रौशनी को तरसता शहर का सबसे बड़ा चौराहा!

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं नगर पालिका का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि जिस तरह हाल ही में सर्किट हाउस चौराहा और बाहुबली चौराहा को रौशनी से नहलाया गया है उसी तरह कचहरी चौक पर भी रौशनी का पर्याप्त व्यवस्था की जाना चाहिये।

गौरतलब होगा कि कचहरी चौक को शहर के सबसे बड़े चौक कहा जा सकता है। क्षेत्रफल की दृष्टि के साथ ही साथ सड़कों के संगम के हिसाब से भी यह चौक शहर के सबसे बड़े चौराहे के रूप में चिन्हित किया जाना चाहिये। कायदे से चौक से चार दिशाओं में सड़कें निकला करती हैं लेकिन कचहरी चौक इससे थोड़ा जुदा है और यहाँ पर पाँच दिशाओं से आकर सड़कें मिलती हैं। शहर का यह चौराहा, पर्याप्त रौशनी को तरसता दिखायी दे रहा है।

कचहरी चौक से जहाँ बस स्टैण्ड, गणेश चौक और सर्किट हाउस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की ओर रास्ता जाता है वहीं इसी स्थल से सिंधिया चौराहा और कचहरी की ओर भी सड़कें जाती हैं। इस तरह कचहरी चौक पर यातायात सबसे जटिल होता है। यहाँ सिग्नल्स भी स्थापित किये गये हैं लेकिन वे अपने आप में ही काफी ऋुटिपूर्ण हैं जिसके कारण यातायात उतना व्यवस्थित नहीं होता है जितनी मदद मिलने की अपेक्षा इन संकेतकों से थी।

इस स्थल पर शायद यातायात पुलिस भी यातायात को नियंत्रित करने में असफल पाती है तभी उसके द्वारा तैनात किये गये यातायात कर्मी कभी इस स्थल पर यातायात को नियंत्रित करते नज़र नहीं आते हैं। एक ऐसा चौक जहाँ यातायात महकमा भी स्वयं को अक्षम ही पा रहा हो वहाँ यातायात सिग्नल्स को व्यवस्थित तो किया ही जाना चाहिये साथ ही इस स्थान पर रौशनी की भी पर्याप्त व्यवस्था होना चाहिये जो अभी तक नहीं की गयी है।

कायदे से इस स्थाल पर तैनात रोटर को भी नेस्तनाबूत कर दिया जाना चाहिये ताकि जब ट्रैफिक सिग्नल्स काम कर रहे हों तो यातायात बिना किसी बाधा के क्लियर होता रहे। यहाँ यातायात कर्मीं के खड़े होने के लिये रोटर बनाया गया है लेकिन वहाँ यातायात कर्मी शायद ही कभी खड़े देखे जाते होंगे। यातायात कर्मी कंपनी गार्डन के प्रवेश द्वार की तरफ ही शांत खड़े दिखायी देते हैं जो देर शाम को अंधेरा होने के कारण नज़र भी नहीं आते हैं। यदि इस स्थल पर भी बाहुबली चौराहा और सर्किट हाउस चौराहा की तरह रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था कर दी जाती है तो इससे इस क्षेत्र की सुंदरता तो बढ़ेगी ही साथ ही वाहन चालकों और राहगीरों को भी काफी आसानी हो जायेगी।

गफ्फार खान