जिला अधिवक्ता संघ सिवनी के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों को माननीय उच्चतम न्यायालय से मिली राहत

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 10 अप्रैल को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधिपति के द्वारा 20 मार्च को पारित उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें सिवनी बार एसोसिएशन के दस पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों को हड़ताल के आव्हान के बाद एक महीने तक किसी भी अदालत में पेश होने एवं 3 साल तक बार एसोसिएशन के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी थी।

सीजेआई डी. वाई. चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला, और मनोज मिश्रा की पीठ ने आदेश पर रोक लगाने के साथ ही नसीहत दी कि वकीलों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिये। कोर्ट ने कहा वकीलों को भी कुछ जिम्मेदारी दिखानी चाहिए। आपको आवंटित कुछ जमीन पसन्द नही आई और हड़ताल पर चले गए। इसके बाद कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया।

विदित हो कि सिवनी में नवीन न्यायालय भवन हेतु बीज निगम की जमीन आवंटन को लेकर अधिवक्ताओ में भारी रोष था। चूंकि आवंटित बीज निगम की भूमि सुरक्षा की दृष्टिकोण से सुरक्षित नही थी इस बात को लेकर जिला अधिवक्ता संघ व्दारा आम सभा आहूत की गई थी जिसमें आम सभा के निर्णय को सर्वमान्य रखते हुए दिनाँक 18,19,20 मार्च 2024 को समस्त न्यायालीन कार्य से विरत रहने पर सभी ने सहमति व्यक्त की थी उक्त आम सभा के निर्णय के बाद समस्त अधिवक्ता हड़ताल पर गए थे यह हड़ताल आम जनता के हितों को लेकर की गई थी जो कि न्याय की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ताओ के साथ ही अन्याय हुआ। जिस पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के व्दारा सिवनी बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्यों को अपना पक्ष रखने का व सुनवाई का अवसर दिए बिना बार एसोसिएशन सिवनी के पदाधिकारियों व कार्यकारिणी को जिसमें रविकुमार गोल्हानी अध्यक्ष, शिशुपाल यादव उपाध्यक्ष, रितेश आहूजा सचिव, मनोज हरिनखेड़े सहसचिव, नवलकिशोर सोनी कोषाध्यक्ष, कार्यकारिणी सदस्यों में ऋषभ जैन, सत्येंद्र सिंह ठाकुर , अशरफ खान, विपुल बघेल एवं प्रवीण सिंह चौहान को एक माह के लिए न्यायालय में पैरवी करने से रोक लगा दी थी एवं 3 साल तक बार एसोसिएशन के चुनाव पर पाबंदी लगा दी थी जिसमे उपरोक्त पदाधिकारीयो व कार्यकरिणी सद्स्यों को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल गया है।

अधिवक्ता रितेश आहूजा व्दारा कहा गया कि यह लड़ाई आगे भी जारी रहेगी हमे दबाने की पूरी कोशिश की गई थी पर हम हार नही मानेंगे वर्तमान न्यायालय भवन विस्तारीकरण को लेकर हमारी मांग वैधानिक थी जिसे हम वैधानिक रूप से ही आगे हासिल करेंगे।

उन्होंने कहा कि हमारे ऊपर जो कार्यवाही की गई वो पूर्णतः अनुचित थी हमें अपना बचाव रखने का अवसर दिए बिना हमें 01 माह के लिए प्रतिबन्धित कर दिया गया था जिस पर हमने सुप्रीम कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया है।