क्या बैंक मना कर सकते हैं सिक्के लेने से!

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या जिले में स्थित बैंक, अपने उपभोक्ताओं से सिक्के लेने से मना कर सकते हैं? दरअसल बैंकों के द्वारा सिक्के स्वीकार न किये जाने के कारण दुविधा की स्थिति बनी हुई है।

इन दिनों एक और दो के सिक्के बाज़ार में बहुतायत में चलन में हैं। दुकानदार ही नहीं बल्कि शायद ही कोई खरीददार होगा जिसकी जेब में सिक्के नहीं होंगे। ये सिक्के सामान्य लेन देन में तो बने हुए हैं लेकिन बैंकों में जब इन्हें जमा करने जाया जाता है तब काउंटर पर बैठा क्लर्क इन सिक्कों को लेने से मना कर देता है।

एक प्रकार से बैंकों के द्वारा इन सिक्कों को स्वीकार न किये जाने के कारण बाज़ार में यह भ्रम बना हुआ है कि ये सिक्के एक टोकन की तरह ही फैले हुए हैं जिन्हें ग्राहक और दुकानदार आपस में तो स्वीकार कर रहे हैं लेकिन बैंक वाले इन्हें जमा करने में साफ मना कर देते हैं। बैंकों के द्वारा अघोषित रूप से सिक्कों का बहिष्कार किये जाने के कारण लोग भी अब इन्हें लेन देन में स्वीकार करने से मना करने लगे हैं।

स्थिति यह है कि कई व्यापारियों के पास तो किलो से सिक्के जमा हो गये हैं लेकिन वे इन्हें बैंकों में कैसे जमा करवायें, वे यह समझ नहीं पा रहे हैं। पहले से ही सिक्कों के जमा होकर, लेन देन से दूर होते जाने के कारण व्यापारीगण अब और सिक्के स्वीकार करने से मना करने लगे हैं। व्यापारी ही जब सिक्के नहीं ले रहे हैं तो ग्राहक भी व्यापारी के द्वारा दिये जाने वाले सिक्कों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

इसके चलते कई बार गंभीर विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह शीघ्र अतिशीघ्र यह स्पष्ट करे कि क्या बैंक किसी उपभोक्ता से सिक्के लेने से मना कर सकते हैं? यदि नहीं तो, ग्राहक तब क्या करे जब वह सिक्के जमा करने बैंक जाये और वह बैंक सिक्के लेने से मना कर दे? दरअसल इस संबंध में शीघ्र एक्शन लिये जाने की आवश्यकता है ताकि भारतीय मुद्रा का मान सिवनी में यथावत कायम रह सके।

नरेश चावला