मुसद्दी भइया की चौपाल से…. फुल्ले को चाहिए मोदी की “ओखली”!

(अरूण दीक्षित)

आजकल आराम कुछ ज्यादा ही हो रहा है। कुछ डाक्टर की हिदायत और कुछ अपना आलस! इसी के चलते बहुत दिन से उखरा फोन नही लगाया। न ही उधर से मुसद्दी भइया ने याद किया। मुझे लगा कि इस बार ठंड ज्यादा पड़ रही है। इसलिए चौपाल की रौनक भी “ठंडी” होगी। आज बिस्तर पर पड़ा पड़ा मुसद्दी भइया को याद कर ही रहा था कि फोन की विशेष डायल टोन बज उठी। दरअसल मैंने भइया के नंबर के साथ उनकी पसंद के भजन की दो लाइनें लगा दी हैं। रघुपति राघव राजाराम..सबको सन्मति दे भगवान! सबेरे सबेरे मुसद्दी भइया अक्सर यही लाइनें गुनगुनाते रहते हैं।

खैर..फोन बजते ही लपक कर उठाया। स्क्रीन पर उंगली सरकाते हुए जोर से पालागन दाग दिया। भइया ने हमेशा की तरह हंसते हुए जूता पुजते रहने और झंडा बुलंद रहने का आशीर्वाद दिया। मैंने पूछा भइया सब कुशल तो है? अब राम जी लौट आए हैं। अब तो आप राम राज का आनंद ले रहे होंगे?

मैं आगे कुछ बोलता उससे पहले भइया ने टोंक दिया! वे बोले राम राज की बात जरा बाद में करेंगे अभी तो तुम हमारी चौपाल का संकट काटो। आज ऐसी समस्या खड़ी है जिसका समाधान न सुकुल दद्दा के पास और न मास्टर झब्बू सिंह कुछ बता पा रहे हैं। छुट्टू मिसुर नरभसाने पड़े हैं और तिलकू गुरु कूदे कूदे फिर रहे हैं!

मैंने भइया को रोकते हुए पूछा कि आखिर ऐसा हुआ क्या है जो आज आपके सब कारतूस “मिस” हो गए हैं। भइया मेरे सवाल पर थोड़े गंभीर होते हुए बोले – अरे इस फुल्ले (मनफूल) ने सबको चक्कर में डाल रखा है। कल इसने चौपाल पर अखबार में प्रधानमंत्री जी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री की फोटो देखी। तब से एक ही रामतुल्ला बजाए पड़ा है। सबसे कह रहा है कि मोय हुजूर वाली उखरी(ओखली) चाहिए! कोई कहूं से लाय के दे उसे भरपूर नजराना दूंगा।

इस सवाल मैं भी चौंका! मैंने कहा भइया प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की फोटो और उखरी का क्या संबंध? कुछ समझ में नहीं फुल्ले की बात!

इस पर भइया जोर से हंसे..फिर बोले – तुम भी चक्कर खा गए। लो सीधे फुल्ले से बात कर लो। फोन फूले भाई के हाथ में पहुंचने के साथ आशीर्वाद मेरे कानों तक आ गया। मैं कुछ पूछ पाता उससे पहले ही फुल्ले भइया बोल पड़े – काए लल्ला तुमइ छुटपन की याद है! तुमने घर में कित्ते पिल्ला (कुत्ते का बच्चा) पाले हते। कबहूं पिल्ला घर ते भाज (भाग) जात हतो तौ बाय ढूंढ के लाऊत हते और सबसे पहले घर की उखरी में मठा भरि के वा को मोंह मठा मैं बोर (डूबो) देत हते। एक दांव पिल्ला नै उखरी को मठा पी लओ तौ फिर वौ घर छोड़ के कबहूं नाहिं जात हतो। दिन भर कहूं घूमे फिरे लेकिन सांझ को अपनी देहरी पे आय जात हतो। एक दांव उखरी को मठा जा कुत्ता नै पी लओ फिर वो मरि के ही संग छोड़त तो। भले कन्हू घूमे, काहू के घर की रोटी खाय। लेकिन रात में अपनी देहरी पर ड्यूटी बजाउत हतो।

जा बात तुमइ याद है कि नाहीं?

मैंने फुल्ले भइया की बात का उत्तर दिया – हां भइया खूब याद है। न जाने कित्ते पिल्लन कौ उखरी में डारि के मठा पियाओ और उखरी झूठी करन के चक्कर में जिया (अम्मा) के हाथों पिटे भी। अपने यहां तो जल्दी जल्दी आने वाले मेहमान के बारे में भी कहा जाता था कि लगता है इसे किसी ने उखरी का मठा पिला दिया है। जो जब देखो तब भागा चला आता है।

पर आप यह बताओ कि आपको मोदी जी उखरी क्यों याद आ रही है। उनके घर पर उखरी कहां मिलेगी? फिर आपको उन्हीं की उखरी क्यों चाहिए? गांव में हर घर में उखरी मिल जायेगी। आपके घर में भी होगी?

इस पर फुल्ले भइया बोले – लल्ला अब गांव की उखरी में पहले जैसी बात नाहिं रही। एक तौ जमाना बदल गओ। अब नई बहुएं घर में उखरी नही गड़न ही देती हैं। एकाध घर में जो बची हैं वे सब ठंठ (बेकार) हो गईं हैं। है तो हमारे घर में भी लेकिन काम की नाई है।

तुम्हें पता है कि अब हम खेत पै ज्यादा रहत हैं। रात में अकेले सोउत हैं। संग के लै कइयों पिल्ला पाले। वे सारे नेक कर्रे होत खन (बड़े होते ही) नेतन की तरह संग छोड़ के रफूचक्कर हुई जात हैं।

कल हमने मोदी जी के संग बिहार के नीतीश बाबू की फोटू अखबार में देखी! हमने खबर भी पढ़ी। तब पता चली कि वे फिर लौट के मोदी जी की देहरी पै आय गए हैं। फोटू मैं दोनो जनन की खुसी छलकत हती।

फोटु देख के हमें लगो कि मोदी जी ने जरूर, अपनी गारंटी वारी उखरी में भरि के उन्हें मठा पिआओ है। सो कहूं घूमे लौट के आउत उन्हीं के द्वारे हैं। जरूर मोदी जी की उखरी में कोई खास बात है…जो उनके अपने तो अपने..अरे दूसरन के पालतू भी उनके पांव चाटन पहुंच जात हैं। उनकी उखरी में जरूर कोई जादू है।

हमने सोची कि अगर वा उखरी मिल जाए और हम वा में अपने नए पिल्ला को मठा पिया देंय तो हमाओ काम आसान हो जायेगो। बुढ़ापे में कम से कम एक कुत्ता तो साथ बनो रहोगो!

हमने जा बात चौपाल पे सबसे कही। मुसद्दी दद्दा और सुकुल दद्दा से भी फिरियाद करी। सब हमारी खिसक (मजाक) बना रहे हैं। आज सबेरे फिर कही तो इन्ने तुमे फोन लगा दओ। लल्ला तुम दुनिया घूमे फिरे हो, बड़े लोगन में बैठे उठे हो। दिल्ली भी तुम्हारी जानी पहचानी है। नातेदारी भी है। अब तुम्ही कुछ करो। एक उखरी तो दिवाय ही देउ? कछु करो जौ काम तो तुम्हें कन्न ही परेगो!

लेउ अब मुसद्दी दद्दा से बात करो..यह कहते हुए फुल्ले भइया ने फोन मुसद्दी भइया को थमा दिया। भइया ने हंसते हुए कहा -सुन ली समस्या! वैसे उसकी बात में दम तो है। कुछ तो है जो सबको वापस खींच ले जाता है मोदी जी के पास! अब तुम देखो! अपने दोस्तों से पूछो! फूले को गारंटी वाली ओखली तो मिलनी चहिए!

इतना कह कर भइया ने फोन काट दिया! अब आप ही बताओ कि फूले की समस्या कैसे हल हो?

(साई फीचर्स)