रात का पारा ईकाई पर तो अलाव की व्यवस्था क्या गर्म दिनों में

 

 

इन दिनों सिवनी में भी कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है। कड़ाके की ठण्ड से गुजरने वाले शहरों में नागरिकों के लिये अलाव की व्यवस्था कर दी गयी लेकिन नगर पालिका सिवनी अभी तक हाथ पर हाथ धरे ही बैठी है। इसी तरह की कार्यप्रणाली के कारण मुझे नगर पालिका से शिकायत है।

समाचार माध्यमों के जरिये यह जानकारी मिल रही है कि सिवनी में रात का तापमान ईकाई के अंक पर ही ठहरा हुआ है। यानि तापमान कुछ और नीचे जायेगा तो पानी के बर्फ में तब्दील होने की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी। नगर पालिका सिवनी को यह सब नहीं दिखायी दे रहा है। उसे शहर में रह रहे निर्धन तबके के लोगों की किंचित मात्र भी परवाह नहीं दिख रही है।

नगर पालिका में बैठे जन प्रतिनिधि भी इस मामले में मौन ही बने हुए हैं। इन जन प्रतिनिधियों को शायद यह सामान्य बात लगती है कि नगर पालिका सिवनी के द्वारा प्रत्येक वर्ष तब अलाव की व्यवस्था की जाती है जब कड़ाके की ठण्ड का दौर गुजर चुका होता है। जन प्रतिनिधियों के इस तरह के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण यह कहा जा सकता है कि सिवनी की जनता का यह दुर्भाग्य ही है कि उन्हें ऐसे निष्क्रिय जन प्रतिनिधि मिल रहे हैं जिन्हें पार्टी लाईन से तो सरोकार रहता है लेकिन जनहित के बारे में उनकी सोच सीमित ही रहती आयी है।

समाचारों में बना हुआ है कि सिवनी में रात का अधिकतम तापमान भी ईकाई के अंक पर थमा हुआ है, ऐसे में न्यूनतम तापमान पर यदि नज़र न भी डाली जाये तो उसका अंदाज़ा सहज ही लगाया जा सकता है। निर्धन वर्ग के पास खाना बनाने के लिये आग जलाने की व्यवस्था नहीं रहती है तब वे ठण्ड से बचाव के लिये क्या कर पाते होंगे इस बारे में विचार अवश्य किया जाना चाहिये।

कई संस्थाएं तो कई उदार व्यक्तित्व के धनी लोग भी गरीबों की मदद के लिये ऐसे में समय में आगे आते हैं। इन सभी को एक कदम और उठाते हुए नगर पालिका को जगाने का प्रयास करना चाहिये। हालांकि नगर पालिका पूरी तरह से जागी हुई है तभी तो कमीशनबाजी के फेर में वह डूबी हुई प्रतीत हो रही है जिसके कारण उसे जनहित का ध्यान नहीं रह पा रहा है। नगर पालिका सिवनी से नागरिक यह जानना चाहते हैं कि जब तापमान ईकाई के अंक पर ही चल रहा है तो क्या नगर पालिका के द्वारा अलाव की व्यवस्था गर्मी के दिनों में की जायेगी?

योगेश मेश्राम