट की स्पीड न मिल पाने के कारण बीएसएनएल के उपभोक्ता निराश हैं।
सिर्फ नेट ही नहीं कॉल लगाये जाने पर भी यह सिरदर्द से कम साबित नहीं होता है। बीएसएनएल से या तो एक बार में कॉल लगता नहीं है और यदि लग भी जाता है तो आवाज का कट-कट कर आना बीएसएनएल की सेवाओं की पहचान बन चुका है। पहले जब सिवनी में 3जी सेवाएं आरंभ नहीं हुईं थीं उस दौर में बीएसएनएल के बारे में एक बात प्रसिद्ध थी कि यह ..भीतर से नहीं लगता! आश्चर्यजनक बात यह है कि 3जी सेवाएं आरंभ होने के बाद बीएसएनएल से कॉल सिर्फ भीतर से ही नहीं बल्कि अब बाहर से भी नहीं लगता है।
अपेक्षा यही की जा सकती है कि आला अधिकारियों का एक दौरा बीएसएनएल कार्यालय का भी किया जाये ताकि यह पता चल सके कि यहाँ पदस्थ अधिकारी आखिर किस बात का वेतन पा रहे हैं जो वे अपने उपभोक्ताओं को उच्च स्तर की छोड़िये वरन सामान्य स्तर की सेवाएं ही उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं।
वर्तमान में सिर्फ नेट ही नहीं बल्कि बीएसएनएल से फोन लगाना भी अत्यंत दुष्कर कार्य हो गया है। ऐसा लगता है जैसे सिवनी में बीएसएनएल का समूचा अमला ही बेलगाम हो गया है और इस पर किसी का बस नहीं रह गया है। संबंधितों के द्वारा ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है ताकि इस विभाग में व्याप्त भर्राशाही पर लगाम लगायी जाकर इसके उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की जा सके।
शिवराम नागोत्रा