चीन पर सरकार से सवाल और राहुल की निडरता!

(शकील अख़्तर)

राहुल की यात्रा का प्रभाव यह पड़ा कि अब सवाल उठने लगे हैं। मंगलवार को संसद में भारी रोष था। सरकार को जवाब देना पड़ा। दूसरी तरफ सड़क पर भी लोग सवाल कर रहे थे। अरुणाचल में भारतीय सैनिकों के साथ झड़पको लेकर इस बार गलवान की तरह चुप्पी नहीं है। मीडिया में सवाल तो नहीं हैं मगर खबर पूरी है। यह विपक्ष के मजबूत होने का प्रभाव है।

विपक्ष का मजबूत होना इसीलिए जरूरी है कि उसकी बात असर करे। आज राहुल कीपदयात्रा ने यह धमक पैदा की है कि चीन की हरकतों पर पूरा देश सवाल उठारहा है। नहीं तो ढाई साल पहले गलवान में कह दिया गया था कि यह गलती सरकारकी नहीं सेना की है।

जी हां, आपको याद होगा कि एक बड़े चैनल की बड़ी एंकर ने लद्दाख जाकर यहकहा कि सरकार थोड़ी घुसपैठ को रोकेगी, यह काम तो सेना का था। किसी ने उसकाखंडन नहीं किया। सेना चुपचाप दिल मसोस कर रह गई। यही भाजपा जब सत्ता मेंनहीं होती तो सीमा पर हर कार्रवाई के लिए कांग्रेस को दोष देती है। औरवाजपेयी से लेकर हर बड़े नेता ने कहा कि सेना को खुली छूट दो। कांग्रेसने उसके हाथ बांध रखे है। मगर अब सेना को खुली छूट देना तो दूर की बात उसपर सवाल उठाए जाने लगे हैं। लद्दाख के गलवान में तीस भारतीय सैनिक शहीदहुए और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि न कोई आया है। न कोई घुसपैठ हुई है।

भारतीय सैनिक किसी भी हमले का जवाब देने में सक्षम हैं। भारतीय सैनिकोंके शौर्य और अनुशासन की कहानियों से विश्व का युद्ध इतिहास भरा हुआ है।सेना पर लिखने वाले या टीवी पर ज्ञान देने वाले आज के पत्रकारों, एंकरोंने कितना उसके बारे में पढ़ा है पता नहीं। यहां उस पर पूरा लेख लिखना आजका विषय नहीं है मगर केवल इतना ही कि प्रथम विश्व युद्ध में भारतीयसैनिकों की बहादुरी के बाद ब्रिटिश सरकार को अपने नियम बदलकर भारतीयसैनिकों को विक्टोरिया क्रास देना शुरू करना पड़ा था। विक्टोरिया क्राससबसे बड़ा सैनिक सम्मान होता था। जो भारतीयों को नहीं मिलता था। मगरप्रथम विश्व युद्ध में 11 भारतीय सैनिकों को यह दिया गया। उन्हीं केसम्मान में इंडिया गेट बनाया गया था। आज उसकी पहचान भी खत्म कर दी गई है।अमर जवान ज्योति अब वहां नहीं जलती है।

राजनीति के लिए भारतीय सेना का प्रयोग कभी नहीं हुआ। देश की संस्थाओं मेंसबसे ज्यादा सम्मान उसी ने अर्जित किया है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक औरलड़कियां, महिलाएं भी कहीं भी सैनिक टुकड़ी को जाते देखकर अनायास सेल्यूटकरने लगते हैं। यही सच्ची देशभक्ति है। और यही वास्तविक सेना की कमाई है।उसकी धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा, खानपान, राजनीति से हटकर बनी सर्वोच्चछवि।

कई बार दुःख होता है कि आज मीडिया क्या लिखता है, क्या दिखाता है। असलीतेजस्वी वीरता पर नकली क्रोध की छवि का मुलम्मा चढ़ाने की कोशिश करता है।वीरता में लाल आंखें कहां से आती हैं? उसमें तो संकल्प की दृढ़ता का तेजदिखता है। जिसमें वीर रस का सौन्दर्य होता है। क्रोध का तामसी रूप नहीं।

पूरे रामचरित मानस में राम केवल एक बार क्रोधित दिखते हैं। इतना बड़ायुद्ध, बिना साधनों के, इतना कष्ट, इतना व्यक्तिगत दुःख, वियोग, चिन्तामगर चेहरे पर हमेशा आश्वस्तकारी मुस्कान। क्रोध का वह प्रसंग- बोले रामसकोप तबही तक सीमित है। बाकी तो राम सप्रेम पुलकि उर लावा। अर्थातअनजान को भी प्रेम पूर्वक गले लगा लिया। बस एक चौपाई का अंश और राम तेजबल बुधि बिपुलाईमतलब राम के तेज, सामर्थ्य, बल बद्धि की कोई सीमा है!

मगर वे रावण से युद्द करने से पहले वे लक्ष्मण से तरीका पूछते हैं। यहांतो एयर स्ट्राइक करने का तरीका भी भारतीय वायुसेना को बताया जाने लगा है। लेकिन जैसा की शुरू में लिखा कि अब लोगों के मन से डर कम होता जा रहा है।मंगलवार को संसद में भारी रोष था। सरकार को जवाब देना पड़ा। दूसरी तरफसड़क पर भी लोग सवाल कर रहे थे। अरुणाचल में भारतीय सैनिकों के साथ झड़पको लेकर इस बार गलवान की तरह चुप्पी नहीं है। मीडिया में सवाल तो नहींहैं मगर खबर पूरी है। यह विपक्ष के मजबूत होने का प्रभाव है।

राहुल की यात्रा 100 दिन पूरे कर रही है। सड़क पर लगातार चलते रहने का यहइतिहास है। हिमाचल के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में शिमला जाना था। राहुलसुबह 6 बजे से रोज की तरह अपनी यात्रा पर निकले। दोपहर का जब ब्रेक हुआतो उसी सफेद हाफ टी शर्ट में शिमला सर्दी में पहुंच गए। शाम को वापस आकरफिर यात्रा शुरू की। और दिन के 23 किलोमीटर पूरे किए।

राहुल इसे तपस्या कहते हैं। और ऐसा कम होता है कि जो नेता कहे वह जनता केमन में जस का तस उतर जाए। राहुल की पदयात्रा ने अब वह भरोसा स्थापित करदिया है कि वे जब तपस्या कहते हैं तो जनता मानती है कि हां इतने मन से,मेहनत से निरंतर तपस्या ही होती है। राम को इन दिनों ज्यादा याद करनासीताराम के साथ। राम के कल्याणकारी रूप की चर्चा करना राहुल को और ज्यादाजनता के मन में एक साधक के तौर स्थापित करता जा रहा है।

राम को लेकर इकबाल की भी यही भावना थी। उर्दू के महाकवि कहलाए जाते हैंवे। अल्लामा इकबाल। उन्होंने कहा था- है राम वजूद पर हिन्दोस्तां कानाज, अहले नजर समझते हैं उनको इमामे हिन्द। प्रेम ही हिन्दुस्तान कीताकत रही है। और जब जरूरत पड़ी तो वीरता, साहस। क्रोध और नफरत नहीं।

इसलीए भारतीय सेना का जहां दोनों विश्व युद्धों में अदम्य शौर्य औरअपूर्व साहस के लिए नाम आता है वहीं जहां भी शांति सेना की जरूरत पड़तीहै वहां प्रेम, सदभाव, संयम के लिए। वीरता के यही गुण है। वीर क्रोधीनहीं होता। मैथलीशरण गुप्त ने लिखा था धीर वीर गंभीर।

आज देश में चर्चा है कि बेरोजगारी, महंगाई, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी हरआदमी के लिए जरूरी चीजों को मुफ्त में या नाममात्र के दामों में जनता कोउपलब्ध कराने की पुरानी व्यवस्था को हटाकर उन्हें निजी हाथों में देनेजैसी बहुत सारी बातों को दबाने छुपाने की कोशिशें तो आठ सालों से चल रहीथी मगर अब राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को भी दबाया जा रहा है!

राहुल की यात्रा का प्रभाव यह पड़ा कि आज सवाल उठने लगे हैं। लोकतंत्रमें यह बहुत जरूरी है। जनता जागरूक होना। और जनता जागरूक तब होती है जबउसके मन में डर नहीं होता। राहुल ने सबसे बड़ा जो काम किया है वह खुद कोमिसाल बनाकर, खुद कभी न डर कर, सेना में भर्ती, बेरोजगारी, महंगाई,किसान, मजदूर, हाथरस, अंकिता, बिलकिस, कोरोना में हुई मौतों से लेकर चीनकी घुसपैठ तक हर सवाल को निर्भय होकर उठाना।

यात्रा का निर्णय लिया तो पूरा देश पैदल नाप डाला। सुरक्षा को खतरा है,खेल की चोटों का घुटने में पूरा दर्द उभर आया, दाढ़ी बढ़ गई, मगर एक उसीसफेद टी शर्ट में जिस में पहले दिन से यात्रा शुरू की थी चल रहे हैं। चरैवेति, चरैवेति! एतरेय ब्राह्मण उपनिषद में यह श्लोक आता है। चलते रहो,चलते रहो।

और राहुल की इस चलते रहने की खबर गांव गांव तक पहुंच गई है। सड़क केकिनारे खड़े होने लोग अब कुछ देर साथ चलने लगे हैं। एक गांव से दूसरेगांव तक। कई युवा दिन भर साथ चलते हैं। यात्रा एक आंदोलन बन गई है। इसकानाम तो है भारत जोड़ो मगर यह इसके साथ डर को छोड़ो! का बड़ा संदेशदेने में भी सफल हो गई है।

निडर जनता ही मजबूत देश बना सकती है। जनता को, मीडिया को बाकी संवैधानिकसंस्थाओं को डरा कर रखने से देश मजबूत नहीं हो सकता। राहुल की यात्राअपना संदेश दे रही है। धीरे धीरे यह पूरे देश में फैल रहा है। डरो मत!राहुल का मौलिक और सबसे बड़ा संदेश।

(साई फीचर्स)

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