इस स्तंभ के माध्यम से मैं यह जानना चाहता हूँ कि सिवनी शहर में पानी की समस्या से जनता को आखिर कब तक दो-चार होते रहना पड़ेगा, इस संबंध में स्थिति को स्पष्ट किया जाना चाहिये।
सिवनी में जल आवर्धन जैसी योजनाएं बनायी जातीं हैं जो समय से पहले छोड़िये बल्कि आरंभ होते ही दम तोड़ देती हैं। इसका मतलब साफ-साफ यही निकाला जा सकता है कि आम जनता से जुड़े इस महत्वपूर्ण मामले में ईमानदारी से काम किया ही नहीं जा रहा है। आये दिन समाचार माध्यमों में यह पढ़ने को आता है कि कभी विधायक के द्वारा संबंधित ठेकेदार को अल्टीमेटम दिया जाता है तो कभी कलेक्टर के द्वारा।
आश्चर्यजनक बात यह है कि इन दोनों महत्वपूर्ण पदों पर बैठे सम्मानीयों का भी जब ठेकेदार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है तो क्या यह मान लिया जाये कि नागरिकों को होने वाली समस्या को प्राथमिकता के साथ नहीं देखा जा रहा है और सिवनी में जंगलराज ही स्थापित हो चुका है। यह बात भी समझ से परे है कि जब नवीन जलावर्धन योजना के ठेकेदार के द्वारा गंभीरता से अपने कार्य को अंजाम नहीं दिया जा रहा है तो उसके विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने से परहेज आखिर क्यों किया जा रहा है।
आम जनता यह जानना चाहती है कि एक ठेकेदार की मनमानी के चलते शहर की जनता को यदि पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है तो उसे बजाय दण्डित किये जाने के, उसे बार-बार अतिरिक्त समय क्यों दिया जा रहा है जबकि वह पहले ही अपने कार्य को पूर्ण करने में बहुत विलंब कर चुका है। बावजूद इसके, अभी भी यह संदेह ही है कि उस ठेकेदार के द्वारा किया गया कार्य, इस योजना की कसौटी पर खरा उतरेगा। जन प्रतिनिधि और आला अधिकारी इस मामले में यदि मौन हैं तो उसका कारण भी जनता को समझ आना चाहिये जिसके पैसे से ही इस योजना को बनाया गया होगा और उस पर काम करवाया जा रहा होगा।
देखने वाली बात यह है कि गर्मी का मौसम दस्तक दे चुका है ऐसे में यदि स्थिति यही रही तो सिवनी में पेयजल की स्थिति भयावह हो सकती है। आम जनता यह जानना चाहती है कि यदि ठेकेदार के ऊपर किसी का नियंत्रण नहीं रह गया है तो फिर जल संकट से निपटने के लिये नगर पालिका या जिला प्रशासन के द्वारा क्या कार्ययोजना बनायी गयी है ताकि शहर के नागरिकों को पेयजल संकट से दो-चार न होना पड़े।
एशिया के मिट्टी के सबसे बड़े बाँध के समीप होने के बावजूद यदि सिवनी में पेयजल की समस्या वर्षों से बनी हुई है तो इसे क्या कहा जायेगा। गर्मी का मौसम शवाब पर आने के पहले ही स्थिति स्पष्ट है कि शहर में पानी का हाहाकार मच सकता है। ऐसे में जिला प्रशासन और नगर पालिका प्रशासन के द्वारा स्थिति से निपटने के लिये कोई ठोस योजना अवश्य बना ली गयी होगी, ऐसी अपेक्षा की जा सकती है। अब यह आवश्यक हो जाता है कि शहर की जनता के मन में ग्रीष्मकाल में जल संकट को लेकर जो चिंता की लकीरें उभर रहीं हैं उनको दूर किये जाने के लिये संबंधित विभागों के द्वारा स्थिति स्पष्ट की जाये।
सिकंदर अली