स्टॉक फोल्डरर्स एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यशाला 20 को

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। महाप्रबंधक जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र सिवनी द्वारा जानकारी दी गई कि डीजीएफटी नागपुर के द्वारा भारत सरकार की निर्यात बंधु स्कीम के तहत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के भारत के प्रत्येक जिले को एक्सपोर्ट हब के रूप में परिवर्तित करने की मंशा के तहत जिलों के स्टॉक फोल्डरर्स एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिये सिवनी जिले में डीजीएफटी नागपुर द्वारा Export Outreach Program Under अंतर्गत 20 जुलाई 2023 को प्रात: 11.00 बजे जिला पंचायत सभाकक्ष में कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

उक्त कार्यक्रम में एक्सपोर्ट कैसे बने, इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कोड कैसे प्राप्त किया जा सकता है, एवं कस्टम प्रोसीडर, एमएसएमई स्कीम, एक्सपोर्ट फायनेस, ई-कार्मस आदि के संबंध में अवगत कराया जावेगा।

रेज्‍ड बेड प्‍लांटर पद्धति मक्‍का के किसानों के लिये वरदान

उपसंचालक कृषि श्री मोरिस नाथ ने जानकारी देते हुए बताया कि सिवनी जिले में खरीफ की मुख्‍य फसल मक्‍का एवं धान है। जिले में मक्‍का का रकबा 1.55 लाख हेक्‍टेयर है। मक्‍का फसल का रकबा चार साल से पांच सालों की तुलना में बढ़ा है। इसका मुख्‍य कारण मक्‍का का बाजार एवं मंडी में किसानों को अच्‍छा मूल्‍य प्राप्‍त होना है जिले के किसान पूर्व में सोयाबीन एवं धान फसल पर निर्भर थे किन्‍तु मक्‍का फसल ने कृषकों को एक नया विकल्‍प दिया। चूकि मक्‍का कम पानी चाहने वाली फसल है इसलिए ऐसी मिट्रटी जहां जलभराव की स्थिति रहती है वहां मक्‍का में अकुरण में कमी एवं तना सड़न रोग की समस्‍या एवं अति वर्षा से किसान निराश हो रहे थे। अत: इन सभी समस्‍याओं से निजात पाने के लिये रेज्‍ड बेड प्‍लांटर मशीन किसानों के लिये वरदान साबित हुई है।

उन्होंने बताया कि ऊंची मेड़ और गहरी नाली से खेती करने की रेज्‍ड बेड प्‍लांटर पद्धति ने कृषि जगत में अहम बदलाव आया है। इससे अतिवृष्टि और कम बारिश से फसल को क्षति की चिंता भी दूर हो गई है। जिले के किसान इतने प्रभावित है कि खरीफ सीजन की प्रमुख फसल मक्‍का की बुवाई के लिए पद्धति का ही सहारा ले रहे हैं।  

2020 में कुछ किसानों ने आधुनिक रेज्‍ड बेड प्‍लांटर पद्धति का उपयोग कर ट्रेक्‍टर में यंत्र लगाकर खेत तैयार किए। इससे अतिवृष्टि में अतिरिक्‍त पानी फसल को नुकसान पहुंचाए बिना ही खेत से निकल गया। इसकी सफलता के बाद इस साल मक्‍का की खेतीके तरीके का पूरा नक्‍शा बदलने लगा है। किसान खेत तैयार करते समय गहरी नाली और मेड़ बना रहे है। मेड़ पर मक्‍का की बुवाई भी हो रही है। यह परंपरागत खेती के तरीके में अहम बदलाव है। इससे अतिवृष्टि, कम बारिश की चुनौतियों से निपटना आसान होगा।           

क्‍या है रेज्‍ड बेड प्‍लांटर यह बुवाई का यंत्र है। इस ट्रेक्‍टर के पीछे लगाकर खेत में एक ही समय में मेड़ और नाली बनाई जा सकती है। इस तकनीकि में मेड़ और नाली बनाई जा सकती है। इस तकनीकि में मेंड पर बुवाई की जाती है। ज्‍यादा वर्षा होने से फसल को नुकसान नही होता। पानी नालियों के सहारे निकल जाता है। कम बारिश होने पर नालियों से मेड़ में नमी बनी रहती है। इस पद्धति में मेंड़ की कतार 60 से 75 सेंटीमीटर में तैयार होती है।

रेज्‍ड बेड प्‍लांटर से बोनी के फायदे –1. अधिक वर्षा की स्थिति में खेतों में जलभराव की स्थिति निर्मित नही होती। 2. वर्षा का अधिक जल नाली के माध्‍यम से बाहर निकल जाता है। 3. जलभराव न होने से तना सड़न की संभावना कम होती है। 4. फसलों उर्वरक एवं निदानाशक डालने हेतु पयार्प्‍त जगह मिलती है।  

उन्होंने बताया कि सिवनी जिले के ग्राम पोगार, हिनोतिया के कृषक श्री दिनेश ठाकुर द्वारा लगभग 10 एकड़ रकब में मक्‍का की बोनी रेज्‍ड बेड प्‍लांटर के माध्‍यम से की गई है जो एक सफल पद्धति है जिससे मक्‍का की बोनी करने पर अधिक वर्ष से मक्‍का खराब होने की समस्‍या का समाधान हुआ है।

जिले के कृषक इस उन्‍नत तकनीकि का अधिक से अधिक प्रयोग करें, ताकि अधिक वर्षा से मक्‍का फसल को होने वाले नुकसान से बचा जा सके। सहायक कृषि यंत्री श्री जे.एस.धुर्वे का कहना है कि यह यंत्र मक्‍का फसल के लिये 1 लाख रूपये तक उपलब्‍ध है जिसमें 25 से 30 हजार रूपये तक का अनुदान कृषि अभियंत्रिकी विभाग के माध्‍यम से देय होता है।