(ब्यूरो कार्यालय)
नई दिल्ली (साई)। देश के 40 लाख जूट किसानों को फायदा देने के लिए सरकार ने आज एक फैसला किया। सरकार ने पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के नियमों (Mandatory jute packaging rules) को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी है।
इससे शत-प्रतिशत खाद्यान्न जबकि 20 प्रतिशत चीनी की पैकिंग अनिवार्य रूप से जूट के बैग में करने का रास्ता साफ हो गया है। इस आशय का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक जूट वर्ष 2022-23 (एक जुलाई, 2022 से 30 जून, 2023) के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के आरक्षण संबंधी नियमों को मंजूरी दी गई। इन नियमों के तहत खाद्यान्न की 100 प्रतिशत और चीनी की 20 प्रतिशत पैकिंग जूट बैग में करना अनिवार्य है। इससे जूट उद्योग को काफी बल मिलने की संभावना है।
बताया जाता है कि इस फैसले से करीब 40 लाख जूट किसानों को फायदा होगा। इस फैसले से Gloster, Cheviot, Ludlow Jute जैसी कंपनियों को भी फायदा हो सकता है। ये तीनों कंपनियां जूट से जुड़े कारोबार में हैं और ये शेयर बाजार में भी लिस्टेड हैं। इस फैसले से इन कंपनियों के शेयर भी चढ़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि करीब हर साल 8,000 करोड़ रुपये का जूट किसानों से खरीदा जाता है। इसका प्रसंस्करण जूट मिलों में होता है। इन नियमों को मंजूरी मिलने से जूट मिलों और अन्य संबद्ध इकाइयों में कार्यरत 3.7 लाख मजदूरों को भी फायदा होगा।
जूट एक प्राकृतिक, बायोडिग्रेडेबल, नवीकरणीय और पुन: उपयोग वाला फाइबर है। यह सभी स्थिरता मानकों को भी पूरा करता है। इसलिए यदि सरकार इसके उपयोग को बढ़ावा देती है तो पर्यावरण को भी फायदा होगा। उत्तर भारत के लिए जूट उद्योग भले ही मायने नहीं रखता है लेकिन यह देश के पूर्वी हिस्से मसलन पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, मेघालय के लिए महत्वपूर्ण है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए भी यह काफी महत्व रखता है।
जूट पैकेजिंग सामग्री (जेपीएम) अधिनियम के तहत आरक्षण नियम जूट क्षेत्र में 3.7 लाख श्रमिकों और कई लाख जूट किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता हैं। जेपीएम अधिनियम, 1987 जूट किसानों, कामगारों और जूट सामान के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा करता है। जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत जूट के बोरे (सैकिंग बैग) हैं, जिसमें से 85 प्रतिशत की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य खरीद एजेंसियों (एसपीए) को की जाती है और बकाया उत्पादन का निर्यात/सीधी बिक्री की जाती है।
सरकार खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए हर साल लगभग 9,000 करोड़ रुपये मूल्य के जूट के बोरे खरीदती है जिससे जूट किसानों और कामगारों को उनकी उपज के लिए गारंटीशुदा बाजार सुनिश्चित होता है।

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