(संजीव शर्मा)
गुजरात मेरे साथ-2
सोचिए..अनुमान लगाइए..यह क्या है..!! कुछ पनीर सा, चीज़ी, मावे की बर्फी जैसा..कुछ भी सोच सकते हैं लेकिन यदि आप गुजराती नहीं हैं तो सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं क्योंकि न यह पनीर है और न ही पनीर का कोई भाई या मावे की मिठाइयों का कोई करीबी रिश्तेदार। हां, इतना जरूर है कि यह तमाम मिठाइयों के जन्मदाता दूध के कुल का ही है। यदि कभी आपका गुजरात जाना आना हुआ है या फिर महाराष्ट्र से जुड़े हैं और आपकी खानपान की वस्तुओं को देखने/घूरने/चखने या जानने में रुचि है तो आप कुछ अंदाज़ा लगा सकते हैं..ठीक है चलो अब ज्यादा मेहनत नहीं कराते, मैं ही बता देता हूं यह गुजरात की ‘बरी‘ है। इसके नाम और स्वाद को बुंदेलखंडी अर्थ से जोड़ने की गुस्ताखी मत करिए क्योंकि यह हमारी सब्ज़ी में काम आने वाली बड़ी/बरी जैसा ज़रा भी नहीं है। यह मीठा है,मुलायम है,लज़ीज़ है और सेहत का खज़ाना भी।
चलो, अब माथापच्ची खत्म कर दी देते हैं। इसे हम इंग्लिश में colostrum कहते हैं और हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में चिकी, मालवा में चीका, तेली,बिहार में खिरसा,मराठी में खरवास, खीस, खरबाल और तेलुगू में Junnu जैसे तमाम नामों से पहचानते हैं। सीधे सीधे समझे तो गाय-भैंस का बच्चा होने के बाद शुरुआती दो-तीन दिन का दूध। कई दकियानूसी लोग इसे खाने से परहेज करते हैं तो कहीं यह दूध अपने सेहत से भरपूर गुणों के कारण तीन-चार सौ रुपए लीटर तक मिलता है।
सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट/पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर का कहना है कि मां का पहला दूध जिस तरह से बच्चे के लिए पोषण से भरपूर होता है, ठीक उसी तरह से गाय या भैंस के पहले दूध में भी कुछ ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो कि हमारी ‘इम्यूनिटी‘ को बेहतर बनाते हैं। दरअसल गाय या भैंस के पहले दूध को बोवाइन या गोजातीय कोलोस्ट्रम (Bovine colostrum) कहा जाता है। ये बहुत गाढ़ा और हल्का पीले रंग का दूध होता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज और विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन होते हैं । बताया तो यह जाता है कि गोजातीय कोलोस्ट्रम में एंटीबॉडी का स्तर नियमित गाय के दूध की तुलना में 100 गुना अधिक होता है।
गुजरात के लोगों ने अपने व्यवसायिक कौशल और बुद्धिमत्ता से हमारी चिकी/तेली को इस खूबसूरत और स्वादिष्ट मिठाई में तब्दील कर दिया और अब यह फुटपाथ से लेकर आलीशान दुकानों में अपनी हैसियत के मुताबिक पूरी ठसक से बिक रही है। यह वाकई बहुत स्वादिष्ट है। हल्का मीठापन लिए इसका स्वाद अपने जैसे रंग-रूप वाले पनीर पर भी भारी पड़ता है। बताया जाता है कि खिलाड़ी इसका इस्तेमाल चर्बी कम करने, मांसपेशियों का निर्माण, सहनशक्ति और अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिए करते हैं। इसके अलावा, ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, चोटों को ठीक करने, तंत्रिका तंत्र की मरम्मत और मूड में सुधार करने में भी सहायक है।
रुजुता दिवेकर के अनुसार, कोलोस्ट्रम मधुमेह और अस्थमा से निपटने में भी मदद करता है क्योंकि कोलोस्ट्रम इंसुलिन बनाने में मदद करता है। यह बैक्टीरिया के विकास को बनाए रखने के लिए प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक दोनों के रूप में काम करता है। इसी तरह एलर्जी से निपटने के लिए भी काफी प्रभावी है। इस तरह बरी शरीर के लिए हर तरह से फायदेमंद है।
(साई फीचर्स)

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