मोदी के चक्रव्यूह में शिवराज . . . अब कौन बचाएगा?

अपना एमपी गज्जब है..105

(अरुण दीक्षित)

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती – 25.09.23 – के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में इतनी महीन बालिंग की कि जिसका मुकाबला एक ओवर में चार विकेट लेने वाला सिराज भी नही कर सकता। उन्होंने दिन में जहां मुख्यमंत्री शिवराज को बारहवां खिलाड़ी बनाने का संकेत दिया तो वहीं शाम को जैसे विकेट कीपर को कीपिंग छोड़ बैटिंग करने क्रीज पर भेज दिया! और तो और उन्होंने टीम मैनेजर को भी “खिलाड़ी” बना दिया। मोदी की इस कारीगरी से कांग्रेस तो सकते में आ ही गई है! लेकिन उनके अपने नेता भी कुछ समझ नही पा रहे हैं। वे जब तक पिच की लाइन देख रहे थे तब तक उनकी गिल्लियां ही बिखर गईं।

पहले दिन की बात! दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के दिन नरेंद्र मोदी कार्यकर्ता महाकुंभ को संबोधित करने भोपाल आए थे। करीब 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करके बुलाए गए इस सम्मेलन में दस लाख बीजेपी कार्यकर्ताओं के पहुंचने का दावा किया गया था! लेकिन पूरी ताकत झोंके जाने के बाद भी दावे का एक चौथाई कार्यकर्ता मुश्किल से पहुंचे।

नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन में अचानक कई उलटफेर किए। उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से स्वागत कराने के बजाय सिर्फ महिलाओं से अपना स्वागत कराया। महिलाओं द्वारा की गई फूल वर्षा में वे पैदल चले। मंच पर भी सिर्फ महिलाओं ने ही उनका स्वागत किया।

सबसे आश्चर्यजनक बात प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान हुई! वे हमेशा की तरह आक्रामक शैली में बोले। कांग्रेस को पानी पी पी कर कोसा। महिला आरक्षण बिल का पूरा श्रेय लिया! इंडिया गठबंधन को घमंडिया कहना भी वे नही भूले।

मोदी ने मध्यप्रदेश की जनता को अपना परिवार बताया। विस्तार से अपनी(केंद्र) सरकार की योजनाएं गिनायीं। इनमें शौचालय से लेकर महिला आरक्षण तक शामिल था। आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने का श्रेय लेना भी वे नही भूले!

लेकिन हाथी से भी ज्यादा तीव्र स्मरण शक्ति रखने वाले नरेंद्र मोदी अपने पूरे भाषण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लेना भूल गए। उन्होंने न तो मंच पर मौजूद शिवराज की तरफ देखा न उनकी सरकार की किसी योजना का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने महिला आरक्षण विधेयक का जिक्र कई बार किया! लेकिन शिवराज की लाडली बहना योजना की कोई बात नही की। जबकि शिवराज इसी योजना के जरिए गेमचेंजर बनने का सपना देख रहे हैं। इसके लिए प्रदेश की एक करोड़ 35 लाख महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए भी दे रहे हैं।

मोदी तो भाषण देकर उड़ गए। लेकिन बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता इसी उधेड़बुन में लगे रहे कि अब शिवराज का क्या होगा। उधर शिवराज और उनके करीबियों पर क्या गुजर रही होगी, इसका सिर्फ अंदाज भर लगाया जा सकता है। अब शिवराज कोई अशोक गहलोत थोड़े ही हैं जो पलट के दिल्ली को आंख दिखाएं! उनकी बेबसी और चेहरे पर चढ़ी उदासी को सबने महसूस किया।

नाम न लिए जाने पर चर्चा चल ही रही थी कि दिल्ली ने एक और गुगली फेंक दी! एक ऐसी गेंद जिसने कई विकेट एक साथ चटका दिए। साथ ही शिवराज को ऐसे घेर दिया जैसे स्पिनर की बालिंग पर फील्डर बैट्समैन को घेर लेते हैं।

हुआ यह कि बीजेपी हाईकमान ने देर शाम अपनी दूसरी प्रत्याशी सूची जारी कर दी। यह सूची कांग्रेस के लिए तो बड़ा झटका थी ही, लेकिन उसने बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भी हिला दिया।

39 प्रत्याशियों की दूसरी सूची में मोदी ने अपनी कैबिनेट के तीन प्रमुख सदस्यों के साथ कुल सात सांसदों को विधानसभा प्रत्याशी बना दिया। जो नरेंद्र सिंह तोमर जो केंद्रीय कृषि मंत्री के रूप में प्रदेश के चुनाव प्रभारी बन कर दिल्ली से आए थे वे अब मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लडेंगे। राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को भी विधानसभा चुनाव में उतारा गया है। इन तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ चार सांसदों – गणेश सिंह, राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक को भी विधानसभा का टिकट दे दिया गया है। इनके अलावा आज की सूची में एक महत्वपूर्ण नाम बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय का भी है। उन्हें भी इंदौर शहर से विधानसभा टिकट दिया गया है।

बीजेपी द्वारा आठ प्रमुख केंद्रीय नेताओं को अचानक विधानसभा चुनाव में उतारे जाने से कांग्रेस तो सकते में है ही, वहीं बीजेपी के नेताओं को तो जैसे सांप सूंघ गया है। देर रात आई इस सूची ने उनकी नींद ही उड़ा दी है।

उधर शिवराज सिंह को एक ही दिन में दूसरा बड़ा झटका लगा है। हालांकि अमित शाह ने पिछले महीने ही यह साफ कर दिया था कि शिवराज अगले मुख्यमंत्री नही होंगे। लेकिन फिर भी वे पूरी ताकत से चुनाव की तैयारी में लगे थे। रैली में प्रधानमंत्री द्वारा उनका नाम न लिए जाने से उन्हें बड़ा झटका लगा था। साथ ही यह बात और ज्यादा साफ हो गई कि अगर बीजेपी जीती तो अगले मुख्यमंत्री वे नहीं होंगे। लेकिन दूसरी सूची में प्रदेश के चार बड़े नेताओं के नाम देख कर उन्हें और भी जोर का झटका लगा।

दरअसल नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते शिवराज के समकालीन हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए इन चारों के नाम भी यदा कदा चलते रहे हैं। इन चारों को एक साथ विधानसभा चुनाव में उतारकर मोदी ने एक बड़ी चुनौती शिवराज के सामने खड़ी कर दी है। अब तो यह सवाल भी उठ रहा है कि शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव लडेंगे या फिर बिना लड़े राज्य में पांचवीं बार बीजेपी सरकार बनाने के लिए प्रचार करेंगे! क्योंकि मोदी हैं तो कुछ भी मुमकिन है! यह बात आज भी मोदी कह कर गए थे।

वैसे मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि कोई मुख्यमंत्री अपने ही नेतृत्व के हाथों सार्वजनिक रूप से हाशिए पर धकेला जा रहा है! उससे भी ज्यादा गौर करने की बात यह है कि दस साल पहले मोदी के बराबर खड़े रहने वाले, 17 साल से भी ज्यादा समय मुख्यमंत्री रहकर बीजेपी में एक रिकॉर्ड कायम करने वाले, शिवराज आज कुछ बोल भी नहीं पा रहे हैं! उन्होंने लाड़ली बहना योजना के जरिए अपना नाम हर गांव और शहर की दीवारों पर लिखवाया है। उसे उनकी ही पार्टी मिटा रही है। वे बस देख रहे हैं!

इसीलिए तो कहते हैं कि अपना एमपी गज्जब है! जो चुनाव लड़ाने आए थे वे अब खुद लड़ेंगे! जो सालों से मोर्चा संभाले थे वे अपनी कुर्सी को तिल तिल खिसकता देख रहे हैं! है न गज्जब की बात! ऐसा कहीं और हुआ हो तो बताओ?

(साई फीचर्स)