महाकाल के महालोक में मूर्ति ध्वंस. . . कांग्रेस को मिली ईमानदारी की “सनद”!

अपना एमपी गज्जब है. . 81

(अरुण दीक्षित)

उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में बने महालोक में सप्त ऋषियों की मूर्तियां धराशाई होने के बाद दुनिया भर में हुई बदनामी के बीच शिवराज सरकार का दावा है कि “महालोक” में कोई भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है। इसलिए किसी तरह की कोई जांच नही होगी।

लेकिन शिवराज सरकार ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि महालोक के निर्माण में कांग्रेस की भी भूमिका थी।

अब यह सब जानते हैं कि गत रविवार, 28 मई 2023 को नई, दिल्ली में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने “ड्रीम प्रोजेक्ट” (नया संसद भवन)का ऐतिहासिक उद्घाटन किया उसके कुछ घंटे बाद ही एक आंधी ने उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में तांडव कर दिया। प्रधानमंत्री ने साढ़े सात महीने पहले महाकाल के जिस महालोक का भव्य उद्घाटन किया था उसका कुछ हिस्सा ताश के पत्तों की तरह धराशाई हो गया। सप्त ऋषियों में से 6 अपने स्थान से उखड़ कर नीचे आ गिरे। वे क्षत विक्षत हो गए!

यह खबर देश ही नहीं, पूरी दुनियां में फैली! सबने वह दृश्य देखा। दुनियां के हर कोने में मौजूद महाकाल के भक्तों को बहुत बुरा लगा। जाहिर है कि बहु प्रचारित महालोक में ऋषि प्रतिमाएं गिरने की खबर नए संसद भवन की खबर पर भारी पड़ गई। पूरी दुनियां में सोशल मीडिया पर महाकाल ही छाए रहे। इस वजह से “दिल्ली” बहुत नाखुश हो गई।

दिल्ली की नाखुशी के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन बाद अपने सबसे विश्वत साथी, नगरीय प्रशासन मंत्री, भूपेंद्र सिंह को मीडिया के सामने भेजा। एक बड़े सरकारी होटल में लजीज़ खाने की व्यवस्था के साथ भूपेंद्र सिंह ने मीडिया को महालोक परियोजना का पूरा ब्यौरा दिया और जोर देकर कहा कि कोई “भ्रष्टाचार” नही हुआ। सब काम “नियम” से हुआ है।

उन्होंने महालोक परियोजना के बारे में वह सब बताया जो लोग नही जानते थे। कैसे 2017 में शिवराज सरकार ने महाकाल का महालोक बनाने का फैसला लिया। कब टेंडर निकाले। टेंडर की शर्ते क्या थीं। कब कब क्या क्या किया गया।

उन्होंने यह भी बताया कि फाइबर की मूर्तियां भारत के तमाम शहरों के अलावा बाली और इंडोनेशिया में भी लगी हैं। आजकल इन्ही का प्रचलन है। हमने भी साढ़े सात करोड़ की लागत से करीब 100 प्रतिमाएं महालोक में लगवाई थीं। इनमें से सिर्फ 6 ही तो गिरी हैं। जिस कंपनी ने मूर्तियां लगाई हैं उसका तीन साल का मेंटीनेंस कांट्रेक्ट है। जल्दी ही दूसरी मूर्तियां लग जाएंगी।

मंत्री भूपेंद्र सिंह यह बताना भी नही भूले कि निर्माण के दौरान केंद्रीय एजेंसी सिपेट से भी परीक्षण कराया गया। लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि जिस कंपनी को महालोक का ठेका दिया गया है, उसका नाम क्या है और वह कहां की है! तो पहले तो उन्होंने बात टालने की कोशिश की। फिर बोले भाई अंग्रेजी में लिखा है। आपको कागज दे तो रहा हूं। मीडिया के ज्यादा जोर देने पर उन्होंने ठेका लेने वाली कंपनी का आधा नाम पढ़ा लेकिन यह नही पढ़ पाए कि यह कंपनी गुजरात के सूरत शहर के किसी पटेल साहब की है।

मंत्री कांग्रेस से काफी नाराज नजर आए। उन्होंने कहा कि वह गंदे आरोप लगाकर श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है। हमने 2017 में महालोक बनाने का फैसला किया। 2018 में परियोजना का प्रारूप और शर्तें तय हुईं। फिर टेंडर जारी हुए! फिर हमारी सरकार चली गई।

उन्होंने खुलासा किया कि महाकाल के महालोक के निर्माण में कांग्रेस की भी भूमिका रही है।

वे बोले – टेंडर निकाल कर हमारी सरकार चली गई। कांग्रेस सत्ता में आ गई। उसने भी उन्हीं शर्तों को मंजूरी दी जो हमने तय की थीं। उसने भी फाइबर की मूर्तियां लगाने का प्रस्ताव नही बदला। यही नहीं 15 महीने के उसके शासन काल में कंपनी को दो बार भुगतान भी किया गया। 18 जून 2019 को कांग्रेस सरकार ने आर्ट वर्क का अनुमोदन किया। उसने पहला भुगतान 13 जनवरी 2020 को किया और दूसरा 28 फरबरी 2020 को किया। 20 मार्च 2020 को कांग्रेस सरकार गिर गई। फिर मूर्ति स्थापना का पूरा भुगतान 31 मार्च 2021 को हमारी सरकार ने किया ।

मंत्री ने मीडिया से पूछा – आज कांग्रेस आरोप लगा रही है! जब वह सरकार में थी तब उसने टेंडर की शर्तें क्यों नही बदलीं। क्यों फाइबर की जगह पत्थर की मूर्तियां लगाने की बात क्यों नहीं की? लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अब क्या आप कांग्रेस के 15 महीने के कार्यकाल में हुए निर्माण की जांच कराएंगे? तो वे कांग्रेस को प्रमाण पत्र देते हुए बोले – हम क्यों जांच कराएं? हम तो कह ही नही रहे कि भ्रष्टाचार हुआ है। भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं है। फिर काहे की जांच? 20 मार्च 2020 के बाद यह पहला मौका था जब बीजेपी सरकार की ओर से कांग्रेस की 15 महीने की सरकार पर आरोप नही लगाया गया। बल्कि उसका बचाव किया गया।

इस पर जब मंत्री जी को यह बताया गया कि आरोप तो लगा है! उसका क्या? इस पर बोले कांग्रेस लिख कर दे तो जांच करा लेंगे! लेकिन जब उन्हें बताया गया कि आप कांग्रेस के आरोपों पर ही सफाई दे रहे हैं। आपने ही मीडिया बुलाया है। जांच करा लीजिए!

मंत्री जी तल्खी में बोले – हमने आरोप नही लगाए। जब भ्रष्टाचार हुआ ही नही तो जांच क्यों कराएं! कांग्रेस तो गंदी राजनीति करती है। उसे खुली चुनौती है कि वह या तो भ्रष्टाचार के सबूत पेश करे या फिर जनता से माफी मांगे! हम जांच नही कराएंगे!

अब आगे क्या होगा यह तो महाप्रभु महाकाल ही जाने! लेकिन इतना साफ है कि पहली बार शिवराज सरकार ने कांग्रेस की 15 महीने की सरकार को “ईमानदारी” की “सनद” दी है। वह न उसकी जांच करेगी न अपनी कराएगी!

अब सप्त ऋषियों की मूर्तियों का क्या वे तो पटेल की कंपनी से फिर लगवा ली जाएंगी। रूंड मुंड मूर्तियों की तस्वीरें दुनिया ने देख ली तो क्या? देश की बदनामी हुई उसका भी क्या! सब कुछ महाकाल जाने!

आप ही बताओ कि अपना एमपी गज्जब है कि नहीं? यहां की सरकार, सबसे बड़ी, “महाकाल सरकार” पर भी भारी है।

(साई फीचर्स)