मुझे यातायात और परिवहन विभाग के साथ ही साथ जिला प्रशासन से भी शिकायत है जिनके द्वारा सिवनी में बढ़ते सड़क हादसों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सिवनी जिले में होने वाले सड़क हादसों की खबरों से अखबार आये दिन अटे पड़े रहते हैं लेकिन इस दिशा में कोई भी संबंधित विभाग कदम उठाने की आवश्यकता महसूस नहीं कर रहा है। इन दुर्घटनाओं में लोग घायल तो ही रहे हैं साथ ही कई लोग तो असमय ही काल के गाल में समा जा रहे हैं जो चिंतनीय कहा जा सकता है।
समय-समय पर स्वास्थ्य से संबंधित या और भी अन्य मामलों में उनसे जुड़े विभागों के द्वारा एडवाईजरी जारी की जाती रही है लेकिन सड़क दुर्घटनाओं को अभी तक किसी के भी द्वारा गंभीरता से न लिया जाना आश्चर्य जनक माना जा सकता है। सड़क दुर्घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण त्रुटिपूर्ण वाहन चालन को माना जाता रहा है लेकिन उसके बाद भी एक अन्य पहलू भी है जो तकनीक से जुड़ा हुआ है लेकिन उस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
तकनीकी पहलू का जिक्र यहाँ इसलिये किया जा रहा है क्योंकि सिवनी के आसपास कारीरात और घुनई घाट के आसपास के क्षेत्र ऐसे स्थान हैं जहाँ होने वाली सड़क दुर्घटनाएं आये दिन अखबारों की सुर्खियां बनती रहती हैं। इस बात पर विचार अवश्य किया जाना चाहिये कि कुछ विशेष स्थान ऐसे क्यों हैं जहाँ दुर्घटनाएं घटित होती रहती हैं? क्या इसमें सड़क निर्माता कंपनी के द्वारा कोई गंभीर तकनीकी भूल तो नहीं की गयी है! यदि ऐसा है तो इसकी जाँच की जाकर उसे दूर किया जाना चाहिये।
बण्डोल थाना क्षेत्र में हाल ही में घटित एक सड़क हादसे में अर्द्ध सैनिक बल की महिला सैनिक की मृत्यु सिवनी के जन प्रतिनिधियों और जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रश्न चिन्ह लगा रही है। इस तरह कुछ विशेष क्षेत्रों में होने वाली दुर्घटनाओं की खबरे पढ़ने के बाद वहाँ से गुजरने वाले के मन में यही भय सताता रहता है कि कहीं वे भी किसी सड़क हादसे का शिकार न हो जायें। यदि तकनीकी खामी है तो इस बात की पूरी संभावना रहती है कि आप भले ही कितनी सावधानी पूर्वक अपने वाहन का चालन कर रहे हों लेकिन कोई अन्य वाहन चालक आपके साथ दुर्घटना कारित कर सकता है।
आवश्यकता है तो इस बात की कि तकनीकी खामियों को दूर तो किया ही जाये साथ ही जागरूकता लाने के लिये वक्त-वक्त पर एडवाईजरी भी जारी की जाती रहे, सिर्फ यातायात सप्ताह मनाने से ही उसका कोई विशेष प्रतिसाद अब तक तो नहीं ही मिला है। सड़क हादसे चूँकि मानव जीवन के लिये गंभीर क्षति पहुँचा सकते हैं इसलिये समय-समय पर इससे संबंधित अभियान चलाये जाते रहना चाहिये।
मंसूर नकवी
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