इस स्तंभ के माध्यम से मैं इस महत्वपूर्ण विषय को उठाना चाहता हूँ कि सिवनी शहर में सार्वजनिक शौचालयों की कमी के कारण बाहर से आने वाले लोगों को यहाँ विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है।
वर्तमान में दुर्गाेत्सव का पावन पर्व चल रहा है। इस अवसर पर ग्रामीण अंचलों से भी श्रद्धालु देवी दर्शन के लिये शहर आते हैं। ऐसे लोगोें के समक्ष तब दुविधा की स्थिति निर्मित हो जाती है जब उन्हें लघुशंका से निवृत्त होना होता है। पुरूष तो आमतौर पर कहीं भी आड़ पकड़कर इससे निवृत्त हो लेते हैं लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता है।
यहाँ यह लिखने में कोई संकोच नहीं कि नगर पालिका सिवनी अपने ही नागरिकों का ध्यान तो रख नहीं पाती है तो वह मेहमानों का ख्याल कैसे रखेगी। ऐसे में शहर के नागरिकों को ही कोई हल निकालना होगा। शहर के जिम्मेदार नागरिकों को इस ओर ध्यान देना चाहिये कि कम से कम त्यौहार के सिलसिले में शहर आने वाले श्रद्धालुओं को लघुशंका जैसी समस्या से दो-चार न होना पड़े।
इसके लिये एक पहल यह भी की जा सकती है कि समस्त आयोजन समितियां मिलकर शहर के कुछ चुनिंदा स्थानों पर अस्थायी शौचालय जैसे स्थानों का निर्माण करवायें जहाँ बाहर से आने वाले श्रद्धालु सहज रूप से इनका उपयोग कर सकें। ऐसे स्थानोें पर सफाई के साथ ही साथ सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा जाये तो ऐसी पहल की सराहना ही की जायेगी।
इसके लिये विशेष स्थलों का चयन करना होगा जहाँ अस्थायी शौचालय की व्यवस्था बनायी जा सके। दशहरा का पर्व सिर पर है, तब श्रद्धालुओं का रैला जमकर उमड़ेगा। परिस्थितयां देखकर ऐसा लगता नहीं कि इस बार अस्थायी शौचालय की व्यवस्था बन सकें लेकिन आने वाले समय को देखते हुए इस तरह की आवश्यक व्यवस्था बनाये जाने को प्राथमिकता के साथ रखा जाना चाहिये।
राहुल तेलरांध्रे