खाद्य विभाग से मुझे शिकायत है जिसके द्वारा हाल ही में खाद्य पदार्थों की जाँच करते हुए सैम्पल बटोरे गये और उन्हें जाँच के लिये प्रयोगशाला भी भिजवाया गया लेकिन यही विभाग वर्ष के अन्य दिनों में निष्क्रिय बना बैठा रहता है।
वर्तमान में बारिश के इस मौसम में खाद्य सामग्री की जाँच को लेकर प्रशासन जिस तरह से सजग नज़र आया वह हाल के बीते वर्षों में कभी देखने को नहीं मिला था। शहर के साथ ही साथ जिले के कई स्थानों पर की गयी कार्यवाही के दौरान कई ऐसे प्रतिष्ठानों का पता चला जिनकी आम जनता के बीच साख तो अच्छी थी और ऐसा माना जाता था कि उनके द्वारा शुद्ध खाद्य पदार्थ की ही बिक्री की जाती है लेकिन खाद्य विभाग की कार्यवाही ने उन नामी गिरामी प्रतिष्ठानों की भी पोल खोल कर रख दी।
इससे यह बात उजागर हो गयी कि जिले के लोग किस तरह दूषित खाद्य सामग्री का सेवन करने के लिये बाध्य कर दिये गये हैं। दूषित खाद्य सामग्री के सेवन से लोगों के शरीर के अंदरूनी अंग क्षतिग्रस्त हो रहे हैं लेकिन इनके विक्रेताओं को लोगों के स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं दिखता है, उन्हें तो सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है भले ही वे लोगों के विश्वास को छलनी करते हुए जहर बेच रहे हों।
सिवनी जिले में लोग सबसे ज्यादा पेट के रोगों से ग्रसित होते हैं। लोगों को किसी भी समय डीहाईड्रेशन के साथ ही लीवर की समस्या से जूझना पड़ता है जिसका प्रमुख कारण दूषित खाद्य सामग्री का सेवन ही माना जा रहा है। चिकित्सक भी सलाह देते हुए बताते हैं कि दूषित खाद्य सामग्री के सेवन के कारण किडनी लिवर जैसे प्रमुख अंगों में इंफेक्शन होता है लेकिन खाद्य विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर दूषित खाद्य पदार्थों के विक्रेताओं को शह देता प्रतीत होता है वरना क्या कारण है कि ऐसे विक्रेताओं के हौसले सिवनी में आज भी जमकर बुलंद हैं। ऐसे विक्रेताओं पर लगातार नज़र रखते हुए समय-समय पर कार्यवाही की जाना चाहिये।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी है। क्या उसकी जानकारी में यह बात कभी नहीं आयी कि सिवनी में फलों को पकाने के लिये एथीलीन जैसी गैसों का उपयोग किया जा रहा है। कार्बाइड से केले पकाये जा रहे हैं। क्या ऐसे सभी कार्य के लिये इनके व्यापारियों के द्वारा किसी तरह का लाईसेंस प्राप्त किया गया है? खाद्य पदार्थ तो दूर की बात है सिवनी में पेयजल तक शुद्ध उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। प्रशासन के द्वारा की गयी कार्यवाही के बाद आज भी शहर में दूषित पेयजल आसानी से उपलब्ध है जिसका सेवन करने के लिये लोग बाध्य हैं।
सिवनी शहर के नागरिकों के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि नगर पालिका के द्वारा ही लोगों के घरों में दूषित पेयजल सप्लाई किया जा रहा है। यदि फिल्टर प्लांट में सब कुछ सही तरीके से चल रहा है और पानी को सही तरीके से फिल्टर किया जा रहा है तो फिर क्या कारण है कि लोगों के घरों में दूषित पेयजल पहुँच रहा है? प्रशासन के द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठानों पर की गयी कार्यवाही के बाद भी यक्ष प्रश्न यही खड़ा हुआ है कि क्या इन कारणों को दूर करके प्रशासन के द्वारा सिवनी शहर के नागरिकों को स्वच्छ और शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाया जा सकेगा।
प्रियव्रत श्रीवास्तव
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