पुलिस की रात्रिकालीन गश्ती बढ़ायी जाये

 

 

इस स्तंभ के माध्यम से सिवनी में रात्रिकालीन गश्त को लेकर मुझे अपनी बात रखनी है। दरअसल, सिवनी में ऐसा लगता है जैसे पिछले कई दिनों से रात्रिकालीन गश्त पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

पूर्व में देर रात के वक्त पहरा देने वाले गोरखाओं की सीटी की आवाज अवश्य सुनायी दे जाया करती थी लेकिन इन दिनों ज्यादातर क्षेत्रों में ऐसी सीटियों की आवाज सुनायी देना ही बंद हो गया है। इन गोरखाओं के द्वारा शहर के अंदरूनी इलाकों में गश्त की जाकर पहरेदारी की जाती थी जिसके कारण चोरी की घटनाओं पर काफी हद तक नियंत्रण रहा करता था लेकिन अब ऐसा लगता है कि चोरों को स्वच्छंद सा छोड़ दिया गया है। देर रात के वक्त शहर की सड़कों से पुलिस भी नदारद ही रहती है। रात्रिकालीन गश्त पर निकलने वाला पुलिस का वाहन अक्सर एक विशेष वक्त पर हूटर बजाता हुआ अवश्य निकल जाता है।

एक निश्चित वक्त पर पुलिस की गश्त को पर्याप्त नहीं माना जा सकता है। शायद यही कारण भी रहा होगा कि बाहूबली चौक पर हाल ही में देर रात को तीन आताताईयों के द्वारा दहशत फैलायी जाती रही। बताया जाता है कि ये आताताई काफी देर तक वहाँ उत्पात मचाते हुए वहाँ से गुजरने वाले लोगों को डराते-धमकाते रहे। उन्हें शायद आभास रहा होगा कि पुलिस इस क्षेत्र में अभी नहीं आने वाली है। शायद ऐसे असामाजिक तत्व ये भलीभांति जानते हैं कि पुलिस का गश्ती वाहन यदि आया भी तो वह कुछ ही सेकेण्डों में उस क्षेत्र से दूर हो जायेगा।

यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है कि शहर के कई अंदरूनी इलाके ऐसे हैं जहाँ से पुलिस का गश्ती वाहन आज भी नहीं गुजरता है। पूर्व के समय में पुलिस के द्वारा साईकिल पर और उसके बाद मोटर साईकिल पर शहर में गश्ती की जाती थी लेकिन अब वह गश्ती चार पहिया वाहन में मात्र की जाती दिखती है। पुलिस के आला अधिकारियों से अपेक्षा है कि पुलिस की रात्रिकालीन गश्त बढ़ायी जाये ताकि गैरकानूनी कार्यों में लिप्त लोगों में भय बना रहे।

आलोक निरंजन