चौक-चौराहों पर लगे सीसीटीव्ही की उपयोगिता है भी अथवा नहीं!

 

इस स्तंभ के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि सिवनी में भारी भरकम राशि खर्च करके जो सीसीटीव्ही कैमरे चौक-चौराहों पर लगाये गये हैं उनकी कुछ उपयोगिता है भी या वे महज हाथी के दिखाने वाले दांतों की मानिंद ही स्थापित किये गये हैं।

दरअसल ऐसा लगता नहीं कि प्रशासन इन कैमरों की कोई मदद ले पा रहा है। सिवनी में रात के समय लोगों की कारों के शीशे फोड़ दिये जाते हैं, एटीएम का काँच भी इस घटना से अछूता नहीं रहता है लेकिन आरोपी की पहचान करने में शायद अभी तक किसी को कोई सफलता प्राप्त नहीं हुई है।

सिवनी में बाईक चलाने वाले युवा चौक-चौराहों पर स्टंट दिखाते हुए और आम नागरिकों को हलाकान करते हुए अपनी मटरगश्ती में मस्त हैं लेकिन इनकी पहचान नहीं की जा सक रही है जिसके कारण इन पर कोई लगाम भी नहीं लगायी जा पा रही है। यदि यही हाल रहा तो इन सीसीटीव्ही कैमरों का खौफ जरायमपेशा लोगों में बिल्कुल भी नहीं रह जायेगा और वे अपनी कारगुजारियों को पूर्व की भांति ही अंजाम देते रहेंगे।

सिवनी में यदा-कदा चालानी कार्यवाही की जाती है। यह कार्यवाही भी उन्हीं वाहनों पर की जाती है जो वाहन चैकिंग अभियान के दौरान पुलिस की नजर में आते हैं। सीसीटीव्ही कैमरों की सहायता से किसी वाहन का नियम विरूद्ध तरीके से चालन करने के कारण उसके चालक का चालान काटा गया हो इसकी जानकारी किसी को भी नहीं है। संभव है कि सीसीटीव्ही कैमरों की सहायता से यातायात को कैसे व्यवस्थित किया जाना इसमें यातायात महकमा निपुण नहीं है।

नगर पालिका भी चाहे तो वह वक्त-वक्त पर इन सीसीटीव्ही कैमरों की मदद से अपनी व्यवस्थाओं को सुधार सकती है। इसकी मदद से यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है कि वार्ड में तैनात किये गये सफाई कर्मियों में से कितने सफाई कर्मी ड्यूटी पर पहुँचते हैं और कितने नदारद रहते हैं। इन सीसीटीव्ही कैमरों की मदद से यह जानकारी भी जुटाई जा सकती है कि किन-किन क्षेत्रों में सार्वजनिक नलों से कितनी देर तक पानी की सप्लाई की जा रही है। इन्हीं कैमरों में यह भी आ जायेगा कि कचरा उठाने के मामले में चौक चौराहों की क्या स्थिति है।

देखा जाये तो इन भी कैमरों की मदद से सिवनी में व्याप्त व्यवस्थाओं की पोल स्वतः ही खुल सकती है। देखने में तो यह भी आया है कि ये सीसीटीव्ही कैमरे एचडी क्वॉलिटी के अवश्य बताये जा रहे हैं लेकिन इनके माध्यम से किसी वाहन आदि की पहचान करना भी मुश्किल है। लोगों के चेहरे भी इनमें से कई सीसीटीव्ही कैमरे स्पष्ट नहीं दिखा पाते हैं।

ऐसी परिस्थितियों में यही कहा जा सकता है कि संभवतः इन सीसीटीव्ही कैमरों की मदद से सिर्फ यही पता चलता है कि घटना हुई तो है पर उस घटना को किसके द्वारा अंजाम दिया गया है इसके बारे में ज्यादा सहायता शायद संबंधित विभाग को नहीं मिल पा रही है। इसलिये आवश्यकता इस बात की है कि इन सीसीटीव्ही कैमरों की स्थापना से संबंधित पूरी प्रक्रिया की जाँच करवायी जाये और दोषियों को दण्ड दिया जाये।

कीर्तिश अग्निहोत्री