ईश्वर के चयन को प्रमाणित करने का सुनहरा मौका!

(अरुण दीक्षित)

पिछले 27 साल से संसद के दोनों सदनों में फुटबाल की तरह उछल रहा महिला आरक्षण विधेयक आखिर एक पड़ाव पर पहुंच गया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि उसका विरोध और समर्थन करने वाले एक साथ आए हैं। इसी के परिणाम स्वरूप लोकसभा में प्रतीकात्मक विरोध के साथ सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ। उसके समर्थन में सदन में मौजूद सांसदों में से 454 ने वोट दिया। जबकि मात्र दो वोट विरोध में पड़े! यह अपने आप में अभूतपूर्व है। अब तक जो विरोध कर रहे थे वे भी अब चाहते हैं कि महिलाओं को उनका हक मिले!

इसके बाद अब इस विधेयक का राज्यसभा में पारित होना तय है। आगे की प्रकिया भी जल्दी पूरी हो जायेगी। हां यह जरूर है कि कुछ तकनीकी कारणों की वजह से महिलाओं को इसका लाभ मिलने में कुछ साल लग सकते हैं। यह भी संभव है कि जनगणना, परिसीमन और उसके बाद आरक्षण में कोई और भी अड़चन आ जाए! इसलिए आज यह दावे के साथ नही कहा जा सकता कि वास्तव में महिलाओं को इसका लाभ कब तक मिल पाएगा.

लेकिन एक बात है! इस मुद्दे पर सभी दलों में पहली बार सहमति बनी है! खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहा है कि इस अधूरे सपने को पूरा करने के लिए खुद ईश्वर ने उन्हें चुना है! ऐसे में कानून बनने का इंतजार किए बिना ही यह सपना पूरा किया जा सकता है।

जब सब दल महिलाओं को उनका हक देना ही चाहते हैं तो कानून का इंतजार क्यों करना ?कानून जब बने तब बने। जनगणना और परिसीमन भी होते रहेंगे! सभी वर्गों की महिलाओं को इस आरक्षण में आरक्षण देने का काम भी होता रहेगा! पर जो काम आज किया जा सकता है वह तो कर ही लिया जाए!

जहां तक महिलाओं की राजनीतिक और प्रशासनिक क्षमता का सवाल है, प्राचीन काल से वे अपनी क्षमताओं का लोहा मनबाती रही हैं। हमारे तो देवता भी देवियों के आगे झुकते रहे हैं! देवियों की महत्ता देवताओं से ज्यादा आज भी है।

विदुषी स्त्रियों की एक बड़ी सूची हमारे धर्मग्रंथों में मौजूद है। भगवान से भी अपनी बात इन महिलाओं ने मनवाई है। सत्यवान सावित्री की कथा इसी का प्रमाण है।

आजादी की लड़ाई में भी महिलाओं का उल्लेखनीय योगदान था! बहुत ही लंबी सूची है उनकी। उससे पहले अहिल्या बाई होलकर, रानी लक्ष्मीबाई जैसी महिलाओं ने भी अपनी बौद्धिक और यौद्धिक क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया था। इन दो नामों के साथ बहुत से और नाम भी जोड़े जा सकते हैं।

आजादी के बाद देश चलाने में भी महिलाओं की अहम भूमिका रही है। सुचेता कृपलानी, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली, सुशीला नायर, नंदिनी सत्पथी के बाद इंदिरा गांधी ने आदि ने खुद को साबित किया था।

बाद में शशिकला काकोडकर, मायावती,

जयललिता, शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज, ममता बनर्जी, वसुंधरा राजे, राबड़ी देवी, उमा भारती, आनंदी बेन पटेल आदि ने राज्यों में सरकारें चलाईं। यूं तो आज लाखों महिलाएं राजनीति में सक्रिय हैं! हजारों सरकारों में अहम भूमिका निभा चुकी हैं और निभा रही हैं।

तो फिर उन्हें उनका हक देने के लिए कानून के सहारे का इंतजार क्यों किया जाए।

जब सब दल एकमत हैं। सरकार भी इस विधेयक के जरिए नारी वंदना करना चाहती है। तो फिर देर किस बात की! होना यह चाहिए कि सब मिल कर संसद में यह प्रस्ताव पारित कर लें कि सभी राजनीतिक दल अपने दलों के भीतर महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देंगे। पंचायत और पालिकाओं में तो सरकार आरक्षण दे चुकी है। लोकसभा और विधानसभाओं में दल यह काम खुद कर लें। सभी दल एक तिहाई टिकट महिलाओं को दें। जब तक सरकार का काम पूरा होगा तब तक वर्तमान ढांचे में ही महिलाओं को उनका अधिकार मिल जायेगा।

आरक्षण के भीतर दलित, ओबीसी और अन्य तरह के आरक्षण कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद होते रहेंगे! अभी इस व्यवस्था पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। जो दल ओबीसी और दलित आरक्षण की मांग कर रहे हैं वे अपने दल में इसे लागू करके मिसाल पेश कर सकते हैं। इसमें कोई झंझट भी नही होगा।

5 राज्यों में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल रही है। माना जा सकता है कि उनमें इस फैसले को लागू करना कठिन होगा। लेकिन 6 महीने बाद होने वाले लोकसभा चुनावों में तो यह किया ही जा सकता है।

संसद में एकराय से सब तय कर लें। लोकसभा की वर्तमान संख्या पर ही यह व्यवस्था लागू हो जायेगी!

अगर ऐसा हो जाता है तो एक बार यह भी प्रमाणित हो जायेगा कि ईश्वर जो चुनाव करते हैं वह सोच समझ कर करते हैं। और प्रधानमंत्री भी डंके की चोट पर यह दावा कर सकेंगे कि वे अधूरे सपने पूरे करते हैं। देश की आधी आबादी को उसका हक मिल जायेगा और साथ ही यह भी साबित हो जायेगा कि प्रधानमंत्री सिर्फ कहते ही नही हैं, बल्कि कभी कभी जो कहते हैं वह करते भी हैं। इसका पूरा पूरा फायदा भी उन्हें लोकसभा चुनाव में मिलेगा।

देखना यह है वे क्या पहल करते हैं! वैसे ईश्वर के चयन को प्रमाणित करने का उनके पास यह सुनहरा मौका है!

वैसे सदन में तत्काल आरक्षण देने की मांग करने वाले राहुल गांधी भी अपने दल में महिलाओं को आरक्षण देने का ऐलान करके बाजी मार सकते हैं!

(साई फीचर्स)