1500 करोड़ GST घोटाला, लेकिन 50 करोड़ में सिमट रही जांच

 

 

 

 

(ब्यूरो कार्यालय)

इंदौर (साई)। वाणिज्यिक कर विभाग ने जोर-शोर से जिस घोटाले को उजागर कर वाहवाही लूटने की कोशिश की थी, अब उसे समेटने की तैयारी चल रही है। गुरुवार को मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री और मुख्यमंत्री से एक सीए ने शिकायत की है।

शिकायत में आरोप लगाया है कि घोटाले में जीएसटी चोरी का आंकड़ा ही 1890 करोड़ रुपए के करीब होना चाहिए। विभाग में आंकड़े को 50 करोड़ रुपए में समेट कर फाइल बंद करने की तैयारी हो रही है। आयकर, पीएफ जैसी चोरी की तो जांच ही नहीं की जा रही है। जुलाई-अगस्त में वाणिज्यिक कर यानी राज्य कर की टीमों ने इंदौर में जीएसटी घोटाला पकड़ा था। घोटाले में फर्जी फर्में बनाकर बोगस बिलों के जरिए हजारों करोड़ का व्यापार बताने और फिर इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर कर चोरी करने का खुलासा हुआ था। घोटाले के खुलासे के बाद एक कर सलाहकार ने इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद मामले में कुछ और नाम भी जुड़े लेकिन धीरे-धीरे जांच को ठंडा कर दिया गया।

पूरे घोटाले में एक भी व्यक्ति की न तो गिरफ्तारी हुई, न ही विभाग ने कर चोरी का आंकड़ा सार्वजनिक किया। सूत्रों के अनुसार विभाग जल्द ही इस घोटाले को लेकर चालान पेश करने की तैयारी कर रहा है। घोटाले को लेकर सबसे पहले पुलिस में शिकायत करने वाले सीए रवि गोयल ने मामले में मुख्यमंत्री और केंद्रीय वाणिज्य व वित्त मंत्री को गुरुवार को लिखित शिकायत भेजी है।

घोटाले में शामिल फर्जी फर्मों, बिलों व आरोपितों के बयान व रिकॉर्ड के साथ सौ से ज्यादा पन्नाों की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इस पूरे मामले में जीएसटी की चोरी का आंकड़ा 1890 करोड़ रुपए है। इसमें आयकर की हेराफारी जोड़ी जाए तो घोटाला 5880 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है।

विभाग की जांच में सिर्फ 400 करोड़ का फर्जी लेनदेन बताकर टैक्स को 50 करोड़ तक समेटा जा रहा है। घोटाले में आरोपित बने व्यापारियों के बयान भी विभाग ने दर्ज नहीं किए। साथ ही नेटवर्क की जांच करने से भी विभाग बच रहा है। राज्य और केंद्र से घोटालों को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।

प्रैक्टिस सर्टिफिकेट जारी करवाया

मामले में शिकायत करने वाले सीए रवि गोयल ने वर्षों पहले चार्टड अकाउंटेंट की प्रैक्टिस छोड़कर आईसीएआई का सर्टिफिकेट सरेंडर कर दिया था। घोटाले के खुलासे के पहले एक बोगस फर्म और लोन धोखाधड़ी की शिकायत करने वालों में गोयल का नाम शामिल था। घोटाले के सामने आने के बाद गोयल ने इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से अपना सर्टिफिकेट बहाल करवा लिया। इसके बाद उन्होंने मामले में दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री और केंद्र से शिकायत की है।

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