मानवीय जीवन के लिए प्रकृति के रक्षक की भूमिका में वन्यजीव

(विश्व वन्यजीव दिवस विशेष – 03 मार्च 2023)

(डॉ. प्रितम भि. गेडाम)

हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवसदुनियाभर में जैवविविधता और वन्यजीवों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस साल की थीम “वन्यजीव संरक्षण के लिए साझेदारी” यह है। बड़े-बड़े जानवरों से लेकर किट-पतंगों तक, पृथ्वी पर जीवन की विशाल विविधता मानव जीवन और कल्याण में बहुत अधिक योगदान देती है। 50,000 जंगली प्रजातियां दुनियाभर में अरबों जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करती हैं। दुनिया में हर 5 में से 1 व्यक्ति आय और भोजन के लिए जंगली प्रजातियों पर निर्भर है, जबकि आज भी 2.4 अरब लोग खाना पकाने के लिए लकड़ी के ईंधन पर निर्भर हैं। अनेक गुणकारी पेड़-पौधे भी लुप्तप्राय प्रजातियों के समूह में आ गए हैं। पिछले 40 वर्षों में, वन्यप्रजातियों की आबादी में औसतन 60 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है। वर्तमान में 10 लाख से ज्यादा प्रजातियां खतरे में हैं। सभी को वर्तमान में मौजूद वन्यजीव, प्रजातियों और जलीय जीवन के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना जरुरी है। पृथ्वी पर मानवी जीवन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए वन्यजीवों का संरक्षण बेहद आवश्यक है।

मनुष्य की लालसा चरम पर

जैसा कि हम सब जानते है कि दुनिया में मनुष्य से ज्यादा खुखार, धूर्त, लालची जानवर अन्य कोई नहीं है। आज प्रत्येक मनुष्य खुद के फायदे के लिए जद्दोजहद में लगा हुआ नजर आता है, चाहे उसके स्वार्थ के कारण अनेक मासूमों की जिंदगी तबाह क्यों न हो जाये। गांव उजड़ते जा रहे है, शहरों की ओर तेजी से पलायन जारी है, शहर महानगरों का स्वरुप धारण कर रहे है। शहरों के आसपास के गांवों की उपजाऊ खेती में फसल की जगह अब बड़ी-बड़ी आलिशान इमारतें बनायीं जा रही है। प्रदूषण, मिलावटखोरी, जंगल कटाई, यांत्रिक साधनों का अत्यधिक प्रयोग, नैसर्गिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पर्यावरण के चक्र को बिगाड़ रहा है। आज व्यक्ति को अपने घर-आँगन में खुली जगह या पेड़-पौधे नहीं बल्कि अधिक से अधिक कांक्रीट के कमरे चाहिए, चाहे इसके लिए दूसरों की जगह पर अतिक्रमण ही क्यों न करना पड़े। आज का स्वार्थी मानव अपनी गलती की सजा पुरे पर्यावरण और सजीव वर्ग को दे रहा है, जिसका सीधा असर इकोसिस्टम पर पड़ता है। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ करने के कारण ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन लेयर की समस्या, बढ़ता तापमान, खाद्यसुरक्षा की कमी, बाढ़ और सूखा, प्राकृतिक आपदा, बढ़ती गंभीर बीमारियां ऐसे ही लोगो की गलती की देन है। उदाहरण के लिए देखा जाए तो दुनिया में उतने लोग नहीं है जितने उनके लिए मोबाइल बनाये गए है, लेकिन जरूरत के बाद ये करोड़ों की संख्या में मोबाइल का सौ प्रतिशत योग्य व्यवस्थापन (रीसायकल) पर्यावरण को कोई भी हानि न पहुंचाते हुए किया जाता है?

मानवी जीवन वन्यजीवों पर आधारित :- आज के इस आधुनिक युग को देख कर तो ये लगता है कि मानव जीवनदायिनी प्रकृति के भक्षक और वन्यजीव प्रकृति के अनादिकाल से रक्षक की भूमिका में तत्परता से लगे हुए है। प्रत्येक मनुष्य को पता है कि जीवित रहने के लिए सबसे जरुरी शुद्ध प्राणवायु, जल और अन्न ये प्रकृति की देन है, इसके बगैर मानवीय अस्तित्व ख़त्म है। फिर भी लोग सुन्दर जीवनदायिनी प्रकृति को बचाने के बजाय उसी को नुकसान पहुंचाने पर लगे रहते है। वन्यजीव जलवायु परिवर्तन की सुरक्षा करके पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य स्रोत बनाये रखने में अहम् भूमिका निभाते है जिससे जैवविविधतापूर्ण इकोसिस्टम बेहतर ढंग से काम करता है। मृदा की गुणवत्ता और उर्वरता में सुधार होता है। वनौषधि, दवा, व्यवसाय हेतु कच्चा माल, शुद्ध हवा, पानी मिलता है। सभी वन्यजीव पर्यावरण के सुधार में मूल्यवान भूमिका निभाते है। कोरोना में लॉकडाउन के दौरान जब दुनिया में मानव निर्मित संसाधन पूरी तरह से थम गए थे, मानवी हस्तक्षेप पूरी तरह से रुक गया था, तब यही जीवनदायिनी प्रकृति वन्यजीवों के बदौलत अपनेआप को तेजी से बेहतर बना रही थी, अर्थात मानव जीवन के लिए आवश्यक नए आयाम बन रहे थे। सुन्दर प्रकृति का अलौकिक नजारा उस समय देखा गया जो हमारी जिंदगी के लिए सबसे मूल्यवान है।

आजकल अक्सर अखबारों में वन्यजीव दुर्घटना, वन्यजीव व मानव संघर्ष, लगातार मृत्यु की खबरें मिलती है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण अनुसार, देश में इस वर्ष 2023 के पहले दो महीनों में बाघों की मृत्यु की उच्च संख्या 30 पहुंच गई है, जो बेहद चिंताजनक है, यह है देश के राष्ट्रीय पशु की स्थिति। हर साल जंगल का क्षेत्रफल सिकुड़कर मानवी आवासीय क्षेत्रफल तेजी से बढ़ रहा है। गर्मियों के मौसम में अनेक बार सर्वसुविधाओं से परिपूर्ण बुद्धिमान प्राणी “मनुष्य” भी शुद्ध जल और हरियाली के लिए दूर-दूर तक भटकता नजर आता है। मनुष्य के कल्याण और उनकी समस्याओं के निवारण के लिए जनप्रतिनिधि, मीडिया, प्रशासन, मंत्रालय, न्यायालय जैसी व्यवस्था है, फिर भी अनेक परिस्थिति में मनुष्य हताश नजर आता है। वन्यजीवों की जरूरतें मनुष्य की भांति असीमित नहीं होती है। जंगली क्षेत्र में बढ़ता मानवीय हस्तक्षेप सबसे बड़ी समस्या है वन्यजीवों के लिए। आज लोगों को जंगलों में, प्रकृति की गोद में जीवन के आरामदायक पल बिताने के लिए फार्महाउस चाहिए, परन्तु उस जीवनदायिनी प्रकृति के संरक्षण की जिम्मेदारी नहीं चाहिए। अगर वन्यजीवों को उनके भूख, प्यास की समस्या का निवारण और उनके नैसर्गिक आवास को नुकसान न पहुंचाए तो वे भी अपने अधिवास क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से जी सकेंगे। प्रकृति से मानव ने उतना ही लेना चाहिए जितने की उसे जरुरत हो और वक्त के साथ उसे फिर मानव ने प्रकृति को लौटाते हुए चलना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी भी पृथ्वी पर खुलकर जी सकें। प्रकृति के आगे हम सब शून्य है, वन्यजीवों का अंत अर्थात मानव जीवन का अंत है। जिंदगी के लिए प्रकृति जीवनदायिनी है और प्रकृति के रक्षा के लिए वन्यजीव सृष्टि आवश्यक है, इसलिए मानव ने अपना अस्तित्व बचाने के लिए वन्यजीवों को बचाना होगा।

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(साई फीचर्स)

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