थोक सब्जी मण्डी हटी, अतिक्रमण हटा पर पार्किंग की समस्या जस की तस!

 

 

सिवनी में थोक सब्जी मण्डी का स्थान परिवर्तित किया गया। अतिक्रमण विरोधी अभियान भी चलाया गया। इस तरह के महत्वपूण्र कार्य होने के बाद भी शहर में पार्किंग की समस्या आज भी जस की तस मुँह बाये खड़ी हुई है और इसी से संबंधित मेरी शिकायत है।

सिवनी शहर के प्रमुख हिस्सों में यातायात में सबसे बड़ी बाधा बैंक और लॉन बन रहे हैं। सिवनी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ही एक ऐसा बैंक कहा जा सकता है जिसके पास स्वयं की पार्किंग व्यवस्था तो है लेकिन अब यह व्यवस्था भी, वर्तमान में नाकाफी ही साबित हो रही है। गौरतलब होगा कि सिवनी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बारापत्थर स्थित शाखा का भवन कई वर्षों पुराना है और इसमें अंदरूनी तौर पर फेरबदल करके वर्तमान परिस्थितियों में संचालित किया जा रहा है। वर्षों पहले इस भवन के सामने की गयी पार्किंग की व्यवस्था वर्तमान में अत्यंत छोटी पड़ने लगी है।

इसी का परिणाम है कि स्टेट बैंक पहुँचने वाले लोग अपने वाहन को बैंक परिसर के बाहर सड़क पर ही पार्क कर देते हैं जिसके कारण सिंधिया चौराहे से बाहुबली चौक पहुँच मार्ग पर दिन के समय यातायात जमकर प्रभावित रहता है। सवाल यह उठता है कि जिला प्रशासन के द्वारा ऐसे बैंकों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है जिनकी पार्किंग यातायात को, हफ्ते में एक या दो दिन नहीं बल्कि रोजाना ही प्रभावित कर रही है। आवश्यकता इस बात की है कि यदि इन बैंकों के द्वारा पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है तो उन्हें शहर के अंदरूनी क्षेत्रों में बैंक के संचालन की अनुमति ही न दी जाये क्योंकि सिवनी के किसी भी बैंक के प्रबंधन को इस बात से सरोकार नहीं दिखता है कि संबंधित शाखा के कारण शहर की यातायात व्यवस्था छलनी होकर रह जाती है।

बैंकों जैसी ही स्थिति शादी जैसे आयोजनों के लिये बनाये गये लॉन की भी है। अधिकांश लॉन के संचालकों के द्वारा भी इस बात की परवाह नहीं की जाती है कि उनके यहाँ आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के दौरान वाहनों को सड़क किनारे या कई बार तो सड़क पर ही पार्क किया जा रहा है। जिला प्रशासन से सिवनी वासी अपेक्षा कर रहे हैं कि वह यातायात जैसे विभागों के साथ तालमेल बैठाते हुए इस बात का पुख्ता हल निकाले कि शहर का यातायात कम से कम बैंक और लॉन के कारण तो कृत्रिम रूप से बाधित न हो। ऐसे लॉन और बैंकों पर आवश्यक कार्यवाही की राह सिवनीवासी तक रहे हैं।

विजय गोखे